कंजरभाट समुदाय की नई दुल्हन बनी महिलाओं पर किए जा रहे एक ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ के मामलों पर कार्रवाई के बीच राज्य सरकार ने बुधवार को कहा कि वह जल्द ही यह पुख्ता करने के लिए कदम उठाएगी कि ऐसी शिकायतों को यौन उत्पीड़न के मामलों के रूप में माना जाए।
गृह राज्य मंत्री रंजीत पाटिल ने कंजरभट समुदाय के कार्यकर्ताओं के एक समूह को आश्वासन दिया जो इस प्रथा के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। कहा गया कि अगर किसी महिला का जबरन “वर्जिनिटी टेस्ट” करवाया जाता है तो उसकी शिकायत के लिए वे सभी पुलिस स्टेशनों पर निर्देश देंगे।
मंत्री ने प्रचारकों से यह भी कहा कि सामाजिक बहिष्कार का मामला अगर किसी जाति पंचायत द्वारा सामने आता है तो इसके लिए वे जिला स्तर पर रिव्यू होगा और इन पंचायतों पर भी एक्शन लिया जाएगा।
वर्जिनिटी टेस्ट नव-विवाहित महिला का एक प्रकार का यौन उत्पीड़न होगा। यदि वर्जिनिटी टेस्ट की घटना में पीड़ित शिकायत दर्ज करने के लिए तैयार है तो इसे यौन उत्पीड़न का मामला माना जाएगा और जांच एजेंसी के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
इस संबंध में शिकायतें संबंधित पुलिस उपायुक्तों (DCPs) या महिला के खिलाफ अपराध के साथ दर्ज की जा सकती हैं। कानूनी सेवा प्राधिकरण पीड़ितों को आवश्यक सहायता प्रदान करेगा। बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई। मंत्री ने इस संबंध में एक अधिसूचना जारी करने पर सहमति व्यक्त की है।
कंजरभाट समुदाय के कुछ युवा सदस्यों ने प्रथा के खिलाफ एक व्हाट्सएप समूह के माध्यम से अभियान चलाया था जिसमें एक नव-विवाहित महिला को कथित तौर पर शादी की रात को अपनी वर्जिनिटी का सबूत देने के लिए कहा गया था।
हालांकि राज्य सरकार ने कंजरभाट समुदाय के कार्यकर्ताओं के प्रयास का जवाब दिया है ताकि वर्जिनिटी टेस्ट को रोकने के लिए कार्रवाई शुरू की जा सके लेकिन ऐसा तब बहुत कम होता है जब तक कोई पीड़ित वास्तव में शिकायत दर्ज नहीं करता है। अब तक, कोई भी पीड़ित पुलिस या किसी अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसी के साथ औपचारिक शिकायत करने के लिए आगे नहीं आया है।
दूसरी तरफ, समुदाय की कुछ महिलाओं ने ही इन कार्यकर्ताओं के खिलाफ प्रदर्शन किया था। मुंबई में मंत्रालय में आयोजित मीटिंग में जाति पंचायतों द्वारा किए जाने वाले अत्याचारों से संबंधित घटनाओं पर चर्चा भी शामिल थी। गोरहे ने कहा कि सामाजिक बहिष्कार और जाति पंचायतों द्वारा उत्पीड़न के मुद्दे अक्सर दिखाई देते हैं। और ये पंचायतें अक्सर उनके समुदाय में गलत प्रथाओं को प्रोत्साहित करते हुए पाई जाती है। तो इन पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
स्टॉप द वी रिचुअल नाम का एक ग्रुप था और इसी केम्पन का के व्हाट्सएप ग्रुप वर्जिनिटी टेस्ट के खिलाफ मुहिम चल रही थी। इंडियन एक्सप्रेस ने पहले “वर्जिनिटी टेस्ट” के खिलाफ ‘स्टॉप द वी-रिचुअल’ व्हाट्सएप ग्रुप के सदस्यों द्वारा शुरू किए गए आंदोलन के बारे में रिपोर्ट की थी।
सिद्धार्थ दशरथ इंद्ररेकर जो इसी ग्रुप से जुड़े हुए थे उन्होंने 25 नवंबर, 2017 को विश्रांतवाड़ी पुलिस स्टेशन में जाति पंचायत के खिलाफ शिकायत की थी। इसके बाद, व्हाट्सएप ग्रुप के सदस्यों पर हमले और उनके वाहनों को नुकसान पहुंचाने वाली घटनाओं की वारदातों के बारे में भी पुलिस को जानकारी दी गई। पिछले महीने भी, इंद्रेकर ने आरोप लगाया था कि कंजरभाट समुदाय के शिक्षित विवाहित जोड़ों के दो मामले थे जिन्हें जाति पंचायत द्वारा एक वर्जिनिटी टेस्ट से गुजरने के लिए मजबूर किया गया था।
आज 21 वीं सदी में आने के बाद भी ये समुदाय अपने कुछ गलत मान्यताओं के लिए जाना जाता है। खाली यही नहीं पूरे भारत में ऐसे कई समुदाय हैं जो प्रथाओं के जाल में अभी भी फंसे हुए हैं। महाराष्ट्र में कंजारभाट, गुजरात में छारा, पश्चिम बंगाल में कूचा, राजस्थान में कंजर या नट, मध्यप्रदेश में बांछडा या भान्तु और पंजाब, हरियाणा, दिल्ली के क्षेत्र में सांसी आदि के आलावा जादूगर, बाजीगर, बेड़िया आदिनामों से भी ये जाने जाते हैं।
कंजरभाट समुदाय की यह मान्यता रही है कि शादी के बाद पहली रात को लड़की के “चरित्र” को जांचने के लिए सफेद चादर दी जाती है। इसके बाद यह जांचा जाता है कि खून निकला है या नहीं। इसे बकायदा जांच की जाती है और अगर खून मिलता है तो एक “गर्व” वाली फीलिंग ली जाती है। इसके अलावा अगर ऐसा नहीं होता है तो लड़की को जाति पंचायत को सौंपा जाता है जहां पर पंचायत कार्यवाही करता है।
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