ये हुआ था

भाई के साथ मैदान के बाहर तक आया करते थे सरदारा सिंह, कोच ने बनाया ‘हॉकी का सरदार’

एक समय भारतीय हॉकी टीम की विश्व हॉकी में तूती बोलती थी। मेजर ध्यानचंद जैसे चमत्कारिक खिलाड़ियों का दौर भारतीय हॉकी का स्वर्णिम काल कहा जाता है। भारत ने ओलम्पिक में 8 गोल्ड मेडल अपने नाम किए हैं। भारतीय हॉकी टीम ने शुरुआती छह ओलम्पिक में लगातार गोल्ड मेडल जीते। यह रिकॉर्ड आज तक कोई टीम तोड़ नहीं पाई है। वर्ष 1980 में रूस के मॉस्को में हुए ओलिम्पिक के बाद भारतीय हॉकी में वो धार नहीं रही,  जिसके लिए वह जानी जाती थी। सरकारों की ओर से राष्ट्रीय खेल हॉकी पर कभी विशेष ध्यान नहीं दिया गया।

इसका नतीजा यह रहा कि देश में धीरे-धीरे हॉकी की अनदेखी कर लोग क्रिकेट को पसंद करने लगे। ख़ैर इन सब पर कभी फिर बात करेंगे, अब सीधी बात पर आ जाते हैं.. 15 जुलाई को भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान सरदारा सिंह का अपना 37वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस अवसर पर जानिए उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें…

हरियाणा के सिरसा जिले में हुआ सरदारा का जन्म

पूर्व भारतीय हॉकी कप्तान सरदारा सिंह का जन्म 15 जुलाई, 1986 को हरियाणा राज्य के सिरसा जिले स्थित राणिया कस्बे में हुआ था। उनके पिता गुरनाम सिंह पेशे से आरएमपी डॉक्टर व माता जसवीर कौर गृहणी हैं। उन्हें प्यार से सरदारा सिंह कहा जाता है, लेकिन उनका पूरा नाम सरदार पुरशकर सिंह है।

सरदारा के बड़े भाई जूनियर दीदार सिंह हॉकी कोचिंग के लिए राणिया कस्बे के जीवन नगर जाया करते थे। उनके साथ ही सरदारा सिंह भी वहां पहुंच जाते थे। जीवन नगर स्थित नामधारी स्कूल में हॉकी कोच डॉ. बलदेव सिंह खिलाड़ियों को कोचिंग देते थे। वर्ष 1992 में जब सरदारा सिंह अपने बड़े भाई दीदार के साथ हॉकी कोचिंग के लिए जाते थे, तब उनकी उम्र महज सात साल थी। उम्र कम होने के कारण सरदारा सिंह अक्सर मैदान के बाहर हॉकी व बॉल से अकेला खेलता रहता था।

एक दिन सरदारा सिंह पर कोच डॉ. बलदेव सिंह की नजर पड़ी। सरदारा इतनी कम उम्र में खुद ही अपने स्तर पर सीनियर खिलाडिय़ों की तरह हॉकी से बॉल को पास कर रहा था। उन्हें ऐसा करते देख कोच डॉ. बलदेव को उसमें कुछ खास नज़र आया। बस फिर क्या था.. हॉकी कोच ने सरदारा को मैदान के भीतर बुला लिया। ऐसे उनकी हॉकी कोचिंग का सिलसिला चल पड़ा और एक दिन बन गए भारतीय हॉकी टीम के सरदार।

2004 में जूनियर और 2006 में सीनियर टीम के लिए किया डेब्यू

सरदारा सिंह के प्रोफेशनल हॉकी करियर की शुरुआत जूनियर हॉकी से शुरु हुई। उन्होंने वर्ष 2003-04 में भारतीय टीम के पौलेंड दौरे पर अपना डेब्यू किया। वर्ष 2006 में उन्होंने भारतीय सीनियर टीम के लिए अपना पहला मैच पाकिस्तान के ख़िलाफ़ टेस्ट सीरीज में खेला। सरदारा ने वर्ष 2008 में सुल्तान अजलान शाह में जब भारत का नेतृत्व किया था, तब वह देश के सबसे युवा कप्तान बने थे। करीब 8 साल कप्तानी करने वाले सरदारा सिंह के नेतृत्व में भारतीय हॉकी टीम ने वर्ष 2014 में हुए एशियाई खेलों में पाकिस्तान को हराकर स्वर्ण पदक जीता था और रियो ओलंपिक के लिए सीधे क्वालीफाई किया।

ऐसा रहा सरदारा सिंह का अंतरराष्ट्रीय हॉकी करियर

सरदारा सिंह का भारतीय हॉकी में एक खास और महत्वपूर्ण स्थान है। दुनिया के बेहतरीन मिडफील्डरों में शुमार रहे सरदारा सिंह ने अपने अंतरर्राष्ट्रीय करियर में देश के लिए 350 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले और 2008 से लेकर 2016 तक आठ वर्षों तक राष्ट्रीय टीम की कप्तानी भी की। सरदारा सिंह को उनके बेहतरीन करियर के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2012 में अर्जुन अवॉर्ड और वर्ष 2015 में ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया। वर्ष 2018 में सरदारा सिंह ने अंतरर्राष्ट्रीय हॉकी से संन्यास ले लिया।

हरियाणा पुलिस में डीएसपी, फेसबुक पर मिला प्यार

सरदारा सिंह फिलहाल हरियाणा पुलिस में डीएसपी पद पर काम कर रहे हैं। भारतीय हॉकी टीम के लिए शानदार प्रदर्शन करने वाले सरदारा को देश और हरियाणा का सिर ऊंचा करने पर हरियाणा सरकार ने बतौर पुरस्कार डीएसपी बनाया। 33 वर्षीय खिलाड़ी का करियर विवादों से अछूता नहीं रहा। उन पर भारतीय मूल की ब्रिटिश महिला द्वारा बलात्कार का आरोप भी लगाया गया था। हालांकि, बाद में उन्हें इस मामले में लुधियाना पुलिस की विशेष जांच टीम द्वारा क्लीन चिट प्रदान दे दी गई।

यह वहीं महिला थी, जिससे बाद में उन्हें शादी करनी पड़ी। इस पूरी कहानी में बड़ा ट्विस्ट है। दरअसल, सरदारा सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली भारतीय मूल की ब्रिटिश महिला उन्हें फेसबुक पर मिली थी। दोनों के बीच मुलाकातों का दौर शुरु हुआ और यौन संबंध भी बने। शादी के लिए कहने पर सरदारा ने उन्हें मना कर दिया था। इस पर महिला ने पुलिस में रेप केस दर्ज कराया था।

सरदारा को फेसबुक पर हुआ था अशपाल कौर से प्यार

एक बार सरदारा सिंह ने बताया, ‘मैं अपने फेसबुक के मैसेजेस पढ़ रहा था, तभी मैंने देखा एक मैसेज में लिखा था, ‘सरदारा सिंह तुम एक महान खिलाड़ी हो। आई लव यू। यह मैसेज किसी अशपाल कौर के नाम की लड़की ने किया था।’ मैंने इस मैसेज का तुरंत रिप्लाई नहीं किया, क्योंकि फैन्स के इस तरह के मैसेजेस आते रहते हैं। लेकिन अशपाल बाकी फैन्स से अलग थीं। उन्होंने सरदारा को मैसेज करना नहीं छोड़ा।

अशपाल के कई मैसेजस मिलने के बाद सरदारा ने उनसे पूछा कि वो कहां की हैं और क्या करती हैं? अशपाल ने सरदारा को बताया, ‘मैं लंदन से हूं और इंग्लैंड की अंडर-19 हॉकी टीम के लिए खेल चुकी हूं। मैं सिख हूं।’ कुछ साल बाद अशपाल कौर भोगल नाम की यह महिला सरदारा सिंह की जीवन संगिनी बन गई।

Read: पूर्व कप्तान एमएस धोनी के नाम दर्ज़ है आईसीसी के तीन बड़े इवेंट जीताने का रिकॉर्ड

Raj Kumar

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