राजस्थान में आखिरकार सभी रैलियों और जनसभाओं का दौर खत्म हो गया और अब कल यानि 7 दिसंबर को मतदान होना है। मतदाताओं को खुश करने के लिए सभी नेताओं ने दिन-रात एक करके मेहनत की। पार्टियों के आलाकमान से लेकर स्टार प्रचारक नेताओं ने राजस्थान के हर हिस्से को छान मारा। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी चुनावी रैलियों में एक अलग अंदाज के साथ-साथ भाषणों में होने वाली गलतियों के लिए काफी फेमस हैं।
आखिरकार काफी लंबे समय बाद झुंझुनु की एक चुनावी रैली में राहुल की जुबान फिसल गई और वो ‘कुंभाराम’ के नाम पर बनाई गई सरकारी योजना को ‘कुंभकरण’ नाम लगाकर बोल गए। बस फिर क्या, सोशल मीडिया पर राहुल गांधी एक बार फिर आड़े हाथों ले लिए गए और ट्रोल की बारिश होने लगी।
इसी बीच कहीं ना कहीं जिन कुंभाराम का नाम राहुल गांधी ने गलत लिया उनका भी जिक्र किया जा रहा है, ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कौन है कुंभाराम जिनके नाम पर राजस्थान सरकार ने योजना की शुरूआत की थी।
कुंभाराम कौन थे?
कुंभाराम आर्य को कृषि प्रधान राज्य राजस्थान में किसानों का मसीहा माना जाता है। किसानों को राजशाही शोषण और उत्पीड़न से निकालने के लिए अंतिम सांस तक कई अभियान चलाए। कुंभाराम का जन्म 10 मई 1914 को हुआ। स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल राजस्थान के सेनानियों में भी कुंभाराम का नाम शुमार है। किसानों के हक की लड़ाई और आजादी के संघर्ष के दौरान वो कई बार जेल भी गए।
कई अहम पदों पर काम किया
कुंभाराम की छवि राजनीति में एक स्पष्टवादी नेता की रही जिन्होंने बीकानेर रियासत से शुरूआत की। राजनीतिक जीवन के अलावा कुंभाराम ने पुलिस और राज्य मंत्री जैसी जिम्मेदारी भी संभाली। तत्कालीन महाराजा सादुल सिंह की बीकानेर रियासत में भी वो काफी समय तक रेवेन्यू मिनिस्टर के पद पर रहे। राजस्थान में लोकतंत्र की स्थापना के बाद पूर्व मुख्यमंत्री जयनारायण व्यास की सरकार में कुंभाराम ने गृहमंत्री पद भी संभाला।
कुंभाराम लिफ्ट योजना क्या है?
कुंभाराम परियोजना के माध्यम से प्रदेश के मलसीसर, खेतड़ी, झुंझुनू, सीकर के साथ-साथ करीब 1400 गांवों को पानी दिया जाना है। इसकी कुल लागत 588 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
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