केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के तीनों नगर निगमों का एकीकरण करने का फैसला किया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को दिल्ली के तीनों निगमों को एक करने के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है। अब दिल्ली में तीन की जगह एक मेयर होगा। इसके साथ ही दिल्ली में नॉर्थ, साउथ और ईस्ट नगर निगम के स्थान पर अब केवल एक नगर निगम होगा। माना जा रहा है कि केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली की सत्ता पर काबिज ‘आप’ सरकार के लिए यह एक बड़ा झटका है।
राष्ट्रीय राजधानी में तीनों नगर निगमों के विलय के बाद अस्तित्व में आने वाले एक नगर निगम से दिल्ली की ‘आप’ सरकार को पूरी तरह दूर रखने की संभावना जताई जा रही है। माना जा रहा है कि नगर निगम अधिनियम (डीएमसी एक्ट) की 17 धाराओं का अधिकार दिल्ली सरकार से छीनकर केंद्र सरकार अपने अधीन ले सकती है। आपको बता दें कि इन धाराओं के तहत कार्रवाई करने का पहले केंद्र सरकार के पास ही अधिकार था, मगर अक्टूबर 2009 में केंद्र सरकार ने इन धाराओं के तहत कार्रवाई करने का अधिकार दिल्ली सरकार को दे दिया था। इसके बाद से नगर निगम के कामकाज में दिल्ली सरकार का हस्तक्षेप बढ़ा गया।
मीडिया की जानकारी के अनुसार दिल्ली प्रदेश भाजपा के नेताओं ने केंद्र सरकार से आग्रह किया था कि वह नगर निगम को पूरी तरह दिल्ली सरकार से मुक्त कर दे। बशर्ते, वह तीनों नगर निगम रखे या फिर तीनों निगमों का विलय करके एक निगम बनाए, क्योंकि दिल्ली सरकार को डीएमसी एक्ट की कुछ धाराओं के तहत कार्रवाई करने का अधिकार मिला हुआ है। इस कारण आप सरकार निरंतर एकीकृत नगर निगम की तरह दिल्ली के तीनों नगर निगमों को लगातार परेशान कर रही है।
दिल्ली भाजपा नेताओं का कहना है कि उक्त धाराओं से जुड़े कार्यों की फाइल दिल्ली की आप सरकार लटकाकर रखती है, जिससे नगर निगमों का कामकाज प्रभावित होता है। भाजपा नेताओं ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह पहले की तरह दिल्ली नगर निगम को पूरी तरह अपने अधीन ले ले।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि पूर्व में शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2009 में दिल्ली नगर निगम को पूरी तरह अपने कब्जे में लेने के प्रयास के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय से डीएमसी एक्ट की 23 धाराओं का अधिकार लेने के संबंध में केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव भेजा था, मगर केंद्र सरकार ने उसे 17 धाराओं का ही अधिकार दिया था और उनमें से 12 धाराओं का अधिकार उसे पूरी तरह दिया गया, जबकि उसे पांच धाराओं के तहत केंद्र सरकार को सिफारिश करने का अधिकार दिया गया था।
Read Also: 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कॉमन एंट्रेस एग्जाम की मेरिट से मिलेगा प्रवेश
रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्तान हार्दिक पांड्या…
अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…
कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…
Leave a Comment