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जापान में मिली ओरफिश से क्यों डर जाते हैं जापानी लोग, जानिए इसके पीछे का सच

यह कितना सत्य है हम कह नहीं सकते कि जब कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो पशु-पक्षियों के द्वारा इसका आभास हमें कर दिया जाता है। या तो वे कुछ ऐसी हरकत करते हैं या फिर बहुत गहराई में रहने वाले जीव अचानक बाहर आ जाते हैं और हमें किसी अनहोनी की सूचना देते हैं।
कई लोग इस मत से सहमत है तो कई नहीं। कुछ वैज्ञानिक इसे सही मानते हैं तो कई नहीं। ऐसी ही कुछ घटनाओं की सत्यता को बताती है जापान के समुद्र किनारे पर कभी कभार मिलने वाली दुर्लभ प्रजाति की ओरफिश मछली।

हम आपको बताएंगे कि यह मछली कब-कब दिखी और उसके बाद कहां-कहां प्राकृतिक आपदाएं आई –
कहते हैं कि जब वर्ष 2011 में जापान के फुकुशिमा में भूंकप आया उससे कुछ दिनों पहले वहां कई दर्जनों ओरफिश को समुद्रतट पर देखा गया था। जिसके बाद जापान में तीव्र गति का भूंकप आया और करीब 20 हज़ार लोगों की जान ले गया था।

इस घटना के बाद से अब एक बार फिर यह मछली जापान के समुद्र तट पर मिली है जिसे देखकर वहां के लोगों को फिर से फुकुशिमा में आये विनाशकारी भूकंप की याद ताजा हो गई।
जापान टाइम्स के अनुसार, दुर्लभ प्रजाति की ओरफिश मछलियां जापान के ओकिनावा द्वीप पर मछली पकड़ने गये मछुआरे के जाल में फंस गई। मछुआरा पहले तो काफी घबरा गया। जाल में फंसी इनमें एक मछली की लंबाई 4 मीटर की थी और दूसरी की लंबाई 3.6 मीटर थी, जो द्वीप के सिर्फ 2.5 किलोमीटर पास ही जाल में आ फंसी।

इन्हें जब ओकिनावा चुरूमी एक्वेरियम में ले जाया जा रहा था तो एक्वेरियम पहुंचने से पहले ही दोनों ओरफिश मर गईं।

जापान में इसके दिखाई देने का अर्थ माना जाता है कि भूकंप आने वाला है। वहां अगर कई ओरफिश समुद्र की सतह पर दिख जाएं तो लोग मानते हैं कि यह प्रकृति की ओर से भूकंप आने का संकेत है।

इन मछलियों के बाद अभी तक तो कोई प्राकृतिक आपदा नहीं आईं और यह जरूरी भी नहीं कि हर बार ऐसा हो, परंतु कई बार इन इन जीवों ने मानव को आने वाली प्राकृतिक आपदा का संकेत दिया है।

ओरफिश ने कब-कब दिया प्राकृतिक आपदा का संकेत
ओरफिश के बारे में ऐसा माना जाता है कि इनका पानी से बाहर आना भूपंक या सुनामी की ओर संकेत करता है।

हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि ओरफिश के समुद्र तट पर दिखने और भूकंप के बीच कोई निश्चित संबंध नहीं है।

लाइव साइंस की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2011 में तोहोकू भूकंप से पहले उत्तर पूर्वी जापान के समुद्री तट पर करीब 20 मछलियां आई थीं।

साल 2010 में चिली में आए 8.8 तीव्रता के भूकंप से पहले भी दर्जनों मछलियों समुद्र के तट पर आ गई थीं।

इसी तरह 11 फरवरी को मिंडानाओ द्वीप पर आए विनाशकारी भूकंप से कुछ ही दिन पहले फिलीपींस के अगुसन डेल नॉर्ट में ओरफिश मिली थीं। वहां पर 6.3 तीव्रता का भूकंप आया था।
मगर, शोधकर्ताओं ने माना कि वे प्राकृतिक आपदाओं को महसूस कर सकती हैं।

यह कारण माना जाता है ओरफिश के बाहर आने का
कैम्ब्रिज में एंग्लिया रस्किन यूनिवर्सिटी में पशु जीव विज्ञान के लेक्चरर रशेल ग्रांट ने बताया कि जब भूकंप आता है, तो चट्टानों में दबाव का निर्माण हो सकता है। इससे इलेक्ट्रोस्टैटिक चार्ज हो सकते हैं, जो आवेशित आयनों को पानी में छोड़ते हैं। इससे विषैले यौगिक हाइड्रोजन परऑक्साइड का निर्माण हो सकता है।

आवेशित आयन कार्बनिक पदार्थों को भी ऑक्सीकृत कर सकते हैं, जो या तो मछलियों को मार सकते हैं या उन्हें गहरे समुद्र को छोड़ने के लिए मजबूर कर सकते हैं। जापान, पैसिफिक रिंग ऑफ फायर पर विभिन्न फॉल्ट लाइनों में बसा हुआ है। हाल के वर्षों में यहां काफी गतिविधियां देखी गई हैं।

कहां पर पाई जाती है यह मछली
यह मछली गहरे पानी वाले सभी समुद्रों में पाई जाती है। परंतु विशेषकर अटलांटिक महासागर, अमेरिका से लेकर चिली तक के प्रशांत महासागर, कैलिफोर्निया, मॉस्को आदि के आसपास अधिक पाई जाती है, लेकिन ज्यादातर समय गहरे पानी में रहने के कारण यह दिखाई नहीं देती।

ओरफिश मछली की खूबियां

  • ओरफिश एक बोनी फिश श्रेणी की मछली है जिसकी औसत लम्बाई तो 18 फुट होती है, लेकिन कई मछलियों की अधिकतम लंबाई 50 फुट तक हो सकती है। इसका वजन 272 किलोग्राम तक हो सकता है।
  • यह समुद्र में 3 हजार फुट तक की गहराई में रहती है।
  • यह मछली जब तैरती है तो बहुत खूबसूरत लगती है और तैरने के दौरान इसकी मूंछें व पंख बहुत स्टाइल में लहराते दिखते हैं।
  • जब यह लहराती हुई तैरती है तो इसकी पीठ के पंख किसी फीते की तरह दिखते हैं, इस कारण इसे रिबन फिश, किंग ऑफ हेरिंग्स भी कहा जाता है।
  • इसका मुंह बहुत छोटा होता है।
  • गहराई में रहने के कारण इसके सामने खाने की समस्या रहती है।
  • स्लिम और लंबी होने के कारण यह बड़ी आसानी से शार्क जैसी बड़ी मछलियों का शिकार बन जाती है।
Rakesh Singh

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