भारतीय नौसेना को शुक्रवार को अपना पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोचीन शिपयार्ड में करीब डेढ़ घंटे चली कमिशनिंग सेरेमनी में यह एयरक्राफ्ट कैरियर नौसेना को सौंप दिया। इसके साथ ही इंडियन नेवी को नया नौसेना ध्वज भी मिल गया। इसमें से अंग्रेजों की निशानी क्रॉस का लाल निशान हटा दिया गया है। नौसेना के नये ध्वज में तिरंगा और अशोक चिह्न है, जिसे पीएम मोदी ने छत्रपति शिवाजी महाराज को समर्पित किया।
अब भारतीय नौसेना को नया नौसेना ध्वज यानी निशान मिल गया है। दरअसल, इसमें पहले लाल क्रॉस का निशान होता था, जिसे हटा दिया गया है। अब बाईं ओर तिरंगा और दाईं ओर अशोक चक्र का चिह्न है। इसके नीचे लिखा है- ‘शं नो वरुणः’ यानी जल देवता हमारे लिए शुभ हों। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज मैं नौसेना का नया ध्वज छत्रपति वीर शिवाजी महाराज को समर्पित करता हूं। अब तक नौसेना के झंडे पर गुलामी की तस्वीर थी। इस तस्वीर को हमने हटा दिया है। शिवाजी की समुद्री ताकत से दुश्मन कांपते थे।
आपको बता दें कि भारत के पास अब ऐसा बड़ा स्वदेशी युद्धपोत है, जो एक साथ 20 मिग-29 लड़ाकू विमान और दस हेलिकॉप्टर ले जाने की क्षमता रखता है। कोचीन शिपयार्ड में विकसित आईएनएस विक्रांत की लागत करीब 20 हजार करोड़ रुपए आई है। मालूम हो, वर्ष 1971 की जंग में आईएनएस विक्रांत ने अपने सीहॉक लड़ाकू विमानों से बांग्लादेश के चिटगांव, कॉक्स बाजार और खुलना में दुश्मन के ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया था।
आईएनएस विक्रांत की पुनर्जन्म की दिलचस्प कहानी है। दरअसल 31 जनवरी, 1997 को भारतीय नौसेना से आईएनएस विक्रांत को रिटायर कर दिया गया था। लेकिन वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध के बाद देश को स्वदेशी एयरक्राफ्ट की जरूरत पड़ीं। इसके बाद साल 2009 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ। अब तकरीबन 25 साल बाद एक बार फिर से इस विशाल युद्धपोत का पुनर्जन्म हुआ है। इसको बनाने में देश की करीब 500 कंपनियां ने अहम भूमिका निभाई और इसे पूरा कर दुनिया को दिखा दिया।
आईएनएस विक्रांत 43 हजार टन वजन वाला विमान वाहक जहाज है। दुनिया में केवल अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस के पास ही 40 हजार और इससे ज्यादा वजन वाले युद्धपोत निर्माण करने की क्षमता है। आईएनएस विक्रांत में 2200 कंपार्टमेंट हैं, जहाँ एक बार में 1600 से अधिक नौसैनिक रह सकते हैं। वर्ष 2017 में आईएनएस विराट के रिटायर होने के बाद भारत के पास केवल एक एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य है।
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