वर्ष 2019 में भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई उपलब्धियां हासिल की हैं। इस साल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र के लिए चुनौतियों से भरा रहा। इस साल इसरो के ज्यादातर मिशन सफल रहे हैं, लेकिन चन्द्रयान- 2 अंतिम क्षणों में असफल रहा। इसरो ने न केवल अपने खुद के सैटेलाइट्स को सफलता पूर्वक लॉन्च किया बल्कि विभिन्न देशों के सैटेलाइट भी लॉन्च किए हैं।
इसरो ने इस साल जहां देश की सुरक्षा, आपदा प्रबंधन और शिक्षा के लिए उपग्रह अंतरिक्ष में सफलता पूर्वक भेजे हैं। तो आइए जानते हैं वर्ष 2019 में इसरो को मिली अंतरिक्ष में सफलता के बारे में-
इसरो ने इस साल की शुरुआत दो सैटेलाइट का सफलता पूर्वक लॉन्चिंग की। इसरो ने 24 जनवरी, 2019 को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी)-सी 44 रॉकेट से दो सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजा। जिनमें डीआरडीओ का इमेजिंग सैटेलाइट माइक्रोसैट—आर और छात्रों का सैटेलाइट कलामसैट (Kalamsat) थे।
इसरो ने फ्रेंच गुयाना स्थित यूरोपीय स्पेस सेंटर से अपने 40वें संचार उपग्रह GSAT-31 का 6 फरवरी, 2019 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। इसका वजन 2,536 किलो था। जीसैट-31 संचार उपग्रह से पहले भारत के द्वारा भेजे गए इस तरह के 11 सैटेलाइट अंतरिक्ष में अपनी सेवा दे रहे हैं। जीसैट-31 भूस्थैतिक कक्षा में केयू बैंड ट्रांसपॉन्डर क्षमता को बढ़ाएगा। यह पहले से कक्षा में स्थित कई अन्य सैटेलाइटों को अपना काम करने की सुविधा प्रदान करेगा। यह करीब 15 साल तक अपनी सेवाएं उपलब्ध कराएगा।
जीसैट-31 का उपयोग वीसैट नेटवर्क, टेलीविजन अपलिंक, डिजीटल उपग्रह समाचार संग्रह, डीटीएच-टेलीविजन सेवाओं, सेलुलर बैकहॉल कनेक्टिविटी और ऐसे कई उपकरणों में किया जाएगा।
इसरो और डीआरडीओ ने इस साल 27 मार्च को अंतरिक्ष में सर्जिकल स्ट्राइक करके पूरी दुनिया को चौंका दिया। इन दोनों ने मिलकर मिशन शक्ति का सफलता पर्वूक अंजाम दिया। इसके तहत भारत ने एक एंटी सैटेलाइट मिसाइल का परीक्षण किया। तीन मिनट में भारत की मिसाइल ने अंतरिक्ष में बेकार हो चुके सैटेलाइट को मार गिराया।
अप्रैल 2019 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के लिए बड़ी कामयाबी का रहा। 1 अप्रैल को इसरो ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से 29 नैनो सैटेलाइटों को सफलता पूर्वक लॉन्च किया। इन सैटेलाइट में भारत का एमिसैट था जबकि यूएसए के 24 सैटेलाइट, लिथुवानिया के 2 और स्विटजरलैंड, स्पेन के एक-एक सैटेलाइट भी शामिल थे।
भारतीय सैटेलाइट एमिसैट के जरिए भारत अपने दुश्मनों के रडार सिस्टम की निगरानी करने और उसका पता लगाने के लिए कर रहा है।
इसरो ने 22 मई, 2019 को रीसैट—2बी सैटेलाइट को पीएसएलवी—सी46 से लॉन्च किया। इस सैटेलाइट के जरिए पृथ्वी की निगरानी की जा सकेगी और इससे दुश्मन की हरकतों पर नजर रखा जा सकता है। इसके अलावा कृषि, वन और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में मदद करेगा।
अगर चंद्रयान-2 सफल हो जाता तो यह इसरो की बड़ी उपलब्धि होती लेकिन 6-7 सितंबर की रात विक्रम लैंडर की लैंडिंग करते समय उससे संपर्क टूट गया। इसका 22 जुलाई, 2019 को जीएसएलवी MK-III M1 रॉकेट से चांद पर भेजा गया।
देश को सीमा पर सुरक्षा और दुश्मनों की हरकतों पर नजर रखने के लिए इसरो ने 27 नवंबर को कार्टोसैट-3 की सफलता पूर्वक लॉन्चिंग की है। इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा लॉन्च पैड से रॉकेट पीएसएलवी-सी47 के जरिए अंतरिक्ष में भेजा गया। कार्टोसैट-3 एक जासूसी सैटेलाइट है। यह सबसे ताकतवर कैमरे वाला उपग्रह है, जो खराब मौसम में भी धरती की तस्वीरें ले सकेगा। इसके अलावा प्राकृतिक आपदाओं, वन और कृषि के क्षेत्र में सहायता देगा।
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