भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में मंगलवार को हुई बैठक में फिलिस्तीनियों के आत्म-संकल्प के अधिकार के पक्ष में वोट किया है। इस प्रस्ताव के समर्थन में भारत सहित 165 देशों ने फिलिस्तीन के पक्ष में वोट किया है। इस प्रस्ताव के खिलाफ केवल इजराइल, यूएसए, नाउरु, मार्शल आइलैंड और माइक्रोनेशिया ने मतदान किया।
वहीं 9 देशों ने इस प्रस्ताव पर मतदान करने से दूरी बनाई जिनमें ऑस्ट्रेलिया, रवांडा और ग्वाटेमाला प्रमुख देश थे। यूएन में इस प्रस्ताव को उत्तर कोरिया, मिस्र, निकारगुआ, जिम्बॉब्वे और फिलिस्तीन द्वारा लाया गया था। जिस पर मतदान 19 नवंबर को हुआ। बता दें कि यह मतदान विवादित फिलिस्तीन क्षेत्र में इजराइल की बसावट अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।
इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान से फिलिस्तीन लोगों के आत्म-संकल्प के अधिकार को मान्यता दी गई है। इस बात पर भी जोर दिया गया है कि वर्ष 1967 में शुरू हुए इजराइल के अवैध कब्जे को खत्म किया जाए। साथ ही कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र के संकल्पों के तहत फिलिस्तीन और इजरायल के बीच एक न्यायपूर्ण और समावेशी शांति समझौता हो।
यूएसए ने इजराइल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक पर चार दशक से जारी अपनी विदेश नीति में बदलाव किया था। इंटरनेशनल लॉ के अनुसार, वेस्ट बैंक में इजराइल की ओर से की गई बसावट अवैध है, लेकिन इजराइल इसे वैध मानता है। दो दिन पहले अमेरिका ने भी इजराइल के रुख का समर्थन कर दिया।
यूएस के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने सोमवार को कहा कि बसावट को इंटरनेशनल लॉ का उल्लंघन बताने से कुछ हासिल नहीं हुआ और इससे शांति का मार्ग भी प्रशस्त नहीं हुआ।
भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, फिलिस्तीन को समर्थन देना भारत की विदेश नीति का अभिन्न हिस्सा रहा है। वर्ष 1974 में फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) को भारत ने मान्यता दी और भारत ऐसा करने वाला दुनिया का पहला गैर-अरब देश था। वर्ष 1988 में फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले में देशों में भारत अग्रणी देशों में से एक था। इसके बाद भारत ने वर्ष 1996 में गाजा में अपना रिप्रेजेंटेटिव ऑफिस खोला जिसे वर्ष 2003 में रामाल्लाह में शिफ्ट कर दिया गया।
यही नहीं भारत ने हमेशा से ही दुनिया के हर मंच पर फिलिस्तीन का समर्थन किया है। संयुक्त राष्ट्र की महासभा के 53वें सत्र के दौरान फिलिस्तीन के आत्म निर्णय के अधिकार के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था। अक्टूबर, 2003 में इजराइल द्वारा एक दीवार के निर्माण के खिलाफ यूएन के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था। वर्ष 2011 में फिलिस्तीन को यूनेस्को का पूर्ण सदस्य बनाने का समर्थन किया था।
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