देश में 17वीं लोकसभा के लिए होने वाले चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, राजनीतिक हलचलें भी बढ़ती जा रही हैं। देश की राष्ट्रीय राजनीति में शामिल लगभग सभी पार्टियों ने अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा करना शुरू कर दिया है। गठबंधन के सहयोगी भी अपने-अपने हिसाब से प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर रहे हैं। चुनावी माहौल के बीच देश की सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश का ज़िक्र जरूरी हो जाता है। यूपी की राजनीति की बात करें तो यहां इस बार बसपा के साथ सपा चुनावी मैदान में उतरने जा रही है। लेकिन समाजवादी पार्टी यानी सपा के लिए ‘अपने’ ही रोड़े बनते नज़र आ रहे हैं।
सपा ने यूपी की फिरोजाबाद सीट से रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव को टिकट दे दिया है, लेकिन अब इस सीट से अक्षय के चाचा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी प्रमुख शिवपाल यादव भी चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी में है। ऐसे में राजनीति में रूचि रखने वालों के लिए यह जानना महत्वपूर्ण हो गया है कि आख़िर क्या वजह हैं, जो शिवपाल यादव अपने ही भतीजे अक्षय यादव के खिलाफ़ चुनाव लड़ने के लिए मैदान में हैं..
उत्तर प्रदेश की फिरोजाबाद सीट समाजवादी पार्टी की पारंपरिक सीट मानी जाती रही है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि फिरोजाबाद सपा के लिए मज़बूत किला है। 1998 तक यह सीट भाजपा के हाथों में थी, लेकिन इसके बाद यहां भाजपा की कभी वापसी नहीं हुई। 1999 के लोकसभा चुनाव में सपा उम्मीदवार रामजी लाल सुमन इस सीट से चुनाव जीत थे। इसके बाद से इस सीट पर सपा उम्मीदवार ही जीतते आए हैं। लेकिन 2009 में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कन्नौज के साथ-साथ फिरोजाबाद सीट से भी चुनाव लड़ा था। दोनों जगह से चुनाव जीतने के बाद अखिलेश ने फिरोजाबाद सीट छोड़ दी थी और इसके बाद हुए उपचुनाव में यहां से कांग्रेस के राज बब्बर ने जीत दर्ज की। 2014 के आम चुनाव में यह सीट फिर से सपा के हाथों में आ गई। यहां से सपा के टिकट पर ‘यादव’ परिवार के अक्षय यादव ने चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। गौरतलब है कि अक्षय यादव सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई प्रोफेसर रामगोपाल यादव के बेटे हैं।
कुछ महीने पहले समाजवादी पार्टी यानी सपा से अलग होकर शिवपाल यादव ने अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) की नींव रखी है। ‘यादव परिवार’ से निकलकर अपना अलग राजनीतिक दल बनाने वाले शिवपाल यादव ने कई महीने पहले ही यह घोषणा कर दी थी कि वे फिरोजाबाद सीट से आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। लंबा राजनीतिक अनुभव रखने वाले शिवपाल यादव ने ऐसे ही नहीं चाल चली है। सियासत के अखाड़े में तमाम प्रतिद्वंदियों को चित करने वाले शिवपाल के पास इसके पीछे की ठोस वजहें भी हैं।
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राजनीतिक जानकारों का कहना है कि शिवपाल यादव की सपा से विदाई में उनके भाई रामगोपाल यादव का बड़ा हाथ था। अक्षय यादव भाई रामगोपाल के ही बेटे हैं। ऐसे में अब फिरोजाबाद सीट पर रामगोपाल के बेटे अक्षय को सीधी चुनौती देकर शिवपाल सपा से अपनी नाराज़गी का बदला लेना चाहते हैं। दूसरी ओर शिवपाल यादव सपा के सबसे मज़बूत गढ़ों में से एक फिरोजाबाद पर अपना यानी उनकी पार्टी का कब्ज़ा जमाना चाहते हैं।
जब से शिवपाल यादव ने सपा से इस्तीफा देकर अपनी नई पार्टी की घोषणा की है तब से सपा के नेता उन पर लगातार हमला कर रहे हैं। सपा शिवपाल पर भारतीय जनता पार्टी की ‘बी टीम’ होने का भी आरोप लगा रही है। उनके द्वारा कहा जा रहा है कि शिवपाल चुनाव जीतने के बाद भाजपा में शामिल हो सकते हैं। हालांकि हाल में खुद शिवपाल यादव ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा था, ‘हम धर्म निरपेक्ष लोग हैं और हमेशा से भाजपा के खिलाफ़ खड़े रहे हैं। हम पुराने ‘सेक्यूलर’ समाजवादी हैं। ऐसे में हमारा भाजपा में शामिल होने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता है। ख़ैर, ये तो आने वाला समय ही बताएगा कि शिवपाल किस ओर करवट लेते हैं। लेकिन इस चुनाव में फिरोजाबाद सीट पर चाचा-भतीजे की टक्कर देखने लायक होगी।
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