अरुणाचल प्रदेश में छह समुदायों को स्थायी निवासी प्रमाणपत्र (पीआरसी) देने के मामले ने ऐसा तूल पकड़ा कि पूरे प्रदेश में जगह-जगह हिंसा शुरू हो गई है। भीड़ सड़कों पर है और पुलिस की ओर से लगातार फायरिंग हो रही है। राज्य सरकार के इस फैसले पर स्थानीय लोगों में आक्रोश हैं। हिंसा में अब तक 2 लोगों की मौत होने के साथ ही 50 से अधिक वाहन फूंक दिए गए हैं वहीं करीब 35 पुलिसवाले घायल हो गए हैं।
आइए सिलसिलेवार आपको बताते हैं अरूणाचल प्रदेश में इतनी अफरातफरी क्यों मची हुई है।
राज्य सरकार ने क्या सिफारिश की ?
अरुणाचल प्रदेश सरकार ने विधानसभा में एक बिल पेश करते हुए 6 गैर-अनुसूचित जनजातियों के लोगों को PRC देने की सिफारिश की। पीआरसी यानि स्थाई निवास प्रमाण-पत्र। इसके लिए एक जॉइंट हाई पावर कमेटी (JHPC) बनाई गई जिसने इन 6 समुदायों के लोगों को चुना।
ये स्थायी निवासी प्रमाण-पत्र (PRC) क्या होता है?
हमारे देश में नागरिकता को लेकर कई तरह के प्रमाण पत्र हर नागरिक के पास होते हैं। स्थायी निवास प्रमाण-पत्र भी उसी तरह का एक कानूनी डॉक्यूमेंट है। कोई भी राज्य सरकार यह उन नागरिकों को देती है जो नागरिक देश में रहने का कोई सबूत देते हैं। इस सर्टिफिकेट के बाद उन नागरिकों को कई तरह की सरकारी सुविधाएं और दूसरे जरूरी कामों में सहूलियत होती है।
ये 6 समुदाय कौन हैं?
सरकार ने पीआरसी देने के लिए 6 समुदाय के लोगों को चुना है। इन 6 समुदायों के लोग नामसाई और चांगलांग जिलों में दशकों से रहते हैं। इनमें देवरिस, सोनोवाल कछारी, मोरान, आदिवासी और मिशिंग समुदाय के लोग शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर लोग पड़ोसी राज्य असम में अनुसूचित जनजाति में दर्ज हैं।
तो फिर विरोध कौन कर रहा है?
अरुणाचल प्रदेश के कई समुदायों और संगठनों का यह मानना है कि इन 6 समुदायों को स्थायी निवासी का प्रमाण पत्र देने के बाद हमारे अधिकारों में दखल अंदाजी की जाएगी। यहां रहने वाले लोगों को लगता है इससे स्थानीय निवासियों को मिलने वाली सुविधाओं के साथ समझौता किया जाएगा।
क्या है ताजा हाल ?
JPHC , जिस कमेटी को स्थायी प्रमाण पत्र बनाने के लिए कहा गया था उसकी रिपोर्ट अभी विधानसभा में रखी जानी बाकी थी जिसके बाद इस पर आखिरी फैसला आता, लेकिन अब उग्र विरोध प्रदर्शन के बाद सरकार ने फिलहाल इसे अगले सत्र के लिए स्थगित कर दिया है।
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