भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और वर्तमान टीम के विकेट कीपर बल्लेबाज महेन्द्र सिंह धोनी को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने विश्व कप के बीच में एक ख़ास फरमान सुनाया है, जिसका उन्हें आगे पालन करना पड़ सकता है। दरअसल, आईसीसी ने एमएस धोनी को अपने कीपिंग गलव्स से ‘बलिदान बैज’ का निशान हटाने को कहा है। धोनी सेना के प्रति अपने ख़ास लगाव को कई बार जाहिर कर चुके हैं। इस बार उन्होंने पैरा स्पेशल फोर्सेज को सम्मान देने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया था। धोनी ने दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ़ बुधवार को खेले गए मैच के दौरान ‘बलिदान बैज’ के निशान वाला कीपिंग ग्लव्स पहना था जिसे आईसीसी के कहने के बाद अब उतारना पड़ सकता है।
हालांकि, धोनी और टीम इंडिया के फैंस आईसीसी के इस निर्देश पर सोशल मीडिया के माध्यम से अपना कड़ा गुस्सा जाहिर रहे हैं। अब ख़बर है कि आईसीसी धोनी को गलव्स पर बलिदान बैज लगाने की अनुमति दे सकता है। आईसीसी के फरमान के बाद बीसीसीआई माही के समर्थन में उतरी है। बीसीसीआई के COA चीफ विनोद राय ने कहा, ‘हम आईसीसी को एमएस धोनी को उनके दस्ताने पर ‘बलिदान बैज’ पहनने की अनुमति लेने के लिए पहले ही चिठ्ठी लिख चुके हैं।’ इसके बाद आईसीसी अब बीसीसीआई के सामने झुक सकती है। आईसीसी सूत्रों के मुताबिक, ‘अगर एमएस धोनी और बीसीसीआई आईसीसी को यह सुनिश्चित करे कि ‘बलिदान बैज’ में कोई राजनीतिक, धार्मिक या नस्लीय संदेश नहीं है, तो आईसीसी इस अनुरोध पर विचार कर सकता है।’
पैराशूट रेजिमेंट के विशेष बलों के पास उनके अलग बैज होते हैं, जिन्हें ‘बलिदान’ के रूप में जाना जाता है। इस बैज में ‘बलिदान’ शब्द को देवनागरी लिपि में लिखा गया है। यह बैज चांदी की धातु से बना होता है, जिसमें ऊपर की तरफ लाल प्लास्टिक का आयत होता है। यह बैज केवल पैरा-कमांडो द्वारा पहना जाता है। इस बैज को ‘बलिदान बैज’ के नाम से जाना जाता है। बता दें, एमएस धोनी के ग्लव्स पर दिखे इस अनोखे निशान (प्रतीक चिह्न) को हर कोई इस्तेमाल में नहीं ला सकता। यह बैज सिर्फ पैरा-कमांडो लगाते हैं।
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान एमएस सिंह धोनी को क्रिकेट में उनकी उपलब्धियों के कारण 2011 में प्रादेशिक सेना (टीए) में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक से सम्मानित किया गया था। धोनी यह सम्मान पाने वाले कपिल देव के बाद दूसरे भारतीय क्रिकेटर हैं। दरअसल, प्रादेशिक सेना की ओर से धोनी को मानद कमीशन इसलिए दिया गया क्योंकि वह एक युवा आइकन हैं और वह युवाओं को सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। तब उन्होंने कहा था कि वह भारतीय सेना में अधिकारी बनना चाहते थे, लेकिन किस्मत ने उन्हें क्रिकेटर बना दिया।
एमएस धोनी अगस्त 2015 में प्रशिक्षित पैराट्रूपर बन गए थे। उन्होंने प्रादेशिक सेना की 106 पैराशूट रेजिमेंट में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में अपनी रैंक को साबित कर दिखाया है। आगरा के पैराट्रूपर्स ट्रेनिंग स्कूल (पीटीएस) में भारतीय वायु सेना के एएन-32 विमान से पांचवीं छलांग पूरी करने के बाद उन्होंने प्रतिष्ठित पैरा विंग्स प्रतीक चिह्न लगाने की योग्यता प्राप्त कर ली थी। उल्लेखनीय है कि तब धोनी 1,250 फीट की ऊंचाई से कूद गए थे और एक मिनट से भी कम समय में मालपुरा ड्रॉपिंग जोन के पास सफलतापूर्वक उतरे थे। आपकी जानकारी के लिए यह भी बता दें कि महेन्द्र सिंह धोनी को 2018 में भारत सरकार ने ‘पद्म भूषण’ सम्मान से नवाजा।
आईसीसी ने इसकी वजह बताते हुए कहा कि कीपिंग गलव्स पर अनुमति से ज्यादा लोगो नहीं लगाए जा सकते हैं। आईसीसी के महाप्रबंधक (स्ट्रेटेजिक कम्यूनिकेशंस) क्लेयर फर्लांग ने कहा, ‘काउंसिल प्रत्येक विकेटकीपिंग ग्लव्स पर दो निर्माताओं के लोगो की अनुमति देती है। निर्माताओं के लोगो के अलावा किसी अन्य विजिबल यानी दृश्यमान लोगो की इजाजत नहीं है।’
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आईसीसी ने भारतीय टीम प्रबंधन को अपने फैसले के बारे में बता दिया है और कहा कि धोनी को कोई जुर्माना नहीं देना होगा। फर्लांग ने कहा, ‘हमने इसे हटाने के लिए कहा है। यह नियमों का उल्लंघन है। हालांकि उन्हें कोई जुर्माना नहीं देना होगा।’
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