पिछले शुक्रवार को अमेरिकी एयरस्ट्राइक में मारे गए ईरान के सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी का 07 जनवरी को जनाजा किरमान शहर में निकाला गया। वह इस शहर के निवासी थे। देश के एक नायक की तरह उनके जनाजे में लाखों लोग शामिल हुए। खबरों के मुताबिक करीब 10 लाख लोग इस जनाजे में शामिल होने के लिए पहुंचे थे। इस दौरान भगदड़ मच गई, जिसमें 35 लोगों की मौत हो गई। 48 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
बता दें कि अमेरिका और ईरान के बीच चल तनाव को तब और बढ़ गया जब 3 जनवरी को इराक में एयरस्ट्राइक के दौरान ईरान के शक्तिशाली कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो गई। सुलेमानी का काफिला बगदाद एयरपोर्ट की ओर बढ़ रहा था, तभी उनका काफिले पर एक रॉकेट से हमला किया गया। उनके साथ इस हमले में ईरान के अबू महदी अल-मुहांदिस की भी मौत हो गई। व्हाइट हाउस का कहना था कि जनरल सुलेमानी सक्रिय रूप से इराक में अमेरिकी राजनयिकों और सैन्य कर्मियों पर हमले की योजना बना रहा था।
कासिम सुलेमानी ईरान के दूसरे सबसे ताकतवर नेता थे। उनका स्थान धार्मिक नेता आयतुल्लाह अली खामेनेई के बाद सबसे प्रमुख था।
सुलेमानी का जन्म वर्ष 1957 को ईरान के दक्षिण-पश्चिम प्रांत किरमान में हुआ। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। इस वजह से वह पढ़ न सके और 13 साल की उम्र में परिवार के भरण-पोषण के लिए काम करने लगे।
कासिम वर्ष 1979 में ईरान की सेना में भर्ती हुए और उन्होंने 6 हफ्ते की ट्रेनिंग के बाद पश्चिम अजरबैजान में हुई लड़ाई में भाग लिया।
उन्होंने ईरान का प्रभाव मिडिल ईस्ट में बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बढ़ते ईरान के प्रभाव से सऊदी अरब और इस्राइल ईरान के प्रतिद्वंद्वी देश बन गए। इससे पहले भी उन्हें मारने की कई कोशिशें की गई, लेकिन वह हर बार बच निकले। 20 सालों के दौरान पश्चिम, इस्राइल और अरब देशों की खुफिया एजेंसियां उनके पीछे पड़ी रहीं।
जब वर्ष 1980 के दशक में ईरान और इराक के बीच खूनी संघर्ष हुआ था तब उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी। इस युद्ध में अमेरिका ने तानाशाह सद्दाम हुसैन का साथ दिया था।
इराक में सद्दाम शासन का खात्मा होने के बाद वर्ष 2005 में वहां की नई नई सरकार के गठन के बाद वहां की राजनीति में सुलेमानी का प्रभाव बढ़ गया।
सुलेमानी ने इराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट के मुकाबले करने के लिए कुर्द लड़ाकों और शिया मिलिशिया को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इराक में ईरान के समर्थन से तैयार पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्स को जनरल सुलेमान ने ही तैयार किया था।
हिज्बुल्लाह और हमास के साथ-साथ सीरिया की बशर अल-असद सरकार को भी सुलेमानी का समर्थन प्राप्त था। अमेरिका ने कुद्स फोर्स को 25 अक्टूबर, 2007 को आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया था और इस संगठन के साथ किसी भी अमेरिकी के लेनदेन किए जाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया।
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