पुलवामा आतंकी हमले के 5 दिन बाद भी देश जवानों की शहादत में उद्वेलित है। हर गली और चौराहे पर जवानों को अपने-अपने तरीकों से श्रद्धांजलि दी जा रही है, लोग मोमबत्ती जलाकर जवानों की शहादत को नमन कर रहे हैं तो देश के कई हिस्सों में शांति मार्च निकाले जा रहे हैं।
चाहे राजनीति हो, बॉलीवुड, खेल, टीवी, बिजनेस हर तरफ से जवानों को श्रृद्धांजलि देने लोग आगे आ रहे हैं। इसी बीच ‘टीम आई-क्रू’ नाम के एक हैकर ग्रुप ने पाकिस्तान की तकरीबन 200 वेबसाइटों को हैक करने का दावा किया है, जिसके बाद अधिकांश वेबसाइटों पर मोमबत्ती जलती हुई दिखाई दी। इसके अलावा भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान भी तिंरगे धुंए के साथ दिखाई दे रहे हैं।
हैकर्स ने साथ में एक मैसेज भी लिखा है जिसमें कहा गया है हम 14 फरवरी का दिन कभी नहीं भूलेंगे, हम माफ कर दें? हम भूल जाएं? ऐसा नहीं हो सकता! ये तो थी पूरी खबर, पुलवामा में शहीद हुए जवानों को लेकर हर कोई गमगीन माहौल में है, हम भी उनकी शहादत को नमन करते हैं लेकिन जैसा कि आप जानते हैं पोर्टल के संविधान के मुताबिक हम स्टोरी का एक अलग एंगल हमेशा आपके सामने लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
दरअसल जिन भारतीय हैकरों ने पाकिस्तान की 200 वेबसाइटों को हैक करने का दावा किया है, साइबर एक्सपर्ट उसे नकार रहे हैं। हैकिंग हुई है इसे कोई मना नहीं कर रहा एक्सपर्ट का कहना है इसे हैकिंग नहीं कहते बल्कि इसे डिफेस्ड कहा जाता है। अब हैकिंग की दुनिया तो बहुत बड़ी है लेकिन हमारी आगे यह कोशिश रहेगी कि आपको हैकिंग दुनिया से जुड़ी डिफेस्ड, हैकिंग, हैकर, डिफेसर्स (क्रैकर) जैसी टर्म्स समझायी जाए।
पहले हैकिंग का मतलब समझते हैं
Hacking का मतलब होता है कंप्यूटर सिस्टम में कमजोरी को ढूंढ निकालना और फिर उसी कमजोरी का फ़ायदा उठा कर कंप्यूटर के मालिक को ब्लैकमेल करना। हैकिंग एक इंसान कंप्यूटर के जरिए करता है जिसको हैकर कहा जाता है। हैकर को कंप्यूटर नॉलेज का बेहद ज्यादा ज्ञान होता है इसलिए वो दूसरों के कंप्यूटर से डेटा चुराने में माहिर होता है।
हैकर
हैकर वह व्यक्ति होता है जो किसी भी कंप्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में और कामकाज में गहन रुचि रखता हो। हैकर्स ज्यादातर प्रोग्रामर होते हैं। हैकर सिस्टम के अंदर लूपहोल बाहर निकाल लाते हैं।
वहीं हैकर्स यह जानने में भी रुचि रखते हैं कि चीजें कैसे काम करती हैं। हैकर अनिवार्य रूप से सभी प्रकार के सॉफ़्टवेयर, तकनीक और कोड से परिचित होते हैं।
वेबसाइट डिफेसिंग क्या होती है ?
वेबसाइट डिफेसिंग किसी भी वेबसाइट पर हुआ एक साइबर अटैक होता है, जो साइट या वेबपेज के विजुअल एपिरिएंस (visual appearance) को बदल देता है। ये आमतौर पर डिफेसर्स करते हैं, जो किसी भी वेब सर्वर में सेंध लगाते हैं और साइट का होस्ट अपने से बदल देते हैं।
आमतौर पर डिफेसिंग में वेब पेज के जरिए कोई इलेक्ट्रॉनिक मैसेज शो किय़ा जाता है। धार्मिक और सरकारी साइटें नियमित रूप से हैकर्स द्वारा टारगेट की जाती रही है जबकि डिफेसिंग में किन्हीं राजनीतिक कारणों या निजी कारणों से डिफेसिंग इमेज और कोई भी मैसेज शो किया जाता है।
कौन होते हैं डिफेसर्स ?
हमने हैकर्स के बारे में जाना कि वे कैसे काम करते हैं और वे क्या करते हैं। अब जानते हैं डिफेसर्स के बारे में या इन्हें क्रैकर्स भी कहा जाता है। ये भी हैकर ही होते हैं। लेकिन इनके काम करने के तरीके बहुत अलग होते हैं। हैकर किसी कंपनी या किसी व्यक्ति के लिए पूरी तरह काम करता है, जबकि डिफेसर्स पूरी तरह से विपरीत तरीके से काम करता है।
डिफेसर्स कंप्यूटर और नेटवर्क की सिक्योरिटी को तोड़ते हैं। यह एक गैरकानूनी काम होता है। वे अपने ज्ञान का उपयोग निजी फायदे के लिए करते हैं और पूरे नेटवर्क की सिक्योरिटी से छेड़छाड़ करते है।
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