Magic writer Durga Prasad Khatri did work of carrying forward the tradition of his father.
हिन्दी के मशहूर तिलिस्मी उपन्यासकार देवकीनंदन खत्री के बेटे व उनकी परंपरा को आगे बढ़ाने वाले प्रख्यात उपन्यासकार दुर्गा प्रसाद खत्री की आज 5 अक्टूबर को 49वीं पुण्यतिथि है। उन्होंने अपने जीवन काल में अनेक प्रसिद्ध कहानियां और उपन्यास लिखे। दुर्गाप्रसाद खत्री ने अपने पिता की तरह ही तिलस्मी एवं ऐय्यारी के अलावा जासूसी, सामाजिक व अद्भुत, किंतु संभावित घटनाओं पर आधारित उपन्यासों की रचना कीं। उनकी रचनाओं को आज भी पाठक बड़े चाव से पढ़ते हैं। इस अवसर पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
प्रसिद्ध उपन्यासकार दुर्गा प्रसाद खत्री का जन्म 12 जुलाई, 1895 को उत्तरप्रदेश के वाराणसी में जाने-माने तिलस्मी उपन्यासकार देवकीनन्दन खत्री के घर में हुआ था। दुर्गा प्रसाद ने वर्ष 1912 में विज्ञान और गणित में विशेष योग्यता के साथ स्कूल लीविंग परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद उन्होंने लेखन के क्षेत्र में करियर बनाया। उनके उपन्यास चार प्रकार के हैं- तिलस्मी एवं ऐय्यारी, जासूसी उपन्यास, सामाजिक और अद्भुत किंतु संभाव्य घटनाओं पर आधारित उपन्यास।
दुर्गा प्रसाद ने तिलस्मी उपन्यास में अपने पिता देवकीनंदन खत्री की परंपरा का तो निवर्हन किया ही, साथ ही उसे बड़ी सूक्ष्मता के साथ आगे बढ़ाने का भी काम किया। उनके जासूसी उपन्यासों पर आजादी के दौरान राष्ट्रीय भावना और क्रांतिकारी आंदोलन का प्रभाव दृष्टिगत होता है। सामाजिक उपन्यास प्रेम के अनैतिक रूप के दुष्परिणाम उद्घाटित करते हैं। दुर्गा प्रसाद के लेखन का महत्व इस संदर्भ में भी है कि उन्होंने जासूसी वातावरण में राष्ट्रीय और सामाजिक समस्याओं को बेहतर तरीक से प्रस्तुत किया।
ख्यातनाम उपन्यासकार देवकीनंदन खत्री ने अपने उपन्यास ‘चन्द्रकान्ता सन्तति’ के एक पात्र को नायक बना कर ‘भूतनाथ’ उपन्यास को लिखना शुरू किया था, किंतु असामायिक मृत्यु के कारण वह इस उपन्यास के केवल छह भाग ही पूरे कर पाए थे। बाद में उनके बेटे दुर्गा प्रसाद खत्री ने बाकी शेष पंद्रह भाग लिख कर इस उपन्यास को पूरा किया। ‘भूतनाथ’ भी कथावस्तु का अंतिम खंड़ नहीं है। इसके अगले खंड के रूप में दुर्गा प्रसाद खत्री लिखित ‘रोहतास मठ’ (दो खंडों में) आता है।
हिंदी के नामी उपन्यासकारों में से एक दुर्गा प्रसाद खत्री ने अपने पूरे जीवन काल में करीब 1500 कहानियां, 31 उपन्यास व हास्य प्रधान लेख विधाओं से पाठकों तक अपने विचार पहुंचाए। एक दिलचस्प बात ये है कि दुर्गा प्रसाद ने ‘उपन्यास लहरी’ और ‘रणभेरी’ नामक दो पत्रिकाओं के सम्पादन का कार्य भी किया था।
तिलस्मी ऐय्यारी उपन्यास
उपन्यासकार दुर्गा प्रसाद खत्री द्वारा लिखित ‘भूतनाथ’ और ‘रोहतास मठ’ तिलस्मी ऐय्यारी विधा के प्रमुख उपन्यास हैं। उन्होंने इनमें अपने पिता की परंपरा को जीवित रखने का ही प्रयत्न नहीं किया, बल्कि उनकी शैली का इस सूक्ष्मता से अनुकरण किया है कि यदि नाम न बताया जाए तो सहसा यह कहना संभव नहीं कि ये उपन्यास देवकीनंदन खत्री ने नहीं, बल्कि किसी दूसरे व्यक्ति ने लिखे हैं।
जासूसी उपन्यास
नॉवलिस्ट दुर्गा प्रसाद ने स्वतंत्रता काल में देश की आजादी की लड़ाई से प्रेरित होकर कई जासूसी उपन्यास लिखे। ’प्रतिशोध’, ‘लालपंजा’, ‘रक्तामंडल’, ‘सुफेद शैतान’ जासूसी उपन्यास होते हुए भी राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत हैं और भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन को प्रतिबिंबित करते हैं। सुफेद शैतान में समस्त एशिया को मुक्त कराने की मौलिक उद्भावना की गई है। शुद्ध जासूसी उपन्यास हैं- ‘सुवर्ण-रेखा’, ‘स्वर्गपुरी’, ‘सागर सम्राट् साकेत’, ‘कालाचोर’ आदि। इन उपन्यासों में उन्होंने विज्ञान के तथ्यों के साथ जासूसी कला को विकसित करने का प्रयास किया है।
सामाजिक उपन्यास
इस रूप में दुर्गा प्रसाद खत्री का अकेला उपन्यास ‘कलंक कालिमा’ है, जिसमें प्रेम के अनैतिक रूप को लेकर उसके दुष्परिणाम को उद्घाटित किया गया है। बलिदान को भी सामाजिक चरित्र प्रधान उपन्यास कहा जा सकता है, किंतु उसमें जासूसी की प्रवृत्ति काफ़ी मात्रा में झलकती है।
जूनियर खत्री की कहानियों का एकमात्र संग्रह ‘माया’ है। ये कहानियां सामाजिक नैतिक हैं। उनकी साहित्यिक महत्ता यह है कि उन्होंने देवकीनंदन खत्री और गोपालराम गहमरी की ऐय्यारी जासूसी-परंपरा को तो आगे बढ़ाया ही, साथ ही सामाजिक व राष्ट्रीय समस्याओं को जासूसी वातावरण के साथ प्रस्तुत कर एक नई परंपरा को विकसित करने की चेष्टा की।
हिंदी के महान उपन्यासकार दुर्गा प्रसाद खत्री ने 5 अक्टूबर, 1974 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
Read: ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने बंगाली वर्णमाला को पुन: निर्मित करने का किया था काम
रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्तान हार्दिक पांड्या…
अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…
कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…
Leave a Comment