दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी विवाहित सरकारी कर्मचारी का दूसरी महिला के साथ रहने का मामला उसकी बर्खास्तगी की वजह नहीं बन सकता। कोर्ट ने मुताबिक काफी पारिवारिक मसले जो एक दौर में सार्वजनिक बहस का हिस्सा होते थे, वे अब निजी दायरे तक सीमित रह गए हैं। राजस्थान कैडर के एक आईपीएस अफसर की बर्खास्तगी रद्द करने के केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के निर्णय को बरकरार रखते हुए अदालत ने कहा, 50 साल पहले जो व्यवहार आश्चर्यजनक लगता था, वह अब सामान्य माना जाता है। जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ और जस्टिस अमित बंसल की खंडपीठ ने कहा, 50 साल पहले अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम बनने के बाद नैतिक मानकों में काफी बदलाव आया है।
2009 बैच के आईपीएस अफसर के शादीशुदा होने के बावजूद दूसरी महिला से संबंध रखने पर 2016 में आरोप-पत्र जारी हुआ था। फरवरी 2019 में अनुशासनात्मक प्राधिकरण ने उसे बर्खास्त कर दिया। दिसंबर 2020 में कैट ने प्राधिकरण के फैसले को खारिज कर दिया। इसके बाद, राजस्थान सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट का रूख किया था। सरकार ने तर्क दिया वह अफसर की सेवाएं जारी नहीं रखना चाहती क्योंकि उसने घोर गैर-जिम्मेदाराना और अभद्रपूर्ण कृत्य किया है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने माना, आईपीएस अधिकारी का कृत्य आईपीसी की धारा 494 के तहत दंडनीय अपराध है, लेकिन अफसर के खिलाफ ऐसी कोई शिकायत और आरोप दर्ज नहीं है। साथ ही कहा, दोनों के आपसी संबंध उसके आईपीएस नियुक्त होने के पहले से तनावपूर्ण थे और वे अलग रह रहे थे।
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