हलचल

क्यों भगोड़ों को भारत वापस लाना इतना मुश्किल होता है, समझिए प्रत्यपर्ण का पूरा खेल यहां

देश में पिछले एक-दो साल से देश के पैसे को चूना लगाकर विदेशों में जाकर छुपने का चलन चल रहा है। सबसे पहले विजय माल्या फिर पीएनबी घोटाले में नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसे बड़े नाम सामने आए जो करोड़ों का घोटाला कर भारत छोड़कर विदेशों में जा बसे।

ताजा जानकारी के मुताबिक साढ़े तेरह हजार करोड़ के घोटाले के आरोपी कारोबारी मेहुल चौकसी ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी है जिसके बाद उसके प्रत्यर्पण में एड़ियां घिस रही भारतीय जांच एजेंसियों को गहरा झटका लगा है।

चौकसी प्रत्यपर्ण की कार्रवाई से बचना चाहता है जिसके लिए उसने नियमों के तहत एंटीगा की नागरिकता हासिल कर हाईकमीशन में भारतीय पासपोर्ट को वापस दे दिया है। आखिर देश छोड़कर विदेश जा बसने वाले इन घोटालेबाज बिजनैसमेन को वापस भारत लाना इतना मुश्किल क्यों होता है? किस वजह से भारतीय जांच एजेंसियां इतना दिन रात इधर-उधर भागती है ?

बहुत पेचीदा है किसी दूसरे देश से अपराधी का प्रत्यर्पण करवाना

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि किसी भी सरकार के लिए अन्य देश से अपराधी (अपराधी चाहे आर्थिक क्षेत्र का हों या हत्याओं का) को भारत लाने की कार्यवाही को प्रत्यर्पण कहते हैं और यह प्रक्रिया काफी पेचीदा होती है।

सबसे पहले आपको विजय माल्या वाला खेल समझाते हैं जिसमें माल्या करोड़ों का गबन कर इंग्लैंड के नियम कानून का पूरा फायदा उठा रहा है। गौरतलब है कि भारत-ब्रिटेन के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि की प्रक्रिया काफी कठिन है।

भारत-ब्रिटेन के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि की प्रक्रिया में भारत कैटेगरी 2 के टाइप बी वाले मुल्क़ों में शामिल है। किसी भी मामले में अंतिम फैसला ब्रिटेन का विदेश मंत्रालय और अदालतें, दोनों करती हैं।

ये स्टेप्स होती है-

सबसे पहले विदेश मंत्री से कहा जाएगा जो ये तय करेंगे कि इसे सर्टिफ़ाई किया जाए या नहीं।

जज गिरफ़्तारी के लिए वारंट जारी करने का फैसला करेंगे।

फिर शुरुआती सुनवाई होगी जिसके बाद प्रत्यर्पण सुनवाई चलेगी, विदेश मंत्री प्रत्यर्पण का आदेश देगा।

इसके बाद ब्रिटिश गृह मंत्रालय की इंटरनेशनल क्रिमिनलिटी यूनिट इस बारे में विचार करती है।

फिर अगर अदालत सहमत होगी तो गिरफ़्तारी वारंट जारी होगा।

गिरफ़्तारी के बाद प्रत्यर्पण सुनवाई के दौर चलेंगे और जब जज संतुष्ट होंगे तो मामला विदेश मंत्रालय को आगे दिया जाएगा।

इन वजहों में नहीं किया जा सकता है प्रत्यर्पण

अगर प्रत्यर्पण के बाद अपराधी को लगे कि उसके खिलाफ सज़ा-ए-मौत का फैसला होगा।

अगर व्यक्ति को किसी तीसरे देश से ब्रिटेन में पहले से प्रत्यर्पित किया गया हो।

इस पूरी प्रक्रिया के बाद भी अपराधी के पास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के रास्ते खुले होते हैं।

जिन देशों की प्रत्यर्पण प्रक्रिया जटिल ज्यादातर वहीं जाकर बसते हैं

इसके अलावा अपराधी देश से भागने के बाद उन्हीं देशों को चुनते हैं जहां की प्रत्यर्पण प्रक्रिया काफी जटिल होती है। वहीं कुछ भगोड़े देश छोड़कर कई देशों में अपना बिजनेस शुरू कर देते हैं और वहां के प्रशासन के मेहमान बन जाते हैं जिसकी वजह से भारतीय नागरिकता होने के बाद भी उनको देश वापस लाना मुश्किल होता है।

वहीं अपराधियों की एक और श्रेणी आती है जिसमें अपराधी विदेशी होते हैं लेकिन अपराध भारत में कर वापस अपने देश चले जाते हैं। ऐसे अपराधियों को भारत लाना भी काफी जटिल होता है। पाकिस्तानी मूल का अमेरिकी आतंकी डेविड हेडली इसका उदाहरण रहा है।

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