ये हुआ था

वो मुस्लिम कम्युनिस्ट जिसने भारत को इंकलाब जिंदाबाद का नारा दिया!

सरताज मोहनी का नाम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में हमेशा ही लिया जाता है लेकिन अभी भी कुछ लोग इनके बारे में नहीं जानते। आज इनका जन्म दिन है।

हसरत मोहानी ने 1921 में भारतीय क्रांति के ‘इंकलाब जिंदाबाद’ के अमर नारे को गढ़ा जिसे बाद में भगत सिंह और उनके साथियों ने लोकप्रिय बनाया। स्वामी कुमारानंद के साथ भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन में महत्वपूर्ण नाम हसरत मोहानी का भी था।

वे 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अहमदाबाद सत्र में भारत के लिए ‘पूर्ण स्वतंत्रता’ या ‘पूर्ण स्वराज’ की मांग करने वाले पहले व्यक्ति थे, जिसमें रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाकउल्ला खान ने भी भाग लिया था। (दोनों ने कांग्रेस के महागठबंधन में प्रस्ताव पारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई)। वह पहले भारतीय कम्युनिस्ट सम्मेलन की स्वागत समिति के अध्यक्ष थे जो 25 दिसंबर, 1925 को आयोजित किया गया था। वे डॉ. बी. आर. अंबेडकर की भारतीय संविधान की मसौदा समिति के सदस्य भी थे।

फज़लुल हसन उर्फ मौलाना हसरत मोहानी का जन्म 1881 में ‘मोहन’ नामक एक छोटे से गाँव में हुआ था। समकालीन उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में। उन्होंने अपने गांव में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और बाद में मोहन के सरकारी मिडिल स्कूल और बाद में फतेहपुर के गवर्नमेंट हाई स्कूल में भर्ती हुए। यह वह समय था जब उन्होंने उर्दू कविता में रुचि विकसित की और कलम नाम ‘हसरत मोहानी’ को अपनाया (मोहानी उस गाँव के नाम से उत्पन्न हुआ जहाँ वे पैदा हुए थे)। उनके द्वारा प्रसिद्ध ग़ज़ल ‘चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है’ लिखी गई थी।

molana hasrat mohani

मोहनी अपने हाई स्कूल के दिनों में प्रतिभावान छात्र थे। उनकी पढ़ाई की इस प्रतिभा को सबसे पहले अलीगढ़ के एक सर ज़ियाउद्दीन द्वारा देखा गया। उन्होंने अलीगढ़ इंस्टीट्यूट गजट में अपना रिकॉर्ड देखा और उन्हें अलीगढ़ में बुलाया जहाँ उन्होंने एमएओ कॉलेज में प्रवेश लिया। जिसे आज अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाता है। बाद में उन्होंने लखनऊ से अपनी पत्रिका ‘उर्दू-ए मुअल्ला’ और कानपुर से समाचार पत्र ‘मुस्तकील’ शुरू किया। अपने बाद के जीवन में, मोहानी ने मिर्ज़ा ग़ालिब की कविता ‘शर-ए-कलाम-ए-ग़ालिब’ और कविता की प्रकृति पर एक टिप्पणी लिखी थी, जिसका शीर्षक था खुद ‘नुकात-ए-सुखन’ ’(कविता के महत्वपूर्ण पहलू)।

मोहानी का राजनीतिक कॅरियर भी काफी दिलचस्प रहा। अलीगढ़ में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने लखनऊ से उर्दू-ए मुअल्ला नामक एक साहित्यिक-राजनीतिक पत्रिका शुरू की। वह एक कट्टर राष्ट्रवादी थे और कांग्रेस के उदारवाद और उदारवादी तबके की आलोचना करते थे और जब वह पार्टी में शामिल हुए, तो वे खुद को कांग्रेस में कट्टरपंथी तबके के प्रमुख बाल गंगाधर तिलक के जुड़े।

मोहानी कम्युनिस्ट राजनीति में सक्रिय थे और बाद में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का हिस्सा बन गए। अज्ञात कारणों के लिए सीपीआई से बाहर निकाले जाने के बाद मोहानी ने 1931 में ‘आज़ाद पार्टी’ नाम से अपनी पार्टी बनाई जिसका मुख्य उद्देश्य एकात्मक रूप में एक संघीय सरकार के लिए काम करना था।

वे मुस्लिम लीग से भी जुड़े थे लेकिन मोहम्मद अली जिन्ना के ‘दो राष्ट्र सिद्धांत’ के पक्ष में नहीं थे। विभाजन के बाद जब कई लीग सदस्यों ने पाकिस्तान जाने का फैसला किया तब मोहानी भारत में ही रहे। वह हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रबल पक्षधर थे और उन्हें “मौलाना जो कृष्ण से प्यार करता था” जैसे नाम से भी जाना जाता था। उन्होंने कृष्ण को मनाने वाले छंद लिखे थे और जन्माष्टमी के दौरान मथुरा के नियमित आगंतुक भी थे।

Neha Chouhan

12 साल का अनुभव, सीखना अब भी जारी, सीधी सोच कोई ​दिखावा नहीं, कथनी नहीं करनी में विश्वास, प्रयोग करने का ज़ज्बा, गलत को गलत कहने की हिम्मत...

Leave a Comment

Recent Posts

रोहित शर्मा ने कप्‍तान हार्दिक पांड्या को बाउंड्री पर दौड़ाया।

रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्‍तान हार्दिक पांड्या…

9 months ago

राजनाथ सिंह ने अग्निवीर स्कीम को लेकर दिया संकेत, सरकार लेगी बड़ा फैसला

अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…

9 months ago

सुप्रीम कोर्ट का CAA पर रोक लगाने से इनकार, केंद्र सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…

9 months ago

प्रशांत किशोर ने कि लोकसभा चुनाव पर बड़ी भविष्यवाणी

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…

9 months ago

सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए नामित, PM मोदी बोले – आपका स्वागत है….

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…

10 months ago

कोलकाता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने थामा भाजपा दामन, संदेशखाली पर बोले – महिलाओं के साथ बुरा हुआ है…

कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…

10 months ago