दिसंबर 2016 में, खुद योगी आदित्यनाथ ने यह कल्पना नहीं की होगी कि भारतीय जनता पार्टी में उन्हें उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भारी जीत दर्ज करने के बाद इस तरह की तव्वजो दी जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह द्वारा आश्चर्यचकित रूप से पार्टी के कई स्टार प्रचारकों में से एक उन्हें चुना गया। योगी को हिंदुत्व का झंडा थामने वाले सबसे मजबूत चेहरे के रूप में देखा गया। उस समय ना तो आदित्यनाथ लोकप्रिय थे, न ही गोरखपुर के बाहर महत्वपूर्ण माने जाते थे, दरअसल, संसदीय सदस्य के रूप में पांच कार्यकाल पूरा करने के बाद भी बीजेपी ने कभी भी आदित्यनाथ को राष्ट्रीय या राज्य संगठन में किसी पद पर अहमियत नहीं दी।
फिर, पार्टी ने कब और क्यों महसूस किया कि भगवा पहनने वाला यह नेता उनके लिए काफी मायनों में अहम भूमिका निभा सकता है। भाजपा ने तय किया कि य़ोगी ना केवल उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी संभालेंगे बल्कि जहां भी भाजपा चुनाव लड़ने जाएगी वो पार्टी का धार्मिक राजनीतिक एजेंडा हमेशा आगे बढ़ाएंगे।
योगी आदित्यनाथ को पहली बार गुजरात चुनाव में सामने लाया गया जहां उन्होंने तीन दिनों का एक चुनावी अभियान चलाया। भाजपा के लिए आदित्यनाथ का अभियान स्पष्ट रूप से काफी महत्वपूर्ण था। इतना ही नहीं कि कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने अपने गृह राज्य में प्राकृतिक आपदा के बावजूद प्रचार करना चुना।
हालांकि गुजरात में योगी का जाना सिर्फ टीज़र ही था पूरी फिल्म तो कर्नाटक में रिलीज होनी थी।
धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण माने जाने वाले राज्य कर्नाटक में, कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के चेहरे सिद्धारम्मैया ने योगी को एक चुनौती के रूप में देखा। इसके साथ ही यही वह समय था जब यूपी के उपचुनाव में भाजपा को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था, जिसमें गोरखपुर की सीट भी नहीं बची थी। कांग्रेस के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को अपने गृह राज्य पर ध्यान केंद्रित करने और कर्नाटक में कम समय बिताने की सलाह दी।
दूसरी तरफ, योगी ने वहां गोरखधाम मठ और कर्नाटक के लिंगायत मठ के बीच एक लिंक खोज निकाली और उसी के आधार पर वोट मांगे। अगर गुजरात और कर्नाटक टीज़र और ट्रेलर थे, तो बीजेपी ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में आदित्यनाथ शो को जारी रखा, जो कि लोकसभा चुनावों से पहले होने जा रहे हैं।
बीजेपी जानती है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में सत्ता विरोधी ताकतों का सामना करना पड़ रहा है। जाति और धर्म ने हमेशा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, ऐसे कारकों ने चुनाव के परिणामों को हमेशा पलटा है।
गुजरात और कर्नाटक से सबक लेते हुए बीजेपी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के सभी पांच राज्यों में स्टार प्रचारक के तौर पर आदित्यनाथ को प्रमोट किया। आदित्यनाथ भी पार्टी के शीर्ष हिंदुत्व चेहरे को बनाए रखने के लिए काफी दिनों से प्रचार कर रहे हैं। हर दूसरे दिन योगी फ्रंट पेज हेडलाइंस बनाने के लिए चुनावी भाषणों में सनसनीखेज दावे करते दिखाई दे रहे हैं।
कुछ ताजा बयान जैसे “हनुमान एक दलित थे”, “हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर रखा जाएगा”, “कांग्रेस राम मंदिर निर्माण में सबसे बड़ी बाधा है” और “ओवैसी को हैदराबाद छोड़ना होगा”।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री निस्संदेह 2019 लोकसभा चुनावों के लिए अपना अभियान जारी रखने के मूड में है। एक चुप मोदी और चीखने वाले अमित शाह के साथ, अब यह स्पष्ट है कि 2019 के चुनाव से पहले राम मंदिर को फिर भारतीय जनता पार्टी द्वारा एक बड़ा मुद्दा बना दिया जाएगा। मोदी, प्रधानमंत्री हैं उनके लिए पद की सीमाओं को देखते हुए मंदिर अभियान जैसे मुद्दों का नेतृत्व करने की संभावना कम है। अब ऐसे में यहां फिर से, पार्टी को एक चेहरे की आवश्यकता होगी। योगी आदित्यनाथ से बेहतर कौन है?
रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्तान हार्दिक पांड्या…
अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…
कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…
Leave a Comment