Haryana: Sunil Kandela's garden one guava is being sold for 100 rupees.
हरियाणा के एक गांव में अमरूद प्रति नग के भाव से बेचा जा रहा है। एक अमरूद की कीमत भी 100 रुपये है, जो सुनने में आसमान को छूने वाली लगती है। यहां तक कि सेब और अनार जैसे महंगे फलों के प्रतिकिलो भाव भी इतने नहीं हैं, जितना एक अमरूद का रेट है। एक अमरूद की कीमत सुनने में अजीब लग रही है, लेकिन कंडेला गांव में बिक रहा रहा यह फल सामान्य नहीं है। हरियाणा के जींद जिले स्थित कंडेला गांव के किसान सुनील कंडेला इस फल के बगीचे के मालिक हैं।
किसान सुनील कंडेला ने करीब दो साल पहले तीन एकड़ में अमरूद का बाग लगाया था, जिसमें से एक एकड़ में थाइलैंड की किस्म के अमरूद लगाए। थाइलैंड की ख़ास किस्म के एक अमरूद का वजन 800 ग्राम से लेकर एक किलो तक है। सुनील के बगीचे के इस ख़ास अमरूद को लेने के लिए इनदिनों सुबह से शाम तक लोगों की भीड़ लगी रहती है। वे जैविक तरीके से फल उत्पादन कर रहे हैं। 2 साल पहले लगाए बाग में इस साल बड़ी मात्रा में अमरूदों का उत्पादन हुआ है।
सुनील कंडेला के बगीचे के अमरूद लोगों को इतने पसंद आ रहे हैं कि उनके बेचने के लिए न तो मार्केटिंग करनी पड़ी और न ही इन्हें बेचने के लिए किसी फल मंडी जाना पड़ रहा। उनके बाग से अमरूद खरीदकर ले जाने वाले लोगों की होड़ लग गई है। आस-पास के गांवों के अलावा अब दूसरे जिलों से भी लोग अमरूद खरीदने आ रहे हैं। थाइलैंड की किस्म के इस अमरूद की खासियत ये है कि स्वाद में बहुत अच्छा है। इसके साथ ही ख़ासकर इसका साइज भी लोगों को आकर्षित कर रहा है। हाल में पानीपत कृषि विभाग की एक टीम भी सुनील के बाग को देखने पहुंची और अमरूद की क्वालिटी को काफ़ी उत्तम बताया।
सुनील कंडेला का कहना है कि वे पौधे पर लगे फलों को ट्रिपल प्रोटेक्शन फॉम से कवर करते हैं। इससे फल पर गर्मी, सर्दी, धूल व किसी प्रकार की बीमारियों का सीधा असर नहीं होता है। उन्होंने बताया कि इससे अमरूद का साइज भी काफ़ी बढ़ गया है। अमरूदों को तैयार करने में किसी तरह के स्प्रे या रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं किया जाता है।
2024 तक बीसीसीआई के अध्यक्ष बने रह सकते हैं सौरव गांगुली, चयन समिति का कार्यकाल समाप्त
सुनील खेत में घास-फूस व पौधों के पत्तों को गला कर तैयार की गई जैविक खाद का प्रयोग बगीचे में करते हैं। उन्होंने तीन गाय भी पाल रखी हैं, जिसके गोबर व मूत्र को खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है। वे खाद व मूत्र में डी-कंपोजर डाल कर जैविक खाद तैयार करते हैं। इस खाद की लागत बहुत कम आती है और फ़सल में किसी तरह के कीटनाशकों का प्रयोग करने की भी जरूरत नहीं होती।
रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्तान हार्दिक पांड्या…
अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…
कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…
Leave a Comment