हलचल

मिलिए पद्म श्री प्रकाश राव से जिन्होंने चाय बेचते-बेचते गांव के बच्चों की जिंदगी बदली दी

बहुत से लोग अपने सपनों को पूरा करने के लिए अपनी पूरी जिंदगी बिता देते हैं। बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई और गला काटने वाली प्रतिस्पर्धा के इस दौर में अब हर किसी के लिए पैसा कमाना पहले से बहुत मुश्किल हो गया है। हम अक्सर सोचते हैं कि जब हम अपने सपनों की नौकरी करेंगे तो हम दान-धर्म जैसे काम करेंगे या हो सकता है कि जब हम एक अच्छे पैकेज वाली सैलरी लेंगे तब हम एक धर्मार्थ ट्रस्ट का हिस्सा बनेंगे।

एक बार जब हम अपने ऐसे लक्ष्यों को पूरा कर लेते हैं तो सामाजिक मुद्दों के लिए पीछे मुड़कर नहीं देखा जाता है जो कभी हमें बहुत अच्छे लगते थे। हालाँकि, आज हम जिसके बारे में बात करेंगे वो ओडिशा के देवरापल्ली प्रकाश राव हैं जो कटक के बक्शीबाजार में 40 साल से चाय बेच रहे हैं।

हाल में 59 साल के देवरपल्ली प्रकाश राव को झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वाले बच्चों के बीच शिक्षा के मूल्यों को बढ़ाने में उनके योगदान के लिए देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया है।

2018 से चाय बेचने वाले देवरापल्ली प्रकाश राव देश भर में सुर्खियां बटोर रहे हैं। वह पहली बार तब सुर्खियों में आए जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कटक में उनसे मिलने गए थे जिसके बाद पीएम ने अपने कार्यक्रम “मन की बात” में दौरान उनके काम का जिक्र किया था।

क्यों मिला राव को पद्म श्री ?

पिछले दो दशकों से राव 4 से 9 साल के 70 से अधिक झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वाले बच्चों की पढ़ाई के लिए अपनी आय का आधा हिस्सा लगा देते हैं। इन बच्चों में रिक्शा चालक, नगरपालिका कर्मचारियों और मजदूरों के बच्चे हैं, जिन्हें शिक्षा हासिल करने का विशेषाधिकार नहीं है।

राव ने 2000 में “आशा ओ अश्वस्ना” नाम से एक स्कूल की शुरुआत की जिसके बाद राव ने सुनिश्चित किया कि बच्चे अपराधों और शराबखोरी से दूर रहें और इसके बजाय उनका ध्यान पढ़ाई पर केंद्रित रहें।

पद्म श्री मिलने के बाद राव का कहना था कि “मैं इतने बड़े पुरस्कार के लायक नहीं हूं, लेकिन अगर लोग मेरे लिए यह पुरस्कार चाहते हैं, तो यह दूसरों के लिए प्रेरणा होगी”।

अपनी गरीबी के कारण दसवीं क्लास में स्कूल छोड़ चुके राव आज कईयों के लिए प्रेरणा हैं। इसके अलावा, उनके पास आठ अलग-अलग भाषाओं की एक मजबूत कमांड है।

शिक्षा के मुखर पैरोकार होने के अलावा, वह 1976 से एक सक्रिय ब्ल़ड डोनर भी रहे हैं। वहीं अपनी चाय बेचकर होने वाली आमदनी में से ही वह बच्चों को मिड-डे मील के रूप में दूध और बिस्किट खिलाते हैं और स्कूल की ड्रेस और जूते भी बांटते हैं।

sweta pachori

Leave a Comment

Recent Posts

रोहित शर्मा ने कप्‍तान हार्दिक पांड्या को बाउंड्री पर दौड़ाया।

रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्‍तान हार्दिक पांड्या…

7 months ago

राजनाथ सिंह ने अग्निवीर स्कीम को लेकर दिया संकेत, सरकार लेगी बड़ा फैसला

अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…

7 months ago

सुप्रीम कोर्ट का CAA पर रोक लगाने से इनकार, केंद्र सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…

8 months ago

प्रशांत किशोर ने कि लोकसभा चुनाव पर बड़ी भविष्यवाणी

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…

8 months ago

सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए नामित, PM मोदी बोले – आपका स्वागत है….

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…

8 months ago

कोलकाता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने थामा भाजपा दामन, संदेशखाली पर बोले – महिलाओं के साथ बुरा हुआ है…

कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…

8 months ago