LJP divided into two factions, Election Commission approved as separate party.
लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के दो धडों के बीच चल रहा विवाद आखिरकार अलग-अलग पार्टी बनने के बाद खत्म होने की दिशा में बढ़ गया है। निर्वाचन आयोग ने दो धड़ों में बंटी एलजेपी को अलग-अलग पार्टी के तौर पर मंगलवार को मंजूरी दे दी। उपचुनाव तक चिराग पासवान के नेतृत्व वाली पार्टी का नाम लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) होगा। एलजेपी(आर) काे आयोग ने हेलिकॉप्टर चुनाव चिन्ह दिया है। वहीं, चिराग के चाचा तथा स्वर्गीय रामविलास पासवान के भाई व वर्तमान में केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस की पार्टी का नाम राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) होगा। चुनाव आयोग ने आरएलजेपी को चुनाव चिन्ह के तौर पर सिलाई मशीन दिया है।
भारत निर्वाचन आयोग ने इस मामले के संबंध में एक पत्र जारी किया है। इसके बाद अब दोनों गुटों के बीच पार्टी को लेकर दावे की लड़ाई खत्म होती नज़र आ रही है। हालांकि, चिराग पासवान की पार्टी के नाम में एलजेपी के फाउंडर व उनके स्वर्गीय पिता रामविलास का नाम जुड़ गया है, जिससे उन्हें चुनावी समर में अपने पिता की विरासत के आधार पर वोट मांगने में मदद मिल सकती है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि एलजेपी के चुनाव चिन्ह बंगला को चुनाव आयोग ने चाचा-भतीजा के बीच चल रही लड़ाई में जब्त कर लिया है। अब उसका इस्तेमाल इन दोनों में से कोई नहीं कर पाएगा।
उल्लेखनीय है कि दिग्गज नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद से ही उनके बेटे चिराग और उनके भाई पशुपति कुमार पारस के बीच विवाद उभर आए थे। लोजपा ने साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा था। हालांकि, उसे एक ही सीट मिल पाई थी। इसके बाद पार्टी में मतभेद और भी गहरे होते चले गए। पारस गुट ने चिराग को राष्ट्रीय अध्यक्ष और संसदीय दल के नेता के पद से हटा दिया था। तब से ही दोनों गुट पार्टी पर अपना-अपना दावा कर रहे थे। यह लड़ाई चुनाव आयोग तक भी पहुंची थी, जिसने अब यह फैसला दिया है।
चिराग पासवान की पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता असरफ अंसारी ने बताया कि बिहार की तारापुर और कुशेश्वरस्थान सीट पर उपचुनाव में पार्टी उम्मीदवार उतारने के लिए चिराग की तरफ से निर्वाचन आयोग से नए चुनाव चिन्ह जारी करने की मांग की गईं। उन्होंने अपनी तरफ से गैस सिलेंडर, हेलिकॉप्टर और एक साथ खड़े तीन आदमी के प्रतीक चिन्ह को बतौर सिंबल देने की मांग रखी थी। जिस पर अब चुनाव आयोग ने फैसला लेते हुए दोनों धड़ों को चुनाव चिन्ह जारी कर दिए हैं।
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