इन दिनों सोशल मीडिया पर हर कहीं सिर्फ एक ही चीज़ के चर्चे हैं और वो है ’10 ईयर्स चैलेंज’। इंटरनेट पर हर दूसरा व्यक्ति अपनी 10 साल पुरानी तस्वीर शेयर करते हुए बता रहा है कि तब से अब तक का सफर और ये बदलाव कैसा रहा। इसी कड़ी में जुड़ते हुए क्रिकेटर युवराज सिंह की पत्नी और एक्ट्रेस हेज़ल कीच ने भी इस चैलेंज को लेते हुए अपनी तस्वीर शेयर की है। इसके साथ ही हेजल ने अपनी जिंदगी से जुड़ा एक खुलासा भी किया है।
हेजल ने लिखा है कि 10 साल पहले मैं डिप्रेशन से जूझ रही थी हालांकि इसके बारे में किसी को पता नहीं था, क्योंकि मैं सभी से मुस्कुराते हुए मिलती थी। उन दिनों मैं बेहतर दिखने के लिए भूखी रहा करती थी। बालों को डार्क कलर किया करती थी। यह सब मुझे बहुत परेशान करता था लेकिन आज मुझे किसी की परवाह नहीं। अब मैंने अपने बालों को छोटा कर लिया है, पहले से ज्यादा स्वस्थ्य और खुश हूं और सबसे बड़ी बात, ये बताने की हिम्मत है मेरे अंदर।
हेजल की ये पोस्ट पढ़ कर उनके फैंस भी काफी इमोशनल हो गए। बता दें कि सिर्फ हेज़ल ही नहीं बल्कि इंडस्ट्री के और भी कई सेलिब्रिटीज़ हैं, जो अपने डिप्रेशन की परेशानी के बारे में खुलकर सामने आए हैं। इसमें आलिया भट्ट की बहन शाहीन और दीपिका पादुकोण जैसे नाम भी शामिल है। वैसे आज कल की जिंदगी में ये परेशानी काफी आम बन चुकी है। बहुत से ऐसे लोग होते हैं, जो डिप्रेशन का शिकार होते हैं, मगर वो किसी से कुछ नहीं कह पाते।
डिप्रेशन को लेकर हमेशा एक गलत धारणा रहती है कि ये सिर्फ उसे होता है, जिसकी जिंदगी में कोई बहुत बड़ा हादसा हुआ हो या जिसके पास दुखी होने की कोई बड़ी वजह हो, जबकि ऐसा नहीं है। तनाव डिप्रेशन का मुख्य कारण होता है। इस दौरान इंसान के शरीर में खुशी देने वाले हॉर्मोन्स जैसे कि ऑक्सिटोसीन बनना कम हो जाता है। यही वजह है कि डिप्रेशन में वो इंसान चाहकर भी खुश नहीं रह पाता और उसके अंदर काफी उथल—पुथल चलती रहती है।
आपने किसी ऐसे इंसान को देखा होगा, जो अपने आप से बातें करता रहता है या फिर कोई ऐसा जो हमेशा मरने की बातें करता है या हर छोटी-छोटी बात पर रो देता है। या फिर कोई ऐसा जो आपको काफी खुशमिजाज़ और मस्तमौला लगता था और अचानक आई उनकी खुदकुशी की ख़बर पर आपको यकीन नहीं हुआ होगा। ऐसे लोग डिप्रेशन या मानसिक परेशानी के शिकार होते हैं। वो भले ही आज आपसे हंस कर मिले हों, मगर उनके मन में कई सवाल होते हैं।
— थोड़ा सा काम करने के बाद थकान महसूस करना।
— नींद ठीक तरह से ना आना या रात को बार–बार जागना।
— पीठ में दर्द रहना।
— चिड़चिड़ापन।
— काम पर फोकस ना बनना।
— बात–बात पर गुस्सा करना।
— किसी बुरी बात के होने का डर रहना (बुरे खयाल आना)।
— भोजन ना पचना।
— सेक्स में अरूचि।
— आस—पास के लोगों से दूरी बनाना या अकेलापन।
— खुद से नफरत होने लगना और अपने आप को खत्म कर लेने का खयाल आना।
अगर इन बातों के अलावा गूगल पर खुदकुशी के तरीके सर्च करते हैं तो आपको तुरंत मदद लेनी चाहिए।”
आपको बता दें कि सायकाइट्रिस्ट या मनोचिकित्सक के पास जाने के लिए हमेशा ‘पागल’ होने की ज़रूरत नहीं होती और न ही सायकाइट्रिस्ट के पास जाने से आप ‘पागल’ कहलाएंगे। हमें बस अपनी हेल्थ के लिए कुछ बीमारियों को अलग नज़रिए से देखना शुरू करना होगा। डिप्रेशन के इलाज के लिए काउंसलिंग की बेहद जरूरत होती है। साथ ही कभी—कभी थैरेपी भी इससे लड़ने में मदद करती है या फिर कभी दवाइयों की ज़रूरत भी पड़ सकती है।
अगर कोई व्यक्ति कुछ ऐसा देख या सुन रहा है जो दूसरे नहीं सुन पा रहे, जैसे उसे किसी की आवाज़ें आ रही हो या अगर कोई खुद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा है तो ऐसे में परिवार और दोस्तों की ज़िम्मेदारी है कि वे उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं क्योंकि ऐसी हालत में मरीज ना कभी अपनी परेशानी समझ पाएगा और ना खुद स्वीकार करेगा कि वह बीमार है। इसे दवाइयों, थेरेपी और लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर बेहतर किया जा सकता है।
बता दें कि कुछ दिनों पहले ही लोकसभा में मेंटल हेल्थकेयर बिल-2016 पास हुआ है, जो मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोगों को सुरक्षा और इलाज का अधिकार देता है। इस बिल के प्रावधानों के मुताबिक :
— इसके अनुसार अब मानसिक बीमारियों को भी मेडिकल इंश्योरेस में कवर किया जाएगा। वहीं कोई भी स्वस्थ व्यक्ति अपना नॉमिनी चुन सकता है, जो मानसिक तकलीफ़ की हालत में उसकी देखभाल करेगा।
— इसके अलावा गंभीर मानसिक परेशानी से गुज़र रहे व्यक्ति को परिवार से दूर नहीं किया जा सकेगा और न ही उसके साथ किसी तरह की ज़बरदस्ती की जा सकेगी।
— इसमें सबसे खास यह है कि अब खुदकुशी की कोशिश को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया गया है, यानी अपनी ज़िंदगी ख़त्म करने की कोशिश करने वालों को जेल नहीं भेजा जाएगा बल्कि उन्हें डॉक्टरी मदद दिलाई जाएगी।
— WHO की पिछले साल पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार लगभग 35 करोड़ लोग अवसाद का शिकार थे।
— पुरूषों के मुकाबले महिलाएं अवसाद की शिकार ज्यादा होती हैं।
— अवसादग्रस्त व्यक्ति को सामान्य से तीन से चार गुना ज्यादा सपने आते हैं।
— अवसाद ग्रस्त व्यक्ति जल्दी बूढ़ा होने लगता है।
— रिसर्च में पाया गया है कि हंसी-मज़ाक (ड्रामा) करने वाले लोग और कॉमेडियन लोग आम लोगों से ज्यादा अवसाद का शिकार होते हैं। भगवान कृष्ण ने भी गीता में कहा है कि अगर कोई व्यक्ति ज्यादा हंसता है तो उसका मतलब है कि वह अंदर से अकेला है।
— Depression सदियों से चला आ रहा है, मगर 21वीं सदी में इसका प्रभाव पहले से 10 गुना ज्यादा बढ़ गया है।
रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्तान हार्दिक पांड्या…
अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…
कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…
Leave a Comment