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इस्माइल के हौंसलों की हर कोई दे रहा मिसाल, हाथ नहीं फिर भी 8 की उम्र में जीते 7 मेडल

इंसान अपने हौसलों और कठिन परिश्रम से हर मैदान फतेह कर सकता है। ऐसे उदाहरणों से दुनिया भरी पड़ी है, इसमें किसी प्रकार के शक की गुंजाइश नहीं है। यह इंसान का हौंसला ही होता है कि वह बड़ी से बड़ी परेशानी का डटकर सामना करता है और उसे अपने आगे बौना साबित कर देता है। लेकिन बात तब बदल जाती है जब किसी इंसान को जन्मजात ही शारीरिक बनावट अधूरी नसीब़ हो। उसके सामने परेशानियों का एक पहाड़ सा खड़ा हो जाता है। मगर ठान लेता है तो वो भी वह कर दिखाता है जो लोगों के लिए किसी कल्पना से कम नहीं है। आज की कहानी एक ऐसे ही बच्चे की है जिसे सुनकर आप उसके हौंसलों और हिम्मत की दाद देने लगेंगे। 8 साल के इस बच्चे का नाम है इस्माइल जुल्फिक। जन्मजात अपंगता के बावजूद इतनी छोटी उम्र में इस्माइल ने वो कारनामे कर दिखाए हैं जिन्हें जानकार आप भी हैरत में पड़ जाएंगे।

दुनिया जानेंगी इस्माइल जुल्फिक की कहानी

क्रोएशिया और सर्बिया के बीच एक देश है बॉस्निया एंड हर्जोगोविना। इसकी आबादी महज 5 मिलियन है। इसी देश में रहता है 8 साल का बच्चा इस्माइल जुल्फिक। इस्माइल आम बच्चों की तरह नहीं है। रब्ब की मर्जी से वह पैदा ही पहाड़ सी परेशानी लेकर हुआ है। लेकिन अब वह दिन दूर नहीं जब इस्माइल के हौंसलों और जज़्बे की मिसाल पूरी दुनिया देगी। इस्माइल एक खास बच्चा है, उसके जन्म से ही दोनों हाथ नहीं हैं साथ ही उसके चलने में एक पैर कुछ दिक्कत करता है। इसके बावजूद वह स्विमर हैं और ओलिंपिक में जाने और पदक जीतने की तैयारियों में जुटा हुआ है। उसने अपनी इस अपंगता को हौंसलों से पीछे छोड़ दिया है। अब इस्माइल दुनिया के लिए एक उदाहरण बनने को तैयार हैं।

4 साल की उम्र में मां लेकर पहुंची स्विमिंग कोच के पास

इस्माइल जुल्फिक की जन्मजात अपंगता के बावजूद उनकी मां पहली बार उन्हें मात्र चार साल की उम्र में एक स्विमिंग कोच के पास लेकर गई थीं। मां जो इस्माइल में देख रही थी आज वो सपना पूरा होता दिख रहा है। इस्माइल के कोच आमेल कापो पहली बार उनके एकेडमी आने की बात बताते हुए कहते हैं, ‘मुझे याद है कि इस्माइल जब पहली बार आया और हम उसे पूल के पास ले गए तो उसने अपने पैर पानी में डाले। तब उसे इतना डर लगा कि वह तुरंत वापस भाग आया। इस दौरान मैंने भी उससे किसी प्रकार की जबरदस्ती करने की कोशिश नहीं की। मैंने एक दो दिन समय लेते हुए उसे यह यकीन दिलाया कि मैं उसे कुछ नहीं होने दूंगा। फिर उसे पूल में उतारा। इसके बाद 3 साल में उसने ऐसी तैयारी की है कि अब वो अपने से 4-5 साल बड़े लोगों के साथ पूल में उतरते हुए अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।

डोमेस्टिक लेवल पर 7 मेडल जीत चुके हैं इस्माइल

बॉस्निया एंड हर्जोगोविना के इस्माइल जुल्फिक अब तक डोमेस्टिक लेवल पर 7 मेडल अपने नाम कर चुके हैं। अब इस्माइल को प्रदर्शन के आधार पर ओलिंपिक पूल में तैयारी के लिए चयनित कर लिया गया है। ओलिंपिक पूल एक ऐसा स्वीमिंग पूल होता है जो पूरी तरह ओलिंपिक या इंटरनेशनल इवेंट्स को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। इस पूल में उन तैराकों को ही प्रशिक्षण दिया जाता है जिसे निकट भविष्य में ओलिंपिक जैसी बड़ी स्पर्धाओं में उतरने के योग्य समझा जा रहा हो। घरेलू स्पर्धाओं में अच्छा प्रदर्शन करने वाले स्विमर को बड़ी प्रतियोगिताओं के लिए नेशनल और इंटरनेशनल कोच द्वारा ओलिंपिक पूलों में प्रशिक्षित किया जाता है।

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70 किमी का सफ़र तय कर पहुंचते हैं पूल, अब तक गोल्ड व सिल्वर ही जीतते आए

आठ वर्षीय इस्माइल जुल्फिक के कोच उनके बारे में बताते हुए नहीं थकते हैं। उनका कहना है कि इस्माइल ने अब तक किसी भी स्पर्धा में ब्रॉन्ज मेडल नहीं जीता है। वह हमेशा या तो गोल्ड या सिल्वर अपने नाम करते आया है। गौरतलब है कि इस्माइल अब तक अलग-अलग स्तर पर करीब 10 स्विमिंग इवेंट्स में भाग ले चुके हैं। इस्माइल को 2017 में बॉस्निया के उभरते स्पोर्ट्स पर्सन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे एक हफ्ते में सिर्फ 3 दिन प्रैक्टिस करते हैं। इसके लिए उन्हें अपने घर से 70 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। आज इस्माइल अपनी इस अपंगता के बावजूद अपने हौंसलों के दम पर ओलिंपिक जैसे नामी इवेंट्स में पदक जीतने का सपना देखता है।

Raj Kumar

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