Majrooh Sultanpuri was imprisoned for two years for writing anti-govt poems.
हिंदी फ़िल्मों के मशहूर गीतकार और प्रसिद्ध शायर मजरूह सुल्तानपुरी ‘हमें तुमसे प्यार कितना’, ‘एक लड़की भीगी भागी सी’, ‘ओ मेरे दिल के चैन’, ‘चुरा लिया है तुमने जो दिल को’ जैसे सदाबहार गीतों के रचनाकार हैं। सुल्तानपुरी ने बतौर फिल्मी गीतकार खूब शोहरत और नाम कमाया। वो गीतकार होने के साथ ही एक अच्छे गज़लकार भी थे। 24 मई को मजरूह सुल्तानपुरी साहब की 23वीं डेथ एनिवर्सरी है। इस अवसर पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
हिंदी फिल्मों के लिए कई यादगार गानें लिखने वाले मजरूह सुल्तानपुरी का जन्म 1 अक्टूबर, 1919 को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में हुआ था। उन्होंने अपने जन्म स्थान ‘सुल्तानपुरी’ को बतौर सरनेम जोड़ लिया था। मजरूह सुल्तानपुरी का असली नाम असरारुल हक खान था। उनके पिता के जोर देने पर उन्होंने आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धति का अध्ययन किया। पर उनके मन में तो कुछ और करने का था, इसलिए वो पूरी तरह लेखन में डूब गए। इस दौरान उन्होंने अपने लिए एक नया नाम भी चुन लिया- मजरूह, जिसका अर्थ होता है घायल।
वर्ष 1945 में मुंबई में आयोजित एक मुशायरे के दौरान फिल्म निर्माता ए.आर. कारदार की नज़र उन पर पड़ी और उन्हें फिल्मों में लिखने के लिए मना लिया। इसके बाद वर्ष 1946 में उनकी फिल्म ‘शाहजहां’ के लिए मजरूह ने ही गाने लिखे थे। यहीं से उनका बॉलीवुड फिल्मों के लिए गीत लिखने का सिलसिला चल पड़ा।
मजरूह साहब का एक प्रसिद्ध शेर है-
‘मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर,
लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया।’
वर्ष 1949 में मजरूह सुल्तानपुरी पर सरकार विरोधी कविताएं लिखने के आरोप लगा और सरकार ने उन्हें जेल में डाल दिया। सुल्तानपुरी को सरकार इस शर्त छोड़ना चाहती थी कि अगर वह सरकार से लिखित माफी मांगते हैं तो उन्हें रिहा कर दिया जाएगा, परंतु वो भी अपनी जिद के पक्के थे। उन्होंने सरकार से किसी भी तरह की माफ़ी मांगने से इनकार कर दिया। इस तरह मजरूह साहब को अपनी जिंदगी के दो साल जेल में गुजारने पड़े, तब जाकर वो रिहा हो पाए।
जब मजरूह सुल्तानपुरी को गलतफहमी के कारण दो साल जेल की सजा मिली, तो उनका परिवार की आर्थिक हालत काफी खराब हो गई। उनके परिवार की ऐसी हालत में बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार राज कपूर मदद के लिए आगे आए। पर सुल्तानपुरी इतने खुद्दार थे कि उन्होंने किसी भी तरह की मदद लेने से इनकार कर दिया। इस पर राज कपूर ने हार नहीं मानी और इसका भी तोड़ निकाल लिया।
उन्होंने मजरूह से कहा वह उनके लिए एक गीत लिखें। इसके बाद उन्होंने प्रसिद्ध गाना ‘एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल’ लिखा और इस गीत के लिए राज कपूर ने उन्हें मेहनताने के रूप में एक हजार रुपये दिये। राज कपूर ने इस गाने को अपनी फिल्म ‘धरम करम’ में इस्तेमाल किया था।
मजरूह सुल्तानपुरी ने बॉलीवुड के लिए लगभग चार-पांच दशक तक काम किया था। इस दौरान उन्होंने तीन सौ से अधिक फिल्मों के लिए 4 हजार से ज्यादा गाने लिखें। उनके द्वारा लिखे गाने सदाबहार हैं और आज भी लोगों की जुबान पर सुनने को मिल जाते हैं। मजरूह साहब के मशहूर गानों में ‘तेरे मेरे मिलन की ये रैना’, ‘हमें तुमसे प्यार कितना’, ‘गुम है किसी के प्यार में’, ‘एक लड़की भीगी भागी सी’, ‘ओ मेरे दिल के चैन’, ‘चुरा लिया है तुमने जो दिल को’, ‘इन्हीं लोगों ने ले लीन्हा दुपट्टा मेरा’, ‘बाहों में चले आओ’, ‘हमसे सनम क्या पर्दा’ जैसे एक से बढ़कर एक शानदार और सुपरहिट गाने लिखे।
मजरूह साहब के लिए 1960 और 1970 का दशक उनके द्वारा लिखे गीतों का स्वर्णिम युग बनकर आया। इस काल में उन्होंने ‘चुरा लिया है तुमने’, ‘बांहों में चले आओ’, ‘हमसे क्या पर्दा’, ‘ऐसे न मुझे तुम देखो’, ‘अंग्रेजी में कहते हैं’ से लेकर ‘छोड़ो सनम’, ‘काहे का ग़म…’ तक हर बार नये अंदाज में दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाले गाने लिखे।
मजरूह सुल्तानपुरी हिंदी फिल्मों के अपने समय के प्रसिद्ध गीतकारों में से एक थे। उन्होंने कई संगीत निर्देशकों के साथ मिलकर एक से बढ़कर एक सुपरहिट गीत दिए। वर्ष 1964 में आई फिल्म ‘दोस्ती’ के यादगार गाने ‘चाहूंगा मैं तुझे सांझ सवेरे’ के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया था। वर्ष 1993 में मजरूह के लिए यादगार बनकर आया, जब उन्हें फिल्मों का सबसे प्रतिष्ठित ‘दादासाहब फाल्के पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है। वह बॉलीवुड के पहले ऐसे गीतकार थे, जिन्हें इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
बॉलीवुड के सदाबहार दिग्गज गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी निधन 24 मई 2000 को मुंबई में हुआ, लेकिन उनके गीतों ने उनको हमेशा के लिए अमर कर दिया।
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