ये हुआ था

साल 2004 में आज ही के दिन उन समुद्री लहरों ने धारण किया था विक्राल रूप, जब आई थी सुनामी

25 दिसंबर का दिन लोगों के लिए बेहद खास रहता है। साल 2004 में भी क्रिसमस का ये खास दिन सभी लोग खुशियों के साथ सैलिब्रेट कर रहे थे। तब कहां किसी कािे खबर थी, उनका आने वाला दिन इतना भयानक होने वाला है। उस सुबह की शुरूआत ही कुछ ऐसी हुई थी कि किसी को कुछ सोचने समझने का वक्त ही नहीं मिला। भारतीय समयानुसार सुबह 6:28 बजे इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में खूबसूरत समुद्री किनारों ने जो विकराल रूप धारण किया था, वो मंजर याद करना भी काफी दहशत भरा है। जी हां, करीब 150 साल बाद 2004 में आज ही के दिन 26 दिसम्बर को सुनामी आई थी।

उस दौरान सुमात्रा द्वीप में लगभग 9.0 की तीव्रता से भूकंप के कई झटके लगे थे, जिसके चलते हिंद महासागर में उठी सुनामी ने 14 देशों में कई किलोमीटर तक तबाही मचा दी थी। कुछ पलों में ही बड़े-बड़े पुल, घर, इमारतें, गाड़ियां, लोग, जानवर और पेड़ सब समुंद्र की इन लहरों में तिनकों की तरह तैरने लगे थे। इस घटना से दुनिया भर में करीब 2.5 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। इसमें से अकेले भारत में ही लगभग 16,279 लोग मारे गए थे या लापता हो गए थे। आपदा इतनी बड़ी थी कि मृतकों के शव कई दिनों तक बरामद हुए थे। यहां तक कि अब भी बहुत से लोग लापता हैं।

सुमात्रा से ऐसे भारत पहुंची थी सुनामी :

सुमात्रा में समुंद्र के नीचे दो प्लेटों में आई दरारें खिसकने से उत्तर से दक्षिण की ओर पानी की लगभग 1000 किलोमीटर लंबी दीवार सी खड़ी हो गई थी। सुनामी का रूख भूकंप के केंद्र में ना होकर पूर्व से पश्चिम की तरफ था। भूकंप के पहले घंटे में सुनामी की लहरें सुमात्रा के उत्तरी तट से होते हुए आचेह प्रांत पहुंची और फिर कुछ देर बाद भारत के निकोबार व अंडमान द्वीप पर भी इन लहरों ने कहर बरपाना शुरू कर दिया। इसके बाद पूर्व की तरफ बढ़ी सुनामी ने थाईलैंड और बर्मा के तटों पर तबाही मचाई। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2004 में आयी सुनामी में 9000 परमाणु बमों जितनी शक्ति थी।

शुरूआती दो घंटों में पश्चिम की तरफ बढ़ती सुनामी लहरों ने श्रीलंका और दक्षिण भारत को भी अपनी चपेट में ले लिया था। तब तक प्रभावित देशों में समाचार एजेंसियो ने सुनामी की रिपोर्ट तो दे दी थी, लेकिन इससे निपटने की ना कोई तैयारी थी और ना सूचना पहुंचाने का ज़रिया। यही वजह है कि मालद्वीप और सेशल्स के तटों पर करीब साढ़े तीन घंटे बाद सुनामी आने के बाद भी वो अलर्ट नहीं हो पाए थे। इससे इंडोनेशिया, थाईलैंड, उत्तर पश्चिम में मलेशिया और हजारों किलोमीटर दूर बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका, मालद्वीप, पूर्वी अफ्रीका में सोमालिया और आसपास के देशों में भारी तबाही मची थी।

क्या है सुनामी :

समुद्र के भीतर अचानक जब बड़ी तेज हलचल (भूकंप या ज्वालामुखीय गतिविधि) होने लगती है तो उसमें उफान उठता है। इसकी वजह से इतनी ऊंची लहरें उठती हैं, जो जबरदस्त आवेग के साथ आगे बढ़ती हैं। इन्हीं लहरों को सुनामी कहते हैं। दरअसल ‘सुनामी’ जापानी शब्द है जो सू और नामी से मिल कर बना है। सू का अर्थ है समुद्र तट औऱ नामी का अर्थ है लहरें। सुनामी को अक्सर समुद्र में उठने वाले ज्वार के रूप में लिया जाता था, लेकिन ऐसा नहीं है। दरअसल समुद्र में लहरें चाँद, सूरज और ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से उठती हैं, लेकिन सुनामी इन आम लहरों से अलग होती हैं।

बच सकती थी लोगों की जान :

भारतीय प्रायद्वीप की टेक्टोनिक प्लेटों के बीच पिछले करीब 150 साल से दबाव बन रहा था। ये भूकंप उसी का नतीजा था। इसे इतिहास की सबसे विनाशकारी सुनामी बताया गया है। हिंद महासागर में 1883 के बाद कोई बड़ी सुनामी नहीं आई थी। इसलिए वहां 2004 तक की सुनामी तक कोई अलर्ट सेवा स्थापित नहीं की गई थी। अगर अलर्ट सेवा होती तो इस विनाश से करीब तीन घंटे पहले लोगों को अलर्ट कर सुरक्षित जगहों पर भेजा जा सकता था। ऐसे में माल की हानि तो होती लेकिन लाखों लोगों को बचाया जा सकता था। हालांकि इस हादसे के बाद भारत सरकार ने यहां अलर्ट सेवा स्थापित कर दी है।

सुनामी ने बदल दिया दुनिया का आकार :

2004 में हिंद महासागर में आयी सुनामी ने न केवल लाखों लोगों की जान ली, बल्कि दुनिया का नक्शा भी बदलकर रख दिया है। भूगर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार सुनामी की अपार ताकत से पृथ्वी का आकार थोड़ा बदल गया है। टेक्टोनिक प्लेटों में टक्कर से हिंद महासागर का तल इंडोनेशिया की तरफ 15 मीटर खिसक गया है। इससे सुमात्रा के भूगोल में भी थोड़ा परिवर्तन हुआ है। वहीं इस भूकंप से पृथ्वी भी अपनी धुरी से थोड़ा खिसक गई है। इससे दिन की पूरी अवधि में कुछ सेकेंड की कमी आ गई है।

अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार सुनामी के कारण उत्तरी ध्रुव भी कुछ सेंटीमीटर खिसक गया है। यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के प्रोफेसर बिल मैकगायर भी मानते हैं कि सुमात्रा निश्चित रूप से अपनी जगह से खिसक गया है। कुछ प्रायद्वीप भी अपने स्थान से कई-कई मीटर तक खिसक गए। ये प्रायद्वीप न केवल खिसके हैं, बल्कि समुद्र तल से इनकी ऊंचाई पर भी फर्क पड़ा है। नासा की जेट प्रोपलसन लेबोरेटरी में वैज्ञानिक रिचर्ड ग्रास का कहना है कि पृथ्वी अपनी धुरी से एक इंच खिसक गई है।

Neha Chouhan

12 साल का अनुभव, सीखना अब भी जारी, सीधी सोच कोई ​दिखावा नहीं, कथनी नहीं करनी में विश्वास, प्रयोग करने का ज़ज्बा, गलत को गलत कहने की हिम्मत...

Leave a Comment

Recent Posts

रोहित शर्मा ने कप्‍तान हार्दिक पांड्या को बाउंड्री पर दौड़ाया।

रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्‍तान हार्दिक पांड्या…

8 months ago

राजनाथ सिंह ने अग्निवीर स्कीम को लेकर दिया संकेत, सरकार लेगी बड़ा फैसला

अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…

8 months ago

सुप्रीम कोर्ट का CAA पर रोक लगाने से इनकार, केंद्र सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…

8 months ago

प्रशांत किशोर ने कि लोकसभा चुनाव पर बड़ी भविष्यवाणी

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…

8 months ago

सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए नामित, PM मोदी बोले – आपका स्वागत है….

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…

8 months ago

कोलकाता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने थामा भाजपा दामन, संदेशखाली पर बोले – महिलाओं के साथ बुरा हुआ है…

कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…

8 months ago