6 दिसंबर 1992 इतिहास की एक ऐसी तारीख जिसकी कसक आज भी ताजा है। चाहे अब सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या पर अपना अंतिम फैसला दे दिया है मगर इस दिन को भुलाया नहीं जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने रामलल्ला के पक्ष में फैसला दिया है। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में वो सब हुआ जिसकी सबको आशंका थी।
चारों तरफ धूल ही धूल थी। यहां कोई आंधी नहीं चल रही थी, लेकिन यह मंजर किसी आंधी से कम भी नहीं था। अपार जनसैलाब से यही भ्रम हो रहा था। इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था कि भीड़ हजारों में थी या लाखों में। ऐसा लग रहा था-जैसे वहां मौजूद हर व्यक्ति अपने आप में एक नेता था। ‘जय श्रीराम’, ‘रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे’, ‘एक धक्का और दो… जैसे नारे लग रहे थे।
बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करने के 10 दिन बाद लिबरहान आयोग का गठन किया गया था। 30 जून, 2009 को तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह को इसकी जांच रिपोर्ट सौंपी गई थी। उसी के बारे में हम आपको आज बताने जा रहे हैं कि उस रिपोर्ट के अनुसार 6 दिसंबर के दिन अयोध्या में क्या हुआ था।
लिबरहान आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, सुरक्षा अपेरेटस अस्तित्व में नहीं थे और पुलिस बिलकुल अप्रभावी थी जब लगभग 5000 कार सेवकों ने 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के गुंबदों को ध्वस्त किया।
10:30 AM: लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी अन्य नेताओं और साधुओं के साथ प्रतीकात्मक कार सेवा के लिए मंच तक पहुंचे। वे वहां 20 मिनट तक रूके और राम कथा कुंज गाई जहां धार्मिक नेता भाषण दे रहे थे। आइए जानते हैं इस रिपोर्ट के अनुसार क्या हुआ था उस दिन-
12 PM: एक किशोर कार सेवक ने संरचना के चारों ओर कॉर्डन का उल्लंघन किया और गुंबद पर चढ़ गया। लगभग 150 कार सेवक उसके पीछे आए और हथौड़े, फावड़े और लौहे की छड़ें अपने साथ लेकर आए।
12:15 PM: करीब 5,000 कार सेवकों ने गुंबद पर हमला शुरू कर दिया था। आडवाणी, जोशी, अशोक सिंघल और विजयराज सिंधिया ने उन्हें गुंबद से नीचे आने का अनुरोध किया। लेकिन फिर भी कोई नहीं रूका।
12:30 PM: कार सेवकों ने सुरक्षा बलों, मीडिया पर ईंटें फेंकना शुरू कर दिया। जिला मजिस्ट्रेट ने अयोध्या के आस-पास अर्धसैनिक बलों की मांग की। कल्याण सिंह (तब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री) ने उनकी तैनाती पर मुहर लगा दी लेकिन इस शर्त पर कि वे फायरिंग नहीं करेंगे।
12:45 PM: अर्धसैनिक बल कार सेवकों द्वारा बाधित होने के बाद विवादित संरचना तक पहुंचने में असफल रहे। नुकसान जारी रहा। सेना अपने अधिकारियों के साथ बात नहीं कर सकी। राज्य पुलिस और प्रांतीय सशस्त्र कॉन्स्टबुलरी (पीएसी) ने किसी तरह की कार्यवाही नहीं की।
1:15-3:30 PM: डीजीपी ने फायरिंग करने की इजाजत मांगी। मुख्यमंत्री ने फायरिंग की पर्मिशन देने से इनकार कर दिया। मस्जिद के ढ़ांचे में तब तक एक बड़ा छेद हुआ जिससे गुंबद गिर गया और अयोध्या में दंगे शुरू हो गए।
6: 30-7 PM: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू किया। कल्याण सिंह ने इस्तीफा दे दिया मूर्तियों को मूल स्थान पर रखा गया। अस्थायी मंदिर का निर्माण शुरू हुआ।
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