IMA: twin brothers Parinav and Abhinav Pathak became first time officers in the army.
हाल में उत्तराखंड राज्य की राजधानी देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में आयोजित पासआउट परेड में 459 कैडेट्स सेना के अफसर बने। इनमें से 382 जांबाज अफसर भारतीय सेना का हिस्सा बनेंगे। जबकि शेष 77 मित्र राष्ट्रों के कैडेट्स हैं, जिन्हें आईएमए ने ट्रेनिंग दी है। देश सेवा का जज़्बा लिए सेना का हिस्सा बने इन बहादुर अफसरों में से कई कैडेट्स ने लाखों के पैकेज छोड़े हैं। शनिवार, आठ जून को आईएमए में आयोजित पास आउट परेड में पहली बार जुड़वा भाई भी सैन्य अफसर बने हैं। पंजाब के रहने वाले इन दोनों भाइयों की कहानी बड़ी दिलचस्प और अनूठी है जो हम आपको बताने जा रहे हैं..
उत्तरी राज्य पंजाब के जालंधर में रहने वाले परिणव पाठक और अभिनव पाठक दोनों जुड़वा भाई हैं। दोनों जुड़वा भाई आईएमए की पास आउट परेड में एकसाथ सेना में लेफ्टिनेंट बने। इन दोनों भाइयों के बारे में मजेदार बात यह है कि परिणव पाठक और अभिनव पाठक के रिजल्ट भी लगभग एक जैसे ही आए। दोनों भाइयों की उम्र 22 साल है। इन दोनों का जन्म 2 मिनट्स के अंतर पर हुआ था।
जालंधर के इन जुड़वा भाइयों ने अमृतसर के एक ही स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की। जिसके बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए दोनों को अलग होना पड़ा। जहां एक भाई को जालंधर और दूसरे को लुधियाना जाना पड़ा। गौरतलब है कि परिणव पाठक ने जालंधर से कंप्यूटर साइंस और अभिनव पाठक ने मैकेनिकल ब्रांच से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। दोनों ही भाई बचपन से सेना में शामिल होना चाहते थे। इन जुड़वा भाइयों की पहली और आखिरी पसंद सेना में शामिल होकर देश सेवा के लिए खुद को समर्पित करना ही था।
अब भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन चुके जुड़वा भाइयों में से एक अभिनव पाठक कहते हैं कि हम दोनों ने 10वीं और 12वीं में जहां 90 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल किए। वहीं, इंजीनियरिंग की डिग्री भी 80 से अधिक प्रतिशत के साथ पास की। जून 2018 में आईएमए में टेक्निकल एंट्री हुई। अब आर्मी अफसर बनकर अच्छा लग रहा है। अभिनव से दो मिनट बड़े परिणव कहते हैं कि हमने बचपन में ही तय कर लिया था कि फौज में जाना है। परिणव पाठक ने कहा कि हमारे साथ ही हमारा पूरा परिवार इस बात से खुश है कि हम दोनों आर्मी में उस जगह पहुंच गये हैं, जिसका सपना हम बचपन में देखा करते थे। वे बताते हैं कि बचपन से ही उन्हें वीरता की कहानियां प्रेरित करती थी।
परिणव और अभिनव पाठक ने बताया कि उनके पिता अशोक कुमार पाठक ट्रांसपोर्टर का काम करते हैं। माता मंजू देवी पाठक घर संभालती हैं। दोनों ने हमें बचपन से हमारा सपना पूरा करने के लिए सपोर्ट किया। शायद यही वजह है कि हम अपना सपना पूरा करने में सफल हो सके। वहीं, इन दोनों जुड़वा भाइयों के पिता अशोक और माता मंजू बेटों के अफसर बनने से खुश नज़र आ रहे हैं। उनका कहना था कि बच्चों के साथ ही उनका सपना भी पूरा हो गया है।
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उल्लेखनीय है कि 382 इंडियन जेंटलमैन कैडेट्स (जीसीएस) के अलावा, अफ़गानिस्तान, भूटान, मालदीव, फिजी, मॉरीशस, पापुआ न्यू गिनी, टोंगा, लेसोथो और तजाकिस्तान समेत नौ देशों से संबंधित 77 अन्य कैडेट्स भी इंडियन मिलेट्री एकेडमी से पास आउट हुए।
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