भाजपा के वरिष्ठ नेता व देश के पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी आज अपना 96वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनका जन्म एकीकृत हिंदुस्तान के कराची शहर में 8 नवंबर, 1927 को एक सिंधी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम किशनचंद आडवाणी व माता का नाम ज्ञानी देवी था। एलके आडवाणी के पिता बिजनेसमैन हुआ करते थे। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा कराची के सेंट पैट्रिक हाई स्कूल में ली थी। दिलचस्प बात ये है कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ भी इसी स्कूल में पढ़े हैं। कराची के बाद आडवाणी ने सिंध के हैदराबाद स्थित डीजी नेशनल स्कूल में प्रवेश लिया। वर्ष 1944 में उन्होंने कराची के मॉडल हाईस्कूल में बतौर टीचर नौकरी भी कीं। इस खास अवसर पर जानिए एलके आडवाणी के जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
हिंदुस्तान के वर्ष 1947 में हुए विभाजन के वक़्त लालकृष्ण आडवाणी का परिवार वहां से मुंबई आकर बस गया। आडवाणी ने यहां आकर लॉ कॉलेज ऑफ द बॉम्बे यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई कीं। उन्हें शुरू से ही चॉकलेट, फिल्मों और क्रिकेट का बहुत शौक़ रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज हर साल आडवाणी के जन्मदिन पर उनके लिए चॉकलेट्स लेकर जाती थीं। एलके आडवाणी की पत्नी का नाम कमला आडवाणी हैं। इन दोनों की दो संतानें हैं। उनके बेटे का नाम जयंत आडवाणी और बेटी का नाम प्रतिभा है।
राजनीति से संन्यास ले चुके लालकृष्ण आडवाणी के राजनीतिक करियर की शुरुआत वर्ष 1942 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक यानि आरएसएस के वालंटियर के तौर पर हुई थी। वर्ष 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ पार्टी की स्थापना की थी। आडवाणी भी इसके सदस्य के तौर पर जुड़ गए थे। बाद में उन्हें राजस्थान में जनसंघ के जनरल सेक्रेटरी एस.एस. भंडारी का सचिव बनाया गया। उसके बाद आडवाणी वर्ष 1957 में दिल्ली आ गए और कुछ समय बाद ही उन्हें जनसंघ की दिल्ली इकाई का सचिव बनाया गया।
एलके आडवाणी इसके बाद जनसंघ के अध्यक्ष चुने गए। वे वर्ष 1973 से वर्ष 1977 तक भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष रहे। साल 1980 में भारतीय जनता पार्टी यानि बीजेपी की स्थापना हुई और जनसंघ को इसमें मिला लिया गया। आडवाणी आज विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन चुकी बीजेपी के सह-संस्थापक हैं। लालकृष्ण आडवाणी वर्ष 1986 तक भाजपा के महासचिव रहे। इसके बाद साल 1986 से वर्ष 1991 तक पार्टी के अध्यक्ष पद रहे।
भाजपा फाउंडर मेंबर लाल कृष्ण आडवाणी वर्ष 1970 में पहली बार राज्यसभा के सांसद बने थे। आडवाणी को साल 2002 से 2004 के बीच अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार में भारत का उप-प्रधानमंत्री बनाया गया। वे देश के सातवें वाइस पीएम बने थे। इससे पहले एलके आडवाणी वर्ष 1998 से 2004 के बीच एनडीए सरकार में गृहमंत्री पद पर रहे। आडवाणी ने 10वीं और 14वीं लोकसभा के दौरान विपक्ष के नेता की भूमिका बखूबी निभाई। साल 2015 नें लालकृष्ण आडवाणी को भारत के दूसरे बड़े नागरिक सम्मान ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया। इसी साल 2019 के चुनाव में उन्होंने चुनाव न लड़ने का निर्णय लेते हुए राजनीति से संन्यास ले लिया।
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