ये हुआ था

जयंती: ‘अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है महात्मा गांधी का जन्मदिन

हर वर्ष 2 अक्टूबर को पूरी दुनिया में ‘अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ मनाया जाता है। इस दिन भारत के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले महात्मा गांधी का जन्मदिन आता है। आज 2 अक्टूबर को उनकी 151वीं जयंती है। गांधीजी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने पहली बार आजादी की लड़ाई को जन आंदोलन में तब्दील किया था, जिससे ब्रिटिश हुकूमत की नींव हिल गई थीं।

उनके नेतृत्व में देश की आजादी के लिए बड़े स्तर पर असहयोग, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो जैसे आंदोलन हुए। इन आंदोलनों में भारतीय जनता ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और स्वदेशी अपनाने, शराब की दुकानों पर धरने देने, चरखा चलाने जैसे कार्यक्रम आयोजित किए गए। यही नहीं महात्मा गांधी ने छूआछूत को दूर करने और हरिजनों का उत्थान के लिए भी कार्य किए। ऐसे में जयंती के अवसर पर जानते हैं उनके जीवन के बारे में कुछ ख़ास बातें..

महात्मा गांधी की छोटी उम्र में हुई शादी

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात राज्य के पोरबंर नामक शहर में हुआ था। उनके पिता करमचंद गांधी और माता पुत​लीबाई थी। उनके पिता ब्रिटिश काल में छोटी रियासत पोरबंदर के दीवान थे। महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनकी माता एक धार्मिक प्रवृत्ति की महिला और वैष्णव धर्म को मानती थी। इसका प्रभाव बालक मोहनदास पर भी पड़ा। वर्ष 1874 में उनके पिता ने राजकोट के छोटी रियासत पोरबंदर को छोड़ दिया और वह वहां के ठाकुर साहब के परामर्शदाता बन गए। वर्ष 1876 ​​में करमचंद राजकोट के दीवान बन गए।

जब मोहनदास 13 साल के थे तब उनका विवाह कस्तूरबा बाई मकनजी से कर दिया गया। जिसे कस्तूरबा कर दिया गया और लोग उसे प्यार से बा कहते थे। उनके चार पुत्र हुए। जिनमें हरिलाल गांधी, मणिलाल गांधी, रामदास गांधी और देवदास गांधी हैं। गांधी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में हुई। उन्होंने राजकोट से हाई स्कूल उत्तीर्ण की। वह औसत छात्र रहे थे। मैट्रिक उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने भावनगर के शामलदास कॉलेज से कुछ परेशानी के साथ उत्तीर्ण की। बाद में गांधी उच्च शिक्षा के लिए लंदन गए और वहां से बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त की। वह बंबई उच्च न्यायालय में वकालत करने लगे लेकिन असफल रहे थे। बाद में उन्होंने एक हाई स्कूल में पढ़ाने के लिए अर्जी लगाई लेकिन उसे अस्वीकार कर दिया गया। इसके बाद गांधी राजकोट में जरूरतमन्दों के लिए मुकदमें की अर्जियां लिखने लगे।

दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों के लिए किया संघर्ष

मोहनदास को वकालत में शुरूआती असफलता के बाद वर्ष 1893 में काठियावाड़ के दक्षिण अफ्रीका के एक मुस्लिम व्यवसायी दादा अब्दुल्ला के लिए वकालत करने दक्षिण अफ्रीका गए। वह दक्षिण अफ्रीका की कॉलोनी नेटाल गए जहां पर ब्रिटिश हुकूमत का शासन था। गांधी को यहां एक साल रहना था। इस दौरान गांधी को दक्षिण अफ्रीका में हो रहे भारतीयों के साथ भेदभाव का सामना करना पड़ा। उन्हें प्रथम श्रेणी के रेल कोच में वैध टिकट होने के बावजूद तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जबरदस्ती भेजा गया।

जब उन्होंने जाने से इन्कार किया तो उन्हे ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया। उन्होंने इस यात्रा के दौरान और भी अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वर्ष 1906 में दक्षिण अफ्रीका सरकार ने टांसवाल में रह रहे भारतीय जनता के पंजीकरण के लिए अपमानजनक अध्यादेश जारी किया। भारतीयों ने सितंबर 1906 में जोहान्सबर्ग में गांधी जी के नेतृत्व में एक जनसभा आयोजित की और इसका विरोध में सत्याग्रह किया।

स्वतंत्रता आंदोलन में गांधी का योगदान

महात्मा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोेलन में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्होंने भारतीय जन मानस को आंदोलनों के लिए तैयार किया था। गांधी 9 जनवरी, 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौट आए। गांधी ने पहले पूरे भारत का भ्रमण किया और जाना कि लोग आंदोलन करने के लिए कितने तैयार हैं। उनका भारत में पहला आंदोलन चम्पारण सत्याग्रह था। गांधी ने अंग्रेजों द्वारा लागू किए गए रॉलेट एक्ट कानून का विरोध किया। इस कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए जेल भेजने का प्रावधान था। उन्होंने जलियांवाला नरसंहार की आलोचना की और देश में अंग्रेजों के खिलाफ कई आंदोलन चलाए। उन्होंने अंग्रेज सरकार के प्रति असहयोग करने की अपील की और असहयोग आंदोलन शुरू किया।

हालांकि, इस आंदोलन में लोगों ने पूरे जोश से भाग लिया। गांधी जी इस आंदोलन को अहिंसात्मक रूप से सफल बनाना चाहते थे, लेकिन चौरा-चौरी नामक स्थान पर इस आंदोलन ने हिंसात्मक रूप धारण कर लिया जिससे महात्मा गांधी ने आंदोलन वापस ले लिया। अंग्रेज सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। यह आंदोलन ज्यादा सफल नहीं रह लेकिन इससे भारतीय जन सामान्य को जोड़ा गया और उन्होंने इसमें अपनी भागीदारी निभाई थी। इसके बाद गांधी ने भारतीय स्‍वतंत्रता के लिए किए जाने वाले कई आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडी मार्च और भारत छोड़ो जैसे आंदोलनों का नेतृत्व किया। इस तरह भारत को उनके प्रयासों और जन सामान्य की भागीदारी से देश को 15 अगस्‍त 1947 को अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिल गई।

महात्मा गांधी का निधन

महात्मा गांधी की नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने 30 जनवरी, 1948 को गोली मारकर हत्या कर दी थी।

अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 15 जून, 2007 को 2 अक्टूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया। तब से 2 अक्टूबर का दिन पूरी ​दुनिया में मनाया जाता है।

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Rakesh Singh

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