विधानसभा चुनावों के नतीजे सभी के सामने हैं। तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकारें बन रही हैं। ऐसे में राजस्थान और मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री को लेकर होड़ जारी है। वहां गहलोत और पायलट के अलग अलग खेमे तैयार हो चुके हैं। बहरहाल कांग्रेस काफी उत्साहित लग रही है।
राहुल गांधी को भी चारों तरफ से तारीफें मिल रही है। सत्ता धारी सरकार को छोड़कर विपक्ष पर अपनी टीवी डिबेट करने वालों को भी राहुल गांधी की तारीफें करनी पड़ रही हैं। बात यहां मध्य प्रदेश की है। वहां पर बीजेपी और कांग्रेस का मुकाबला काफी नजदीकी रहा। ऐसे में कांग्रेस को वहां उतना खुश नहीं होना चाहिए।
ईवीएम इसीलिए पावर में आई क्योंकि इससे जल्दी से मतदान गणना हो जाती है। ऐसे में मध्य प्रदेश में कुछ और ही देखने को मिला। 11 दिसंबर के अगले दिन तक सीटों की हेरा फेरी लगी रही। 230 सीटों पर मतदान गणना हुई थी। कभी कांग्रेस आगे और कभी भाजपा आगे।
और फिर लास्ट में कांग्रेस 114 और भाजपा 109 पर रूकी। पूर्ण बहुमत से दोनों ही दूर रहे। दोनों ही पार्टियों की वोट शेयर की बात करें तो वह भी काफी नजदीकी रहा।
देखने लायक यह रहा कि कई सीटों पर वोटों की गिनती भी काफी नजदीकी रही। ऐसी 10 सीटें मध्य प्रदेश में रहीं जहां पर वोट अंतर 1000 से भी कम था। जिसमें से कांग्रेस ने 7 सीटों पर जीत दर्ज की और वहीं बीजेपी ने 3 सीटों पर। देखा जाए तो मुकाबला काफी कांटे का रहा।
अगर ये 7 सीटें भाजपा के पास जाती तो भाजपा सरकार बनाती वहीं अगर तीन सीटें कांग्रेस के पास जाती तो कांग्रेस अपने दम पर सरकार बनाती। इन सीटों पर भाजपा हार का जोखिम नहीं उठा सकती थी इसीलिए बार बार काउंटिंग की जा रही थी। इसी के कारण काउंटिंग में काफी वक्त लगा।
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