देश को एकता के सूत्र में बांधने वाले लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की आज 148वीं जयंती है। वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 में गुजरात के खेड़ा जिले में एक किसान परिवार में हुआ था। भारत की आजादी में अहम भूमिका निभाने वाले सरदार पटेल को देश हित में लिए गए इनके राजनीतिक और कूटनीतिक फैसलों की वजह से जाना जाता है। इन्होंने आजादी के बाद देश को एक आधारभूत ढांचे में ढालने के लिए अहम जिम्मेदारी संभालीं। पटेल को देश के प्रथम उप-प्रधानमंत्री व प्रथम गृहमंत्री होने का गौरव हासिल है।
देश के लिए किए गए उनके योगदान को सम्मान देने के लिए गुजरात में नर्मदा नदी के किनारे भारत सरकार ने इनकी एक विशाल प्रतिमा ‘स्टेच्यु ऑफ यूनिटी’ लगाई है। यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा भी है। इस खास अवसर पर जानिए सरदार वल्लभ भाई पटेल के जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
आधुनिक भारत के शिल्पकार पटेल ने ही अपने राजनीतिक कौशल से भारतीय गणराज्य की नींव के पत्थर रखे। आजादी की लड़ाई के बाद पटेल ने आजाद हुए भारत को एक विशाल राष्ट्र का रूप दिया। पटेल को देश का गृहमंत्री बनने के बाद सबसे पहले भारत में फैली रियासतों को एक करने की जिम्मेदारी दी गई। पटेल ने देश की 600 छोटी-बड़ी सभी रियासतों को एक करने का प्लान बनाया और उनको भारत का हिस्सा बनाया। रियासतों का विलय आजादी के बाद भारत की पहली सबसे बड़ी उपलब्धि मानी गईं। पटेल ने देश की राजनीति में उप-प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, सूचना प्रसारण मंत्री जैसे पद भी संभाले।
देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिलने तक हैदराबाद, कश्मीर और जूनागढ़ के अलावा बाकी सभी रियासतें भारत का हिस्सा बन चुकी थी। बाकी बची इन तीन रियासतों में से जूनागढ़ के नवाब के भारत से भाग जाने के कारण, वहां की जनता ने भारत में शामिल होने का फैसला किया। वहीं, हैदराबाद के निजाम ने जब भारत में विलय को अस्वीकार किया तो, पटेल ने सेना के जरिए वहां के निजाम का आत्मसमर्पण करवा लिया। इस तरह से 562 रियासतों की एकीकरण प्रक्रिया खत्म हुईं।
लक्षद्वीप समूह एक ऐसी जगह था, जहां के लोग मुख्यधारा से कटे हुए थे और इनकी सीमा पाकिस्तान के नजदीक नहीं थी, लेकिन पटेल को लगा कि कुछ समय बाद पाकिस्तान यहां कब्जा कर सकता है। ऐसे में पटेल के आदेश पर लक्षद्वीप में भारतीय नौसेना ने भारत का तिरंगा लहराया, जिसके बाद पाकिस्तानी नौसेना वहां आई जरूर, लेकिन भारत का झंडा देखकर उन्हें वापस मुड़ना पड़ा।
किसान परिवार में जन्में पटेल अपने पिता के साथ खेतों में काम किया करते थे और महीने में दो बार व्रत रखते थे। पूरा दिन भूखे रहकर भी अपने पिता का खेतों में हाथ बंटाते थे जिसके कारण उन्हे लौह पुरूष नाम मिला।
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