भस्म से खेली जाने वाली ‘मसान’ होली है अद्भुत, जानिए इसके बारे में..

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Masan-Holi-Varanasi

होली के कितने रंग हो सकते हैं यह तो भारत के हर इलाके में जाकर देखा जा सकता है। हर क्षेत्र में अलग तरह की होली खेली जाती है। लेकिन क्या आपने ‘मसान’ होली देखी है, नहीं तो पहले यह वीडियो देखिए फिर आपको बताते हैं कि क्या है यह होली और इसके पीछे की पूरी कहानी…

चिता की भस्म से खेली जाती है मसान होली

दरअसल, वाराणसी में महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर हर साल कुछ अनूठा होता है। यहां भोलेनाथ के भक्त चिता की भस्म से होली खेलते हैं। इसे मृत्यु और मोक्ष का उत्सव माना जाता है। डमरुओं की गूंज में के साथ भक्त मणिकर्णिका घाट स्थित मसान नाथ मंदिर में आरती, पूजा कर भष्म अर्पित करते हैं।

बताया जाता है कि यह उत्सव औघड़दानी, मसान नाथ के साथ होली का है। मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन भोलेनाथ अपने भक्‍तों को महाश्‍मशान से आशीर्वाद देते हैं। बाबा अपने गणों के साथ महाश्मशान मणिकर्णिका पहुंचते हैं और गुलाल के साथ ही चिता भस्‍म से होली खेलते हैं। चूंकि बाबा को भष्म बहुत प्रिय है।

मसान होली के साथ जुड़ी है यह मान्यता

मान्यता है कि रंग भरी एकादशी के दिन बाबा भोलेनाथ मां गौरा का गौना कराकर अपने धाम लेकर आते हैं। बाबा देवी देवताओं और मनुष्यों संग होली खेलते हैं। लेकिन उनके प्रिय गण भूत प्रेत पिशाच, अदृश्य शक्तियां शामिल नहीं हो पाती, इसलिए बाबा दूसरे दिन मरघट पर उनके साथ मसान होली खेलते हैं। 16वीं शताब्दी में जयपुर के महाराजा मान सिंह ने मसान मंदिर का निर्माण करवाया था।

गौरतलब है कि इस मसान में 9, 5, 7, 11 मन लकड़ी से दहन किया जाता है। एक मन में चालीस किलो होता है। बिषम अंक को शुभ माना जाता है। पंच पल्लव आम, नीम, पीपल, बरगद और पाकड़ की लकड़ियों से चिता जलती है। ऊपर से छोटे चंदन की लकड़ी भी रखी जाती है। अनुमान के अनुसार, हर दिन यहां 80 से 100 शवों की चिता सजती है। 4000 किलो लकड़ियां तीर्थ पर जलती है।

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बताया जाता है कि भस्म से खेली जाने वाली यह होली इतनी अद्भभूत और अलग होती है कि हर देखने वाला दंग रह जाता है। खास बात यह है कि इस दौरान चिताएं भी जलती रहती हैं।

है ना भारत में हर रंग अनूठा…।

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