Madhavrao Scindia won the first election at the age of 26, Jana Sangh gave him ticket.
ग्वालियर राजघराने के सदस्य, पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे माधवराव सिंधिया 90 के दशक में देश के सबसे प्रसिद्ध राजनेताओं में से एक थे। उनकी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट से गहरी दोस्ती थी। राजपरिवार से ताल्लुक रखने वाले सिंधिया की आम लोगों के बीच अच्छी पैठ रहीं। उन्हें लगातार 9 बार लोकसभा चुनाव जीतने का गौरव हासिल था। 10 मार्च को माधवराव सिंधिया की 78वीं जयंती है। इस अवसर पर जानिए माधवराव सिंधिया के जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
माधवराव सिंधिया का जन्म 10 मार्च, 1945 को ब्रिटिश-इंडिया के वक़्त बॉम्बे प्रेसीडेंसी में हुआ था। उनके पिता जीवाजीराव सिंधिया ग्वालियर रियासत के अंतिम महाराजा और मां प्रसिद्ध राजनेत्री व समाजसेवी विजयाराजे सिंधिया थीं। माधवराव की प्रारंभिक शिक्षा सिंधिया स्कूल ग्वालियर में हुई। इसके बाद वे उच्च शिक्षा की पढ़ाई के लिए न्यू कॉलेज, ऑक्सफ़ोर्ड चले गए थे। माधवराव ने विनचेस्टर कॉलेज से अपनी शिक्षा पूरी की। ब्रिटेन से लौटने के बाद माधवराव सिंधिया ने अपनी मां विजयाराजे का अनुसरण करते हुए राजनीति में उतर गए और राजनीतिक पार्टी ज्वॉइन कर ली।
माधवराव सिंधिया के राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत वर्ष 1971 में हुई। उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव मात्र 26 साल की उम्र में गुना संसदीय क्षेत्र से जीता था। वे पहला चुनाव जनसंघ के टिकट पर लड़े। साल 1977 के आम चुनाव में माधवराव ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप से ग्वालियर का चुनाव लड़ा। उनके लिए यह चुनाव जीतना थोड़ा मुश्किल लग रहा था, जिसके बाद राजमाता विजयाराजे सिंधिया को उनके पक्ष में अपील करनी पड़ी। इस चुनाव में माधवराव अकेले ऐसे प्रत्याशी थे, जो मध्यप्रदेश की 40 लोकसभा सीटों में से एक पर निर्दलीय विजयी हुए थे, जबकि बाकी सीटों पर जनसंघ को जीत मिलीं। इसके बाद उन्होंने राजनीति में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
माधवराव लगातार 9 बार लोकसभा चुनाव जीता। वे ग्वालियर या गुना जिस भी सीट से मैदान में उतरे उन्हें जीत मिलीं। माधवराव ने वर्ष 1979 में अपनी मां राजमाता विजयाराजे सिंधिया के विपरीत जाकर कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन कर ली थी। इसे लेकर राजमाता और माधवराव के बीच कटुता भी आईं। यहां तक कि मां-बेटे कई वर्षों तक आपसी बातचीत से भी दूर रहे। वर्ष 1984 के लोकसभा चुनाव में माधवराव सिंधिया ने पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को ग्वालियर सीट से रिकॉर्ड मतों के अंतर से हराया था। जबकि गुना सीट से तीन बार चुनाव जीत चुके माधवराव को कांग्रेस ने ग्वालियर से अंतिम समय में अटलजी के सामने मैदान में उतारा था।
माधवराव सिंधिया दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए थे। वाकया उस दौरान का है जब साल 1989 में चुरहट कांड के चलते अर्जुन सिंह पर इस्तीफ़े का दबाव बढ़ा तो राजीव गांधी की इच्छा तत्कालीन रेलमंत्री सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाने की थी। उधर, अर्जुन इस्तीफ़ा न देने की बात पर अड़े हुए थे। माधवराव भोपाल में अपने मुख्यमंत्री बनने का इंतजार करते रहे, लेकिन अंतत: एक समझौते के तहत मोतीलाल वोरा को मुख्यमंत्री बना दिया गया। दूसरी बार वर्ष 1993 में जब दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री बने, उस वक़्त सिंधिया का नाम भी लिस्ट में टॉप पर था। हालांकि, एक बार फ़िर अर्जुन गुट कामयाब रहा और दिग्विजय सिंह को एमपी का मुख्यमंत्री बनवा दिया। इस तरह माधवराव दूसरी बार मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए थे।
दिलचस्प बात है कि माधवराव सिंधिया और संजय गांधी को प्लेन उड़ाने का जबरदस्त शौक था। ये दोनों ही नेता सफदरजंग हवाई पट्टी पर प्लेन उड़ाने जाते थे। उस वक़्त संजय गांधी के पास नया लाल रंग का हवाई जहाज पिट्स एस-2ए वापस आया था, क्योंकि इस विमान को जनता पार्टी की सरकार ने जब्त कर लिया था। इस जहाज को संजय और माधवराव उड़ाने वाले थे, लेकिन सुबह सिंधिया की नींद नहीं खुल पाई और अकेले संजय उसे उसे उड़ाने पहुंच गए। उस सुबह संजय गांधी का प्लेन दुर्घटनाग्रस्त हो गया और इस हादसे में उनकी मृत्यु हो गई थी।
इसके करीब 20 साल और चार महीने बाद माधवराव सिंधिया की भी विमान दुर्घटना में मौत हो गई। उनका निधन 30 सितंबर, 2001 को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में एक विमान दुर्घटना में हुआ था। वे 8 सीटर सेसना सी-90 विमान से कानपुर में एक चुनावी सभा का संबोधित करने जा रहे थे। यह विमान बिजनेसमैन नवीन जिंदल का था। सिंधिया के साथ इस हादसे में चार पत्रकार भी मारे गए थे।
माधवराव सिंधिया का पूरा परिवार राजनीति से जुड़ा हुआ है। उनकी एक बहन वसुंधरा राजे राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। माधवराव की दूसरी बहन यशोधरा राजे सिंधिया व बेटा ज्योतिरादित्य सिंधिया भी सक्रिय राजनीति से जुड़े हुए हैं। ज्योतिरादित्य अपने पिता माधवराव की विरासत को आगे बढ़ाते हुए गुना लोकसभा सीट से लगातार चार बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते, लेकिन वर्ष 2019 के आम चुनाव में उन्हें भाजपा प्रत्याशी किशनपाल सिंह यादव के सामने पहली बार हार का सामना करना पड़ा।
हालांकि, कांग्रेस पार्टी नेतृत्व के प्रति लंबे समय से चल रही नाराजगी के बाद साल 2020 में अपने पिता माधवराव की जयंती के अवसर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। इसके बाद उन्हें भारतीय जनता पार्टी ने मध्यप्रदेश से राज्यसभा में भेजा। जुलाई 2021 में हुए मोदी कैबिनेट के विस्तार में जूनियर सिंधिया को नागरिक उड्डयन मंत्री बनाया गया है।
राजस्थान की पहली महिला CM होने का गौरव हासिल है वसुंधरा राजे को, राजपरिवार में हुआ जन्म
रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्तान हार्दिक पांड्या…
अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…
कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…
Leave a Comment