Lyricist Shailendra who wrote more than 900 Bollywood songs was a versatile genius.
सर्वश्रेष्ठ गीतकार का तीन बार ‘फिल्मफेयर अवॉर्ड’ जीतने वाले गीतकार शैलेन्द्र की आज 99वीं जयंती है। वर्ष 1950-60 के दशक में बॉलीवुड को सैकड़ों सदाबहार नगमें देने वाले शैलेन्द्र साहब का जन्म 30 अगस्त, 1923 को अविभाजित भारत के रावलपिंड़ी में हुआ था। (उनके जन्म स्थान को पहले पिंडी नाम से भी जाना जाता था, जो अब पाकिस्तान में आता है)। शैलेंद्र का जन्म मूल रूप से एक बिहारी दलित परिवार में हुआ था। उनके पूर्वज बिहार के आरा जिले स्थित अख़्तियारपुर के मूल निवासी थे। बाद में काम के सिलसिले में उनका परिवार रावलपिंडी जाकर बस गया था। शैलेन्द्र के दादाजी और पिताजी रावलपिंडी में रेलवे कांट्रेक्टर हुआ करते थे। इस खास मौके पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
मंदिर में भजन गाना शैलेन्द्र ने पिंडी में ही सीखा था। फिर जब वहां बुरा वक़्त शुरू हुआ तो उनका परिवार उत्तर प्रदेश के मथुरा में आकर रहने लगा। यहां उनका लालन-पालन और पढ़ाई हुईं। वह जब बढ़े हो रहे थे तो उन्हें गीत और भजन लिखने का शौक़ परवान चढ़ा। बाद में तो शैलेंद्र हिंदी फिल्मों के मशहूर गीतकार बनकर उभरे।
ईश्वर में यकीन करने वाले शैलेन्द्र ने अपने सामने अपनी मां और बहन को असमय बीमारी की वजह से काल का ग्रास बनते देखा था। इन घटनाओं ने उन्हें भगवान से दूर कर दिया और भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में रहते हुए भी वो भगवान से नाराज़ रहने लगे थे। दलित परिवार में जन्मे शैलेन्द्र जब एक दिन हॉकी खेल रहे थे तो किसी ऊंची जाति के व्यक्ति ने ताना मारा- अब ये भी हॉकी खेलेंगे। गुस्सैल स्वभाव के शैलेंद्र ने इससे आहत होकर अपनी हॉकी स्टिक तोड़ दी और इस घटना के बाद फिर कभी हॉकी को हाथ नहीं लगाया।
समाज की वर्ण व्यवस्था से दुखी होकर शैलेन्द्र वर्ष 1947 में मुंबई (बॉम्बे) आ गए थे। यहां आकर उन्होंने माटुंगा रेलवे यार्ड में अप्रेंटिस के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। मगर समय के पहिये ने उनके कविता लेखन कार्य को छूटने नहीं दिया। जब भी ख़ाली वक़्त मिलता शैलेन्द्र कविता लिखते रहते और शाम को प्रगतिशील लेखकों की संस्था में जाकर अपनी कविता सुनाया करते थे। बाद में वह नामी गीतकार बन गए। बहुप्रतिभा के धनी शैलेंद्र हिंदी-उर्दू लिरिसिस्ट होने के साथ ही शायर, कवि, लेखक, म्यूजिक डायरेक्टर और प्लेबैक सिंगर भी थे।
सन् 1947 में देश विभाजन की त्रासदी से आहत होकर शैलेन्द्र ने कविता ‘जलता है पंजाब’ लिखी थी। इस कविता ने फिल्मकार राज कपूर पर बड़ा गहरा प्रभाव डाला। वो शैलेन्द्र के पास पहुंच गए और उनसे कहा कि वो पृथ्वीराज कपूर के बेटे हैं और फिल्म बना रहे हैं ‘आह’। क्या शैलेन्द्र अपनी कविता उन्हें बेचेंगे? स्वभाव में तल्ख़ी रखने वाले शैलेंद्र ने दो टूक जवाब दिया कि मेरी कविता बेचने के लिए नहीं हैं। राजकपूर मुस्कुराए और एक कागज़ पर अपना नाम व पता उन्हें देकर वापस अपने घर चले आए।
यह वह वक़्त था जब शैलेन्द्र साहब का संघर्ष जारी था। इस दौरान ही उनके पुत्र शैली शैलेंद्र का जन्म हो गया था। उनके पास परिवार के खर्चें उठाने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे। संघर्ष यात्रा पर चल रहे शैलेंद्र ने बहुत सोचने के बाद राज कपूर से संपर्क किया। बिना किसी सोच के राज ने उन्हें गाने लिखने को कहा और पारिश्रमिक के रूप में 500 रुपए दे दिए। उन्होंने गाने लिखे थे, ‘पतली कमर है तिरछी नज़र है’ और ‘बरसात में हम से मिले तुम सजन।’ यह राज कपूर, शंकर-जयकिशन, हसरत जयपुरी और शैलेन्द्र की चौकड़ी की साथ काम करने की शुरुआत थी।
हिंदी फिल्मों के लिए 900 से ज्यादा गाने लिखने वाले शैलेन्द्र साहब ने अपने फिल्मी करियर में कई हिट नंबर्स दिए। इनमें ‘ये मेरा दीवानापन है’, ‘प्यार हुआ इक़रार हुआ’, ‘ख़ोया ख़ोया चांद’, ‘मेरा जूता है जापानी’, ‘आज फ़िर जीने की’, ‘गाता रहे मेरा दिल’, ‘रमैया वस्तावैया’, ‘तू प्यार का सागर है’ जैसी बेहतरीन गाने शामिल हैं। शैलेंद्र साहब का निधन महज़ 43 वर्ष की उम्र में 14 दिसम्बर, 1966 को हो गया।
Read Also: रिकॉर्ड बीस फिल्मफेयर व 5 बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुके हैं गुलज़ार साहब
रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्तान हार्दिक पांड्या…
अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…
कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…
Leave a Comment