गुलाबी शहर

यहां से पंतग खरीदकर लाना जंग जीतने से कम नहीं!

जयपुर की मकर संक्रांति पूरे देश में ही काफी प्रचलित है। देश के बाकि राज्यों में तो ये त्यौहार पारंपरिक रूप से मनाया जाता है मगर छोटी काशी कही जाने वाली गुलाबी नगरी में इस त्यौहार की धूम बाकि त्यौहारों से कुछ ज्यादा ही रहती है। जयपुर शहर के लोगों में पतंगबाजी करने का बड़ा क्रेज है जो कि गुजरात और उत्तर प्रदेश के लोगों में भी होता है मगर यहां पतंगबाजी को कुछ ज्यादा ही सीरियसली ले लिया जाता है। इतना कि अगर उस दिन आॅफिस की छुट्टी ना भी हो तो शायद बॉस को अकेले ही आॅफिस आना पड़ जाए।

यूं तो जयपुर में गली गली में पतंगे बिकती है मगर जयपुराइट्स को पता है कि उन्हें सस्ती और अच्छे कागज की पतंगे कहां मिलेंगी। लेकिन वहां तक पहुंचने का संघर्ष भी अपने आप में ही मजेदार है और किसी जंग जीतने से कम भी नहीं है। जयपुर के रामगंज इलाके का हांडीपुरा इलाका शहर का इकलौता और 12 महीने लगने वाला पतंग बाजार है जो शहर की चारदीवारी जिसे परकोटा भी कहा जाता है वहां स्थित है।

आप शहर के किसी भी कोने में रहते हो मगर हांडीपुरा पहुंचने के लिए दो चीजें आपके पास होनी ही चाहिए एक तो जेब में पैसे और दूसरा ढेर सारा वक्त हां पेट्रोल डीजल का ध्यान भी रखना और भरवा ही लेना। खैर अब इतनी हिम्मत कर लेने के बाद जब आप हांडीपुरा पहुंचेंगे तो वहां आपको चारों और केवल पतंग और मांझे की छोटी बड़ी दुकानें ही दुकानें नजर आएंगी। यहां तक की घरों में भी कोई बाउजी टाइप शख्स आपको पतंगे बेचता नजर आ जाएगा।

इस बार क्या कहता है बाजार
वैसे तो साल दर साल पतंगों के दाम उनसे भी ज्यादा आसमान छू रहे हैं और इस बार सुना है कि पतंगे कोहरे की वजह से महंगी हो गई है। ये सुनने में अजीब जरूर लगेगा मगर ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि यहां पतंगे उत्तरप्रदेश के अलग अलग इलाकों जैसे रामपुर, बरेली, मुरादाबाद यहां से लाई जाती है। इस बार कोहरा इतना पड़ा कि पतंगों की खेप समय पर नही पहुंच पाई या उन्हें या पहुंचने में देर हो गई। तो अब मार्केट में जो गणित बिठाया है वो ये है कि जो पतंगो का सेट 100 रूपए कौड़ी यानी एक दर्जन पतंगे बिका करती थी वो अब आपको 140 रूपए कौड़ी मिले तो बार्गेनिंग ना करिएगा। हां अगर मेड इन जयपुर पतंगे चाहिए तो वो आपको जरूर सस्ती मिल सकती है।

कैसे करें अच्छी पतंगों की पहचान
ज्यादा कुछ नहीं बस पतंग की कांख बोले तो उसकी लकड़ी देखना वो सिकी हुई हो तो समझ जाना माल बाहर का यानी यूपी का है और बढ़िया है।

मांझा कैसा हो
भूलकर भी प्लास्टिक या चाइनीज मांझा ना ले पुलिस के खुफिया जवान वहीं धर लेंगे और कोई बेचता मिले तो उसकी शिकायत कर देने पर सरकार ईनाम देगी।

मांझा चुनते वक्त बस इतना ध्यान रखना है बाकि यदि वो कलर छोड़ता हो तो मत खरीदना।

Neha Chouhan

12 साल का अनुभव, सीखना अब भी जारी, सीधी सोच कोई ​दिखावा नहीं, कथनी नहीं करनी में विश्वास, प्रयोग करने का ज़ज्बा, गलत को गलत कहने की हिम्मत...

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