देश के प्रसिद्ध शिक्षण संस्था इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) में पिछले दो वर्षों से 2461 छात्रों द्वारा पढ़ाई बीच में छोड़ने का मामला सामने आया है। इन छात्रों में 1290 छात्र सामान्य वर्ग से और 1171 छात्र आरक्षित वर्ग से हैं। आईआईटी के कई संस्थानों में छात्रों द्वारा बीच में पढ़ाई छोड़ने वालों में बीटेक के छात्रों की बजाय एमटेक और पीएचडी प्रोग्राम करने वालों छात्रों की संख्या ज्यादा है। जिसका बड़ा कारण उनको अध्ययन के बीच में ही अच्छी नौकरी मिल जाना है।
पिछले सप्ताह संसद में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश के सभी 31 आईआईटी संस्थानों में पिछले दो वर्षों में 2461 छात्रों ने अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ी है। इन छात्रों में आईआईटी के 371 छात्र एससी, 199 एसटी व 601 छात्र ओबीसी वर्ग के शामिल हैं। इसके अलावा आईआईएम से 161 छात्रों ने बीच में पढ़ाई छोड़ी है। इसमें 99 छात्र सामान्य वर्ग, 14 एससी, 21 एसटी व 27 ओबीसी वर्ग के शामिल हैं।
क्या कारण है बीच में पढ़ाई छोड़ने का
मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार बीच पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों में बीटेक की बजाय एमटेक व पीएचडी प्रोग्राम करने वालों की संख्या अधिक है। आईआईटी में एमटेक व पीएचडी प्रोग्राम में दाखिला लेने के बाद सबसे अधिक छात्र सीट छोड़ते हैं, जिसकी बड़ी वजह अध्ययन के साथ बीच में ही उन्हें प्लेसमेंट मिल जाता है। इसके अलावा कई छात्र व्यक्तिगत कारणों, तनाव, पाठ्यक्रम को न समझ पाना या फिर किसी अन्य संस्थान में दाखिला या विदेश में हायर एजुकेशन के लिए चले जाना आदि वजह से बीच में ही पढ़ाई छोड़ जाते हैं। वहीं ग्रेजुएट प्रोगाम में बीच में पढ़ाई छोड़ने की वजहों में कॉलेज का गलत सेलेक्शन, खराब शैक्षणिक प्रदर्शन, व्यक्तिगत और चिकित्सा वजह हो सकते हैं।
सबसे अधिक बीच में पढ़ाई छोड़ने वालों में आईआईटी दिल्ली से
बीच में पढ़ाई छोड़ने वालों की संख्या सबसे ज्यादा आईआईटी दिल्ली से हैं। इस संस्था से 782 स्टूडेंट्स ने बीच में पढ़ाई छोड़ दी। इसके बाद आईआईटी खड़गपुर (622) और आईआईटी बॉम्बे (263) का स्थान है। यह वे संस्थान हैं, जिनमें एडमिशन लेना अधिकतर छात्र-छात्राओं का सपना होता है। इन कोर्सेज में एक वर्ष में 13,000 से अधिक छात्र आईआईटी में प्रवेश लेते हैं।
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