बहुचर्चित रणजीत सिंह हत्याकांड मामले में आखिर 19 साल बाद अदालत का फैसला आ गया है। इस मामले में पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत ने सोमवार को डेरामुखी गुरमीत राम रहीम सिंह समेत पांचों दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही कोर्ट ने राम रहीम पर 31 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। वहीं, हत्याकांड के अन्य चार दोषियों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माने की आधी राशि पीड़ित परिवार को दी जाएगी। अदालत के इस फैसले के खिलाफ राम रहीम हाईकोर्ट जा सकता है।
विशेष सीबीआई अदालत के इस मामले में फैसले के दौरान पंचकूला में धारा-144 लागू रही। साथ ही कोर्ट परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। किसी भी तरह के तेजधार हथियार को लेकर चलने पर भी प्रतिबंध लगाया गया। 17 नाकों समेत शहर में कुल 700 जवानों की तैनाती की गई। सीबीआई कोर्ट परिसर और चारों प्रवेशद्वार पर आईटीबीपी की चार टुकड़ियां तैनात थीं। रणजीत सिंह हत्याकांड का मुख्य दोषी डेरामुखी गुरमीत राम रहीम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया, जबकि अन्य चार दोषी कृष्ण कुमार, अवतार, जसवीर और सबदिल को पुलिस ने कड़ी सुरक्षा में कोर्ट में प्रत्यक्ष रूप से पेश किया गया।
जानकारी के लिए बता दें कि इस मामले में 12 अक्टूबर को ही सीबीआई कोर्ट को सज़ा सुनानी थी, लेकिन दोषी डेरामुखी गुरमीत राम रहीम सिंह की ओर से हिंदी भाषा में आठ पेज की अर्जी लिखकर सज़ा में रहम की अपील की गई थी। उसने अर्जी में अपनी बीमारियों और सामाजिक कार्यों का हवाला दिया था।
हरियाणा में कुरुक्षेत्र के रहने वाले रणजीत सिंह की 10 जुलाई, 2002 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। रणजीत डेरा सच्चा सौदा का मैनेजर था। राम रहीम इसी डेरे का प्रमुख है। डेरा प्रबंधन को शक था कि रणजीत सिंह ने साध्वी यौन शोषण की गुमनाम चिट्ठी अपनी बहन से ही लिखवाईं। बस इसी शक में उसकी हत्या कर दी गई। रणजीत सिंह के बेटे जगसीर सिंह ने जनवरी 2003 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी। अदालत ने रणजीत के बेटे के पक्ष में फैसला सुनाते हुए इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी। सीबीआई ने राम रहीम समेत हत्या में शामिल रहे पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था।
साल 2007 में सीबीआई कोर्ट ने हत्या आरोपियों पर चार्ज फ्रेम किए थे। हालांकि, शुरुआत में इस मामले में राम रहीम का नाम नहीं था, लेकिन साल 2003 में जांच सीबीआई को सौंपने के बाद वर्ष 2006 में राम रहीम के ड्राइवर खट्टा सिंह के बयान के आधार पर डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह का नाम इस रणजीत सिंह हत्याकांड में शामिल किया गया था।
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