Harvilas Sharda was awarded the titles of Rai Bahadur and Diwan Bahadur for the work of social service.
भारत के प्रमुख समाज सुधारकों में से एक हरविलास शारदा ने अपने प्रयासों से बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति के खिलाफ बहुचर्चित ‘शारदा एक्ट’ पारित करवाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। वह भारत के प्रसिद्ध शिक्षाविद, राजनेता, समाज सुधारक, न्यायविद और लेखक थे। 3 जून को हरविलास शारदा की 156वीं जयंती है। इस खास अवसर पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
हरविलास शारदा का जन्म 3 जून, 1867 को राजस्थान के अजमेर शहर में हुआ था। उनके पिता धार्मिक प्रवृति के व्यक्ति थे, जिसका प्रभाव उनके जीवन पर पड़ा। उन्होंने आगरा कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। शिक्षा पूरी करने के बाद वे अदालत में अनुवादक के पद पर कार्य करने लगे। वे जैसलमेर के राजा के अभिभावक रहे और वर्ष 1902 में अजमेर के कमिश्नर के कार्यालय में ‘वर्नाक्यूलर सुपरिटेंडेट’ के पद पर कार्य किया। रजिस्ट्रार, सब जज और अजमेर-मारवाड़ के स्थानापन्न जज के रूप में काम करने के बाद वर्ष 1924 में वे इस सेवानिवृत्त हुए।
समाज सुधारक हरविलास शारदा ने आजादी के दौरान भारतीय समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए काफी संघर्ष किया। उन्होंने स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा स्थापित ‘परोपकारिणी सभा’ के सचिव के रूप में कार्य किया और लाहौर में हुए ‘इंडियन नेशनल सोशल सम्मेलन’ की अध्यक्षता की। वर्ष 1924 में हरविलास शारदा अजमेर-मारवाड़ से केंद्रीय विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। वह पुन: इस क्षेत्र से वर्ष 1930 में निर्वाचित हुए थे। विधानसभा के सदस्य के रूप में उन्होंने समाज सुधार के क्षेत्र में अनेक कार्य किए। समाज सुधार के कार्यों में प्रमुख था ‘शारदा बिल’ पास करवाना। उस समय भारत में बाल विवाह बहुत ज्यादा तादाद में होते थे।
उन्होंने लोगों को जागरूक किया, लेकिन इसका कोई प्रभाव समाज में देखने को नहीं मिला। शारदा ने केंद्रीय असेम्बली से भारत में बाल विवाह पर प्रतिबंध लगाने के लिए वर्ष 1925 में ‘शारदा बिल’ पेश किया, जो सितंबर, 1929 में पास हुआ। यह बिल पूरे देश में 1 अप्रैल, 1930 से लागू किया गया। समाज सेवा के कार्यों के लिए सरकार ने उन्हें ‘राय बहादुर’ और ‘दीवान बहादुर’ की उपाधियों से सम्मानित किया था। शारदा ने अपने जीवन में लेखन का कार्य भी किया था। उनका सबसे प्रसिद्ध ग्रन्थ-‘हिंदू सुपीरियॉरिटी’ है।
बाल विवाह जैसी कुरीतियों पर प्रतिबंध लगाने वाले हरविलास शारदा का 20 जनवरी, 1952 को निधन हो गया।
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