सीआरपीएफ जवानों पर कल जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के बाद पूरा देश आज सदमे में है। घाटी में होने वाले आतंकी हमलों में कोई ना कोई संगठन अक्सर जिम्मेदारी लेता रहा है। इस बार प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने हमले के तुरंत बाद जिम्मेदारी ली है। हालांकि जांच एजेंसिया इस तरह की जिम्मेदारी को भी जांच के दायरे में रखती है। ऐसे में हम आपको बताना चाहेंगे कि जैश-ए-मोहम्मद कौनसा आतंकी संगठन है और कैसे हुई इसकी शुरूआत।
कैसे बना जैश-ए-मोहम्मद ?
चार दशक तक चलने वाले शीत युद्ध के बाद अफगानिस्तान में सोवियत यूनियन का सामना करने के लिए अमेरिका ने इस्लामिक चरमपंथी समूहों की सहायता की। इस दौरान कई आतंकी संगठन पनपे। इसी दौरान एक आतंकी संगठन पनपा नाम था ‘हरकत-उल-मुजाहिदीन जो अफगानिस्तान के आतंकी संगठन ‘हरकत-उल-जिहाद’ से टूटकर बना।
1993 और 1994 में भारतीय सुरक्षा बलों ने हरकत-उल-जिहाद पर नकेल कसी और सरगना नसरुल्लाह मंसूर लंगरयाल और सेक्रेटरी मौलाना मसूद अज़हर और सज्जाद अफगानी को धर लिया।
जेल से निकालने के लिए HUM ने इंडियन एयरलाइन्स की फ्लाइट-814 को अगवा कर जेलों में बंद तीनों आतंकियों को रिहा करने का दबाव बनाया। भारत सरकार ने मौलाना मसूद अज़हर, अहमद उमर सईद शेख और मुस्तफाक अहमद ज़रगर को कंधार जाकर रिहा करने पर मजबूर होना पड़ा। पाकिस्तान लौटते ही मसूद अज़हर HUM से हट गए और अपना अलग संगठन बनाया जिसका नाम ‘जैश-ए-मोहम्मद’ रखा।
संसद पर हमला कर आया चर्चा में
अक्टूबर 2001 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा पर हमला हुआ जिसमें 38 लोगों की जान गई और फिर दिसंबर 2001 में लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर देश की संसद पर हमला किया गया जिसमें 8 जवान शहीद हुए। इस हमले के बाद पहली बार जैश-ए-मोहम्मद का नाम सामने आया। जैश-ए-मोहम्मद का मतलब होता है मोहम्मद की सेना।
इसके बाद 2008 में हुए मुंबई 26/11 अटैक में भी जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को मास्टरमाइंड बताया गया। इसके बाद से कश्मीर में जवानों पर होने वाले हमलों में इस संगठन के तार जुड़े पाए जाते हैं। संसद पर हमले के कुछ समय बाद भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ पर दबाव बनाया और जैश को आतंकी संगठन घोषित कर दिया गया।
लश्कर-ए-तैयबा के बाद सबसे बड़ा आतंकी संगठन
मार्च 2000 में मसूद अज़हर ने ही हरकत-उल-मुजाहिदीन नामक संगठन से अलग होकर जैश-ए-मुहम्मद की नींव रखी थी। आज आतंक की दुनिया में लश्कर-ए-तैयबा के बाद जैश-ए-मोहम्मद को सबसे बड़ा और खूंखार संगठन माना जाता है।
इस तरह के संगठनों के फलने-फूलने पर पाकिस्तान सरकार का रवैया भी हमेशा शक के दायरे में रहता है। बताया जाता है कि जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर अपना अखबार पाकिस्तान में निकालता है जो कि खुलेआम छपता और बिकता है। उस्मान-ओ-अली-मरकज़ नाम की मस्जिद जहां से जैश-ए-मोहम्मद अपना ट्रेनिंग सेंटर ऑपरेट करता है।
25 दिसंबर 2015 में हुए नरेंद्र मोदी की पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री नवाज़ शरीफ से मुलाकात के बाद पठानकोट एयर बेस पर हमला हुआ। सितंबर 2016 में हुए उरी हमले पर भी जैश का नाम सामने आया।
भारत को बताया अपना सबसे बड़ा दुश्मन
जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर ने कई बार खुले मंचों से भारत को धमकी दी है। बीते साल अजहर ने भारत और मोदी अपना सबसे बड़ा दुश्मन बताया था। हालात अब ऐसे हो गए हैं कि भारत के सीमावर्ती इलाकों में होने वाली हर छोटी आतंकी घटना में इसी संगठन का नाम सामने आता है। घाटी पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ बताते हैं कि वर्तमान में मसूद अज़हर संगठन को ऑपरेट करता है वहीं उसका भाई अब्दुल रऊफ असगर ही फिलहाल संगठन को चलाता है।
गौरतलब है कि घाटी के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में गुरुवार को सीआरपीएफ के 37 जवान शहीद हो गए हैं जिनकी संख्या अभी बढ़ने के आसार हैं। शुरूआती जांच में आतंकी की पहचान आदिल अहमद के रूप में की गई है।
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