भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अंतरिक्ष में लगातार कामयाबी के शिखर पर पहुंच रहा है। हाल में भेजे गए चंद्रयान के बाद अब 2022 में इसरो का गगनयान की मदद से इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने का प्लान है। आपने कई बार सुना होगा कि भारतीय एस्ट्रोनॉट या विदेशी एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में जाते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि वो लोग वहां जितने दिन रहते हैं उस दौरान कैसे पेशाब करते हैं, कहां मल करते हैं। क्या होता है उनके मल-मूत्र का?
आप सोच रहे होंगे कि शायद कोई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल ही करते होंगे। आइए आपको बताते हैं कि पृथ्वी से करीब 400 किमी की ऊंचाई पर बने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में एस्ट्रोनॉट कैसे टॉयलेट करते हैं?
पहले अंतरिक्ष यात्री ने कपड़ों में ही किए थे पेशाब
19 जनवरी 1961 की बात है, नासा ने मिशन मर्करी रेडस्टोन-3 लॉन्च किया. एलन शेफर्ड पहले अंतरिक्ष यात्री बनकर रवाना हुए। 15 मिनट का पूरा मिशन था इसलिए उनके टॉयलेट की कोई व्यवस्था नहीं की गई।
लेकिन शेफर्ड को पेशाब लग गए और उन्होंने कंट्रोल रूम से पूछा तो जवाब मिला वे अपने स्पेस सूट में ही पेशाब करें। इस तरह पहला अंतरिक्ष यात्री पेशाब किए हुए गीले कपड़ों में वापस लौटा।
फिर अंतरिक्ष जाने वालों को मिला यूरिन पाउच
ऐसे ज्यादा दिन काम नहीं चला और आने वाले मिशन में नासा ने यात्रियों को लिए छोटे पाउच तैयार किए जिनमें वो पेशाब कर सकते थे। इनके साइज में समय के साथ कई बदलाव किए गए। इसके अलावा शौच के लिए यात्रियों को अपने बैग के पीछे एक बैग बांध कर रखना होता था लेकिन अधिकतर यात्री उसकी गंध से परेशान रहते थे।
अपोलो मिशन में पेशाब स्पेस में छोड़ा जाने लगा
अपोलो मून मिशन को नासा का अभी तक का सबसे कामयाब मिशन माना जाता है। इस मिशन के दौरान नासा ने पेशाब करने की व्यवस्था को बदल दिया। पेशाब के लिए काम में लिए जाने वाले पाउच के साथ एक वॉल्व लगा दिया गया। अब पेशाब करने के बाद यात्री वॉल्व को दबाते थे जिससे यूरिन तुरंत स्पेस में चला जाता था।
1980 के बाद जब महिला अंतरिक्ष यात्री भी नासा जाने लगी तो नासा ने एक खास तरह का डायपर बनाया जिसे MAG (मैग्जिमम एब्जॉर्बेंसी गार्मेंट) कहा गया।
फिलहाल क्या तकनीक काम में लेते हैं अंतरिक्ष यात्री
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा फिलहाल जीरो-ग्रैविटी टॉयलेट का इस्तेमाल करती है। एक ट्यूब के जरिए इसमें लगे कंटेनर में मल इकट्ठा होता है और पेशाब के लिए भी ऐसा ही सिस्टम है। जमा पेशाब को वाटर रिसाइक्लिंग यूनिट से साफ कर पीने लायक बना दिया जाता है।
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