दीप्ति नवल हिंदी सिनेमा का एक जाना पहचाना नाम है। दीप्ति को बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में ‘चश्मे बद्दूर’, ‘कथा’ और ‘साथ-साथ’ जैसी कलात्मक एवं अर्थपूर्ण फिल्मों में उनके सशक्त अभिनय के लिए जाना जाता है। वे बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं। दीप्ति ना सिर्फ एक बेहतरीन कलाकार हैं, बल्कि चित्रकार, कवयित्री होने के साथ-साथ एक कुशल छायाकार भी हैं। इसके अलावा उन्हें संगीत से भी बहुत लगाव है और वे खुद भी कई वाद्य यंत्र बजा लेती हैं। उनकी प्रकाशित पुस्तकों में ‘लम्हा-लम्हा’ बहुत मकबूल हुई है। वह हमेशा से साहित्य के प्रति आकर्षित रही हैं। आज 3 फरवरी को दीप्ति नवल अपना 71वां जन्मदिन मना रही हैं। इस खास अवसर पर जानिए अभिनेत्री दीप्ति नवल के जीवन के बारे में कुछ रोचक बातें…
दीप्ति नवल का जन्म 3 फरवरी, 1952 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। उनके पिता उदय.सी. नवल अध्यापक और मां हिमाद्री टीचर व पेंटर थी। दीप्ति आधी-पंजाबी और आधी-पहाड़ी हैं, क्योंकि उनके पिता अमृतसर, पंजाब से हैं और मां पालमपुर, हिमाचल प्रदेश से हैं। भारत में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वह अपने परिवार के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका चली गईं, जहाँ उन्होंने अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी की। स्कूल के दिनों से ही दीप्ति का झुकाव पेंटिंग, थियेटर और फोटोग्राफी की ओर था। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि दीप्ति ने अभिनय का अध्ययन नहीं किया, जिसमें उन्होंने सबसे अधिक उत्कृष्टता प्राप्त की। उनके पिता चाहते थे कि वह चित्रकार बने, लेकिन उन्हें अभिनय की दुनिया में दिलचस्पी थी।
दीप्ति नवल ने एक थिएटर कलाकार के रूप में अपना कॅरियर शुरू किया। अपने थिएटर के दिनों के दौरान वह एक बार नाटक के लिए ऑडिशन देने दूरदर्शन केंद्र गई थीं। वहाँ उनकी मुलाकात फारूक शेख से हुई, जिसके साथ उन्हें एक कार्यक्रम ‘फारूक’ की सह-मेजबानी करने का मौका मिला। बाद में फारूक ने उन्हें बताया कि फिल्म निर्देशक विनोद पांडे अपनी अगली फिल्म के लिए नये चेहरे की तलाश में हैं। इस प्रकार दीप्ति को वर्ष 1980 में रिलीज फिल्म ‘एक बार फिर’ से बड़ा ब्रेक मिला।
दीप्ति नवल ने कॅरियर की शुरुआत में केवल ‘प्यारी लड़की, नेक्स्ट-डोर गर्ल’ तरह की भूमिकाएँ कीं, लेकिन जब उन्होंने जगमोहन मुंदड़ा की फिल्म ‘कमला’ (1984) की तो उन सभी धारणाओं को तोड़ने का काम किया जो उनकी पहले की फिल्मों से बनी हुई थीं। इस फिल्म में उनके दमदार अभिनय कौशल के लिए उन्हें फिल्म समीक्षकों की ओर से खूब प्रशंसा भी मिलीं।
दीप्ति नवल और स्वर्गीय फारूक शेख की 1980 के दशक में एक लोकप्रिय ऑन-स्क्रीन जोड़ी हुआ करती थी। दोनों ने सिर्फ सिल्वर स्क्रीन पर ही नहीं, बल्कि ऑफ स्क्रीन भी एक शानदार तालमेल साझा किया। वर्ष 1981 में आई फिल्म ‘चश्मे बद्दूर’ की रिलीज के बाद वह रातों-रात स्टार बन गईं।
अभिनेत्री दीप्ति नवल ने वर्ष 1985 में फिल्म निर्देशक प्रकाश झा से शादी की, लेकिन शादी के 2 साल बाद ही ये दोनों अलग हो गए। 15 साल की चुप्पी के बाद दोनों ने वर्ष 2002 में तलाक ले लिया और तब से दोनों अच्छे दोस्त बने हुए हैं। प्रकाश झा और दीप्ति की एक बेटी दिशा झा है।
साल 1991 में दीप्ति की सगाई पंडित जसराज के भतीजे विनोद पंडित से हुई, लेकिन कैंसर से उनकी मृत्यु हो गई। यह वही विनोद था, जिसने उन्हें फोटोग्राफी जारी रखने और लिखने के लिए प्रोत्साहित किया। दीप्ति का नाम नाना पाटेकर और प्रदीप वर्मा जैसे कई अभिनेताओं के साथ भी जुड़ा, लेकिन कुछ कारणों की वजह से उनके साथ रिश्ते शादी तक नहीं पहुंच सके।
दीप्ति हिंदी फिल्मों में शामिल होने वाली पहली अमेरिकी-भारतीय अभिनेत्री हैं। वह एक अच्छी कवयित्री हैं और वर्ष 1981 से अब तक उनके कई कविता कोष प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें ‘लम्हा-लम्हा’, ‘ब्लैक विंड’, ‘एंड द मैड तिब्बतीः स्टोरीज़ फ्रॉम दैन एंड नाउ’ आदि शामिल हैं। इसके अलावा दीप्ति मानसिक रूप से बीमार लोगों के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है। वह बालिकाओं की शिक्षा के लिए एक ट्रस्ट भी चलाती हैं। फिल्मों के साथ ही दीप्ति थिएटर में भी सक्रिय हैं। आखिरी बार वह अमेजन प्राइम की वेब सीरीज ‘मेड इन हेवन’ में नज़र आई थी।
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