हिंदी फिल्मों के निर्देशक व दिग्गज अभिनेता मनोज कुमार आज 24 जुलाई को अपना 86वां जन्मदिन मना रहे हैं। उन्हें वर्ष 2015 में भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च पुरस्कार ‘दादा साहब फाल्के’ से सम्मानित किया गया। इससे पहले भारत सरकार ने वर्ष 1992 में मनोज कुमार को ‘पद्मश्री’ अवॉर्ड से नवाजा था। उन्हें देशभक्ति पर आधारित फिल्मों में अदाकारी के लिए ख़ासकर जाना जाता है। साथ ही निर्देशक के रूप में भी मनोज ने अपनी पहचान कायम कीं। देशभक्ति फिल्मों से उनके गहरे जुड़ाव के कारण ही बॉलीवुड में उन्हें ‘भारत कुमार’ उपनाम दिया गया। इस खास अवसर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
अभिनेता मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई, 1937 को अविभाजित भारत के एबटाबाद में हुआ था, जो वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित है। उनका असल नाम हरिकिशन गिरी गोस्वामी था। जब मनोज 10 वर्ष के थे, तब उन्हें विभाजन के समय अपने परिवार के साथ दिल्ली में शरण लेनी पड़ीं। उनका परिवार विजय नगर, किंग्सवे कैंप में शरणार्थी था। मनोज कुमार ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त ली। इसके बाद ही उन्होंने बॉलीवुड में अपना करियर बनाने का मन बना लिया था।
हरिकिशन गिरी गोस्वामी जब युवा थे तब वह स्टार अभिनेता दिलीप कुमार, अशोक कुमार और कामिनी कौशल के बड़े प्रशंसक हुआ करते थे। जब उन्होंने दिलीप कुमार अभिनीत फिल्म ‘शबनम’ (1949) देखी तो उनके किरदार के नाम पर ही स्वयं का नाम ‘मनोज कुमार’ रखने का फैसला कर लिया। इस तरह उन्होंने अपना नाम हरिकिशन गिरी गोस्वामी से बदलकर मनोज कुमार रख लिया।
अभिनेता मनोज कुमार ने वर्ष 1957 में फिल्म ‘फैशन’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया, जिसमें उन्होंने एक 80 वर्षीय आदमी की भूमिका निभाई थी। मनोज ने बॉलीवुड को कई ऐसी फिल्में दी और ऐसे किरदार निभाए हैं जो अमर हो गए। उन्होंने ज्यादातर देशभक्ति की भावनाओं से जुड़ी फिल्मों में काम किया। मनोज कुमार की देशभक्ति से जुड़ी फिल्मों को देखते हुए ही उनका नाम ‘भारत कुमार’ पड़ा। वह सिर्फ एक अच्छे एक्टर ही नहीं, बल्कि एक राइटर भी रहे हैं। उन्होंने ‘हरियाली और रास्ता’, ‘वो कौन थी’, ‘हिमालय की गोद में’, ‘दो बदन’, ‘उपकार’, ‘पत्थर के सनम’, ‘नील कमल’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘बेईमान, ‘रोटी कपडा और मकान’, ‘दस नंबरी’, ‘संन्यासी’ और ‘क्रांति’ जैसी फिल्मों में काम किया है, जिसमें उनके बहुमुखी अभिनय को हमेशा याद किया जाता रहेगा।
1960 के दशक में मनोज कुमार ने कई सफल फिल्मों में अभिनय किया। उनमें ‘अपना बना देखो’, ‘हनीमून’, ‘नक़ली नवाब’, ‘पत्थर के सनम’, ‘साजन’ और ‘सावन की घटा’ जोकि एक रोमांटिक फिल्म, जैसी प्रमुख फिल्में शामिल थीं। उन्होंने कई सामाजिक फिल्मों में भी काम किया जैसे ‘शादी’, ‘गृहस्थी’, ‘अपने हुए पराए’, वहीं थ्रिलर फिल्मों में ‘गुमनाम’, ‘अनिता’ और ‘वो कौन थी’ आदि। यदि कॉमेडी फिल्मों की बात करें तो उसमें ‘पिकनिक’ उनकी प्रमुख फिल्म थी। इस प्रकार मनोज कुमार ने बॉलीवुड में सभी प्रकार की फिल्मों में अपने अभिनय से दर्शकों को अपना दीवाना बना लिया था।
अभिनेता मनोज कुमार की छवि एक देशभक्त नायक के रूप में वर्ष 1965 में रिलीज हुई फिल्म ‘भगत सिंह’ से बनीं। यह फिल्म शहीद भगत सिंह की शहादत पर आधारित थी। वहीं, फिल्म ‘उपकार’ के बनने के पीछे का एक किस्सा ये है कि उस समय के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने मनोज कुमार को ‘जय जवान जय किसान’ नारे पर फिल्म बनाने को कहा। उनकी बात मानते हुए मनोज कुमार ने ‘उपकार’ फिल्म बनाईं। इसमें उन्होंने एक सैनिक और किसान दोनों की भूमिका निभाई थीं।
फिल्म ‘पूरब और पश्चिम’ (1970) भी देशभक्ति से प्रेरित एक फिल्म थी। वर्ष 1972 में उन्होंने फिल्म ‘बेईमान’ में अहम रोल निभाया, जिसके लिए उन्हें ‘सर्वश्रेष्ठ एक्टर’ का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। वर्ष 1981 में मनोज ने फिल्म ‘क्रांति’ का निर्देशन किया। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपर हिट साबित हुईं। इसके बाद उनके फिल्मी करियर का ग्राफ तेज़ी से गिरने लगा, क्योंकि उनकी फिल्में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही थीं।
अभिनेता मनोज कुमार ने बॉलीवुड से रिटायर होने के बाद वर्ष 2004 में राजनीति में प्रवेश किया। इस दौरान वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए।
अगर अभिनेता मनोज कुमार के निजी जीवन की बात करें तो उन्होंने शशि गोस्वामी से शादी की। इन दोनों के दो बेटे विशाल कुमार और कुणाल कुमार हैं। विशाल ने जहां सिंगर के रूप में अपना करियर चुना, वहीं कुणाल ने एक्टर को अपना पेशा बनाया है। एक दिलचस्प बात ये है कि मनोज के भाई राजीव गोस्वामी ने भी हिंदी फिल्मों में काम किया था, लेकिन वो बॉलीवुड में कोई बड़ा मुकाम हासिल नहीं कर पाए।
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