भारत में निशानेबाजी को बुलंदियों पर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रसिद्ध शूटर जसपाल राणा आज 28 जून को अपना 47वां जन्मदिन मना रहे हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 25 मीटर फायर पिस्टल शूटिंग में देश के लिए कई पदक जीते। राणा ने वर्ष 1995 में आयोजित हुई कॉमनवेल्थ शूटिंग चैंपियनशिप में आठ स्वर्ण पदक जीतकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया था। वर्तमान में राणा देहरादून में ‘जसपाल राणा इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड टेक्नोलॉजी’ में कोच के पद पर कार्यरत है। इसके साथ ही वह भारतीय पिस्टल शूटिंग जूनियर टीम के भी कोच हैं। इस खास अवसर पर जानिए उनके बारे में कुछ अनसुनी बातें…
भारतीय निशानेबाज जसपाल राणा का जन्म 28 जून, 1976 में उत्तराखंड राज्य के टिहरी गढ़वाल में एक राजपूत परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम नारायण सिंह और माता का नाम श्यामा राणा हैं। जसपाल की प्रारम्भिक शिक्षा आई.टी.बी.पी. पब्लिक स्कूल, मसूरी तथा एयर फ़ोर्स स्कूल, कानपुर में संपन्न हुई थी। बाद में उन्होंने हाई स्कूल और इण्टर की परीक्षा केन्द्रीय विद्यालय, तुग़लकाबाद, दिल्ली से पूरी की।
जसपाल राणा के पिता नारायण ने उन्हें निशानेबाजी में प्रशिक्षण दिलाया। आगे चलकर जसपाल ने निशानेबाजी में देश का नाम रोशन किया। जसपाल एक फैशन डिजायनर और राष्ट्रीय स्तर की निशानेबाज रीना राणा के साथ शादी के बंधन में बंधे। उनसे उन्हें दो बच्चे, बेटी देवांशी और बेटे युवराज है।
जसपाल राणा को भारतीय शूटिंग टीम का ‘टॉर्च बियरर’ भी कहा जाता है। उन्होंने अनेक शूटिंग प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया है और पदक जीत कर देश को गौरव बढ़ाया है। उन्होंने वर्ष 1995 में चेन्नई में हुए सैफ खेलों में शूटिंग प्रतियोगिता में 8 स्वर्ण और वर्ष 1999 के काठमांडू में सैफ खेलों में 8 स्वर्ण पदक जीतने का कारनामा किया। राणा ने अपने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शूटिंग कॅरियर में 600 से ज्यादा पदक जीते हैं।
उन्होंने मात्र 12 वर्ष की उम्र में ही निशानेबाजी के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त की थी। राणा ने वर्ष 1988 में अहमदाबाद मे हुई 31वीं राष्ट्रीय निशानेबाजी चैंपियनशिप में रजत पदक अपने नाम किया। उन्होंने इटली के मिलान शहर में वर्ष 1994 में हुई विश्व शूटिंग चैंपियनशिप में 600 में से 569 अंक अर्जित कर नया विश्व रिकॉर्ड बनाया और स्वर्ण पदक जीत देश को गौरवान्वित किया।
वर्ष 1994 में जसपाल राणा ने जापान के हिरोशिमा में हुए 12वें एशियाई खेलों में एक स्वर्ण व एक कांस्य पदक जीतकर एशियाई खेलों में 600 अंक में से 588 अंकों का कीर्तिमान बनाया। जसपाल को वर्ष 1994 में भारत सरकार ने ‘अर्जुन अवॉर्ड’ से नवाजा, उस समय जसपाल की उम्र महज 18 साल थी। राणा ने बहुत छोटी उम्र में यह मुकाम हासिल कर लिया था। जसपाल राणा को वर्ष 1997 में भारत सरकार ने ‘पद्मश्री पुरस्कार’ से नवाजा और साथ ही मदर टेरेसा ‘राष्ट्रीय नागरिक पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया।
जसपाल ने अपने कॅरियर में अधिकांश पदक ‘सेंटर फायर पिस्टल’ प्रतियोगिता में जीते और एयर पिस्टल, स्टैन्डर्ड पिस्टल, फ्री पिस्टल, रेपिड फायर पिस्टल प्रतियोगिताओं में भी कामयाबी प्राप्त की। वर्ष 2006 एशियाई खेलों में उन्होंने 25 मीटर सेंटर फायर पिस्टल में 590 अंकों के साथ विश्व रिकॉर्ड की बराबरी की, जिसे राणा ने वर्ष 1995 में कोयंबटूर में और वर्ष 1997 में राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में बैंगलोर में दो बार पहले भी हासिल किया था।
राणा ने वर्ष 1995 में इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में हुई एशियाई शूटिंग चैंपियनशिप में नया एशियाई रिकार्ड बनाते हुए एक स्वर्ण तथा 3 कांस्य पदक जीते। उन्होंने वर्ष 1998 में मलेशिया में संपन्न हुए राष्ट्रमण्डल खेलों में दो स्वर्ण तथा दो रजत पदक जीते। जसपाल ने वर्ष 2006 में हुए दोहा एशियाई खेलों में तीन स्वर्ण पदक जीते, साथ ही 25 मीटर स्टैण्डर्ड पिस्टल टीम का रजत पदक जीता, जिसमें उनके जोड़ीदार समरेश जंग व रौनक भी शामिल थे।
जसपाल राणा ने राजनीति के क्षेत्र में भी कदम रखा था। उन्होंने वर्ष 2009 में बीजेपी के प्रतिनिधि के तौर पर लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, इसके बाद वह वर्ष 2012 में कांग्रेस में शामिल हो गये। फिलहाल राणा देश की युवा प्रतिभाओं को निखारने में अपना अहम योगदान दे रहे हैं।
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