सावन की हरियाली तीज और सिंजारे पर जयपुर के बाजार खास सजते हैं। खासतौर से हलवाइयों की दुकानें घेवर से सजी होती हैं। कहा जा सकता है कि अगर आपने जयपुर का घेवर नहीं खाया तो आपने यहां आकर बहुत कुछ मिस कर दिया। जयपुरी घेवर यहां आने वाले विदेशी पर्यटक भी पसंद करते हैं। जयपुर में खासतौर से तीज, गणगौर और रक्षाबंधन जैसे त्यौहारों पर घेवर की डिमांड बढ़ जाती है। ये कहना गलत नहीं होगा कि तीज से पहले सिंजारे पर हर राजस्थानी के घर घेवर आता है।
कैसे बनती है जयपुर की ये खास मिठाई
घेवर का आकार गोल होता है। ये एक जालीनुमा गोल मिठाई है जिसे अग्रेंजी में हनीकॉम्ब डेजर्ट के नाम से जाना जाता है। इसको देखकर सबसे पहले यही ख्याल आता है कि ये बनता कैसे है?
हम बताते हैं आपको घेवर की रेसिपी—:
— घेवर बनाने के लिए सबसे पहले एक बड़े बर्तन में घी और आइस क्यूब्स को तब तक फेंटे जब तक ये झाग में ना varबदल जाए।
— इसके बाद एक बर्तन में दूध,आटा और पानी मिलाते हुए इन्हे अच्छे से फेंट लें।
— घेवर के मिश्रण में पीला रंग लाने के लिए पीला रंग और केवड़े का पानी मिक्स करें।
—घेवर का मिश्रण अगर ज्यादा गाढ़ा हो जाए तो इसमें थोड़ा और पानी मिक्स कर लें।
— अब एक पैन की आधी सतह में घी डालकर इसे धीमी आंच पर गर्म कर लें।
— घी के गर्म होने के बाद इसमें धीरे—धीरे घेवर का मिश्रण डालें और उस मिश्रण को पूरे पैन पर फैलने दें। अब इस मिश्रण को धीमी आंच पर पकने दें और जब ये सुनहरा हो जाए तब इसे कांटे की मदद से पैन से बाहर निकालें।
— घेवर बनाते समय ध्यान रखें इसमें आने वाले एक्स्ट्रा घी को चम्मच से हटाते रहें।
— अब घेवर पर चाशनी चढ़ाने के लिए चाशनी बनाएं।
— एक पैन में चीनी और पानी डालकर धीमी आंच पर इसे पकाएं। चाशनी बनने के बाद उसे चम्मच की मदद से घेवर पर डालें। अब ठंडा होने पर घेवर को परोसें।
जानिए किसने किया था घेवर का अविष्कार
जैसा कि बता रहे हैं घेवर जयपुर की ही फेमस मिठाई है तो जाहिर सी बात है यहीं पर इसका अविष्कार भी हुआ होगा। बताया जाता है कि राजा—महाराजाओं के जमाने से घेवर यहां बनता आ रहा है। मगर पनीर का घेवर ज्यादा पुराना नहीं है। 1961 में जयपुर के प्रसिद्ध लक्ष्मी मिष्ठान भंडार यानि एलएमबी ने पनीर का घेवर बनाया था। उसके बाद ये घेवर पूरी दुनिया में फेमस हो गया। जयपुर से सालभर घेवर एक्सपोर्ट किया जाता है।
घेवर को देते हैं तोहफे के रूप में
घेवर राजस्थानी परंपराओं से जुड़ा हुआ है। वैसे अगर आपको ये पसंद है तो आप खुद भी इसको खरीदकर खा सकते हैं मगर परंपरा के अनुसार इसको तोहफे में दिया जाता है। शादी तय होने के बाद लड़की के ससुराल वाले सिंजारे पर श्रृंगार के साजो—सामान के साथ घेवर भी भिजवाते हैं। वहीं शादी के बाद लड़की के मायके वाले बेटी को घेवर भिजवाते हैं। रक्षाबंधन पर भी कई बहनें अपनी भाइयों के लिए घेवर लेकर जाती है।
घेवर के नाम दर्ज है ये रिकॉर्ड
जयपुर में घेवर को लेकर एक रिकॉर्ड भी बनाया गया था। वर्ष 2018 में जयपुर में सबसे बड़ा घेवर बनाया गया और ये एशिया बुक आफ रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया। जयपुर के एक कैटर्स ने 120 किलो का घेवर बनाकर ये रिकॉर्ड दर्ज किया। ये सबसे बड़ा घेवर जयपुर के शेफ्स ने सिर्फ 45 मिनटों में तैयार किया।
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