ये सच है कि हर मशहूर शख्सियत के पीछे एक संघर्षमयी कहानी छिपी होती है। कुछ ऐसी ही दास्तां थी, देश की पहली रिकार्डिंग सुपर स्टार का खिताब हासिल करने वाली गौहर जान की। मशहूर गायिका गौहर जान को अपने जमाने की सबसे महंगी अदाकारा माना जाता था। उनका जलवा इस कदर छा चुका था कि उस दौरान वो 101 सोने की गिन्नी से कम में कोई शो नहीं करती थीं। 26 जून को प्रसिद्ध शख्सियत गौहर जान की 149वीं बर्थ एनिवर्सरी है। उनका जन्म वर्ष 1873 में यूपी के आजमगढ़ में हुआ था। इस मौके पर जानिए उनके बारे में कुछ रोचक बातें…
गौहर जान देश की पहली ऐसी गायिका थीं, जिन्होंने अपने गानों की रिकार्डिंग कराई थी। उन्होंने अपनी जिंदगी में कई तरह के संघर्षों का सामना किया है। मगर फिर भी गौहर ने भारतीय संगीत में आसमान की बुलंदियों को छुआ। वह भारत की पहली करोड़पति गायिका भी बनीं। गौहर की आलीशान जिंदगी का अंदाज़ा इससे लगा सकते हैं कि उन्होंने अपने समय में अपनी बिल्ली द्वारा बच्चों को जन्म देने पर 20 हजार रुपये खर्च कर दिए थे।
गौहर जान अपने रईसी अंदाज़ की वजह से भी मशहूर थीं। वो चार घोड़ों वाली बग्गी में चलती थीं। तब कलकत्ता में बग्गी की अनुमति नहीं थी। मगर फिर भी वो अपने शौक को पूरा करने के लिए वायसराय को एक हजार रोजाना जुर्माना देती थीं। उन्होंने कालू उस्ताद, रामपुर के वजीर खां और उस्ताद अली बख्श से क्लासिकल की तालीम ली थी। गौहर ने लगभग 20 भाषाओं में ठुमरी से लेकर भजन और 600 से अधिक गीत गाए।
गौहर की मां विक्टोरिया हेम्मिंग्स अमेरिका के आर्मेनियन मूल की थी। वो भी एक अच्छी डांसर और सिंगर थीं। उन्होंने 26 जून, 1873 को उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ में एक बेटी को जन्म दिया, जिसका नाम एंजेलीना यावर्ड रखा गया। पति से तलाक के बाद विक्टोरिया अपनी बच्ची को लेकर एक अमीर आदमी के साथ वाराणसी चली गईं। वहां पर धर्म परिवर्तन करने के बाद उन्हें नया नाम मलिका जान मिला और उनकी इकलौती बेटी गौहर जान कहलाईं।
भारतीय शास्त्रीय संगीत को शिखर पर पहुंचाने वाली गौहर जान असल जिंदगी में शोषण का शिकार हुई थीं। उनका 13 साल की उम्र में बलात्कार हुआ था। इस बड़े सदमे से उबरकर उन्होंने संगीत की दुनिया में अपना सिक्का जमाया। गौहर की कहानी 1900 के शुरुआती दशक में महिलाओं के शोषण और संघर्ष की कहानी है, जिसे विक्रम संपथ ने सालों की रिसर्च के बाद किताब ‘माई नेम इज गौहर जान’ के जरिए सबके सामने रखीं।
सबसे दिलचस्प बात ये है कि गौहर जान एशिया की पहली गायिका थीं, जिनके गाने ग्रामाफोन कंपनी ने रिकॉर्ड किए थे। वर्ष 1902 से 1920 के बीच कंपनी ने गौहर के हिन्दुस्तानी, बांग्ला, गुजराती, मराठी, तमिल, अरबी, फारसी, पश्तो, अंग्रेजी और फ्रेंच गीतों के छह सौ डिस्क निकाले थे। अपने आखिरी दिनों में वो मैसूर के राजा कृष्ण राजा वाडियार के यहां चलीं गई थीं। वहां, उन्हें एक शाही गायिका के तौर पर रखा गया था। 17 जनवरी, 1930 को इस दिग्गज गायिका का देहांत हो गया और उन्होंने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।
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