एक साधारण से सेब ने तब दुनिया को नई उपलब्धि दिलाई, जब वो एक आदमी के सिर पर जा गिरा था। सेब की ये प्रकृति भले ही साधारण हो, मगर वो आदमी साधारण बिलकुल नहीं था। हम बात कर रहे हैं महान वैज्ञानिक आइज़क न्यूटन की, जिन्होंने दुनिया को ग्रैविटी की प्रकिया समझाई। वैस ये सेब वाली कहानी तो आपने भी कई बार सुनी होगी, लेकिन न्यूटन का योगदान सिर्फ यहां तक ही सीमित नहीं था। 20 मार्च को न्यूटन की 296वीं डेथ एनिवर्सरी हैं। इस अवसर पर जानिए उनके जीवन से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें…
4 जनवरी, 1643 को जन्मे न्यूटन के जन्म से पहले ही उनके पिता की मौत हो गई थी। उनकी मां चाहती थीं कि वो खेती करें। अपनी मां की मौत के बाद न्यूटन 6 साल के लिए बौद्धिक एकांतवास में चले गये थे। इस दौरान वो सिर्फ लिखकर ही बात करते थे। लेकिन वो विज्ञान से दूर नहीं रह पाए। विज्ञान के क्षेत्र में उन्होंने कई ऐसे सिद्धांत दिए हैं जिन पर भौतिक विज्ञान की नींव पड़ी। गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत इन्हीं में से एक है।
लेकिन इसके पीछे जो कहानी प्रचलित है, उसकी सच्चाई कुछ और है। दरअसल न्यूटन के सर पर कभी सेब गिरा ही नहीं था। एक रात वो जब बगीचे में खड़े थे, तो वहां सेब का पेड़ देखकर उनके दिमाग में ग्रैविटी का खयाल आया था। मगर जब तक किसी कहानी में मिर्च-मसाला ना हो, वो उतना प्रभावित नहीं कर पाती है। ऐसे में समय के साथ पेड़ से सेब गिरने की कहानी सिर पर सेब गिरने की कहानी में तब्दील हो गई।
अक्सर स्कूल के दिनों में जो प्रश्न सबसे ज्यादा परेशान करता था, वो था न्यूटन के तीन नियम कौनसे थे? जिनको विज्ञान में रूचि थी, उनके लिए ये काफी रोमांचक हुआ करते थे। मगर बाकी बच्चों को तो ‘रट्टा मार’ की प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता था। वैसे ये तो कहने की बातें हैं, मगर विज्ञान के ये तीन नियम ही न्यूटन का सबसे बड़ा योगदान माने जाते हैं, क्योंकि इन तीन नियमों पर ही फिजिक्स की नींव रखी है।
चलिए हम आपको ये नियम एक बार फिर से याद दिलाते हैं :
न्यूटन का पहला नियम है कि अगर कोई चीज़ रुकी है तो रुकी रहेगी, चलती है तो चलती रहेगी, जब तक इस पर कोई बाहरी ताकत न लगाई जाए। हम जानते हैं कि कोई भी चीज़ हमेशा चलती नहीं रहती, तो ऐसा क्यों होता है? इस सवाल के चलते विज्ञान में न्यूटन के बाद भी कई नए फोर्स तलाशे गए थे।
वहीं न्यूटन का दूसरा नियम ये कहता है कि किसी भी चीज़ में फोर्स उसको दिए गए एक्सेलरेशन और वजन के बराबर होता है। उदाहरण के तौर पर समझाएं तो आप अगर कोई भारी पत्थर किसी पर धीरे से मारेंगें या हल्का पत्थर किसी पर तेजी से मारेंगें, तो दोनों में उसका बराबर असर ही पड़ेगा।
वहीं न्यूटन का तीसरा नियम क्रिया-प्रतिक्रिया पर आधारित है। ये नियम कहता है कि जब भी कोई क्रिया होती है, तो उसके बराबर और/या उसकी उलटी प्रतिक्रिया होती है। वैसे इस नियम को समझना काफी आसान है। आप चाहे तो किसी बराबर वाले को एक थप्पड़ मार कर देख लें।
न्यूटन का योगदान इन तीन नियमों तक ही सीमित नहीं था। उन्होंने सबसे पहले प्रिज्म के जरिए प्रकाश के सात रंगों के बारे में बताया। इसी तरह उन्होंने आधुनिक गणित के कैलकुलस की खोज भी की। दरअसल न्यूटन अपने काम को लोगों से छिपा कर रखते थे। जब दूसरे वैज्ञानिकों ने कैलकुलस की खोज के बारे में लिखना शुरू किया तो न्यूटन ने बताया कि वो पहले ही कैलकुलस के नियम तलाश चुके हैं।
इसके अलावा न्यूटन ने बड़ी आसानी से समझाया कि हमारा सोलर सिस्टम कैसे काम करता है। चांद हमारे आस-पास चक्कर काटता है ना कि पृथ्वी चांद का चक्कर लगाती है? हालांकि दुनिया को विज्ञान की राह दिखाने वाले न्यूटन कुछ मामलों में जरूरत से ज्यादा धार्मिक भी थे। न्यूटन मानते थे कि बाइबिल में उनके लिए कोई संदेश छिपा है और इस गुप्त संदेश को खोजने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की थी।
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