सेहत

हरियाली में छिपा है खुशी का राज, ये रिपोर्ट बताती है कैसे

आधुनिक युग में भौतिक संसाधनों की बढ़ती आवाजाही की तुलना में हरियाली युक्त इलाके, सड़क के दोनों ओर दीवारों पर अनेक प्रकार की चित्रकारी और सस्ते, सिम्पल डिजाइन से सजे शहर आपको ज्यादा खुशी देते हैं। यह एक मनोवैज्ञानिक कारण है जिसकी वजह से केवल आपकी खुशी ही नहीं बढ़ती है बल्कि लोगों के प्रति आपका विश्वास भी बढ़ता है। वैसे भी प्रकृति की गोद में लोगों के बीच सामाजिक रिश्तों में काफी मजबूती देखी जा सकती है। इन शोधों से यह निष्कर्ष निकलता है कि यदि शहरों को विकसित करने के दौरान हम पर्यावरण को कम नुकसान और सड़कों के किनारे की दीवारों पर हरे-भरे पेड़ों का चित्रण करे तो मानवीय संबंधों को और मजबूत किया जा सकता है।

भावनात्मक और सामाजिक सुधार की संभावना ज्यादा
सिटी एंड हेल्थ जर्नल द्वारा प्रकाशित शोध में बताया गया है कि अगर किसी शहर के निर्माण के समय पर्यावरण से बिना छेड़छाड़ के या कम छेड़छाड़ के साथ, इस तरह विकसित किया गया हो, जिससे वहां की हरियाली और खुली जगह बरकरार रहे तो उस स्थान पर बसने वाले लोगों का मानसिक सोच काफी मजबूत होती है, उन लोगों की तुलना में जो भीड़भाड़ वाले इलाकों में रहते हैं।

कनाडा की वाटरलू यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रही हन्ना नेगामी ने बताया कि बेशक उन शहरों का डिजाइन सस्ता, सरल और कम लागत वाला है पर यह लोगों के जीवन में भावनात्मक और सामाजिक सुधार की काफी संभावनाएं रखता है।

नेगामी ने बताया कि अन्य शहरों में कंक्रीट की रोड के किनारे हरियाली उगाकर और आस-पास की दीवारों पर विविध प्रकार की पेंटिग्स कर उन सार्वजनिक स्थानों को भी समृद्ध बनाया जा सकता है।

वाटरलू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कॉलिन एलार्ड ने बताया कि हम यह जानते हैं कि किसी शहर के डिजाइन का उसके नागरिकों पर प्रत्यक्ष मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है।

शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के लिए प्रतिभागियों को वैंकूवर के पश्चिम की ओर कुछ नजदीक वाली जगहों पर एक पैदल ट्रिप पर ले जाया गया और छह स्टॉप पर स्मार्टफोन एप्लिकेशन के माध्यम से प्रश्नों का उत्तर देने के लिए कहा गया। उनको दो गलियों में ले जाया गया। जिनमें एक हरी-भरी और दूसरी कंक्रीट की थी।

इस अध्ययन के बाद आए परिणामों में पाया गया कि जहां हरी-भरी जगह हैं वहां लोगों को ज्यादा खुशी प्रदान होती है। इन जगहों के माध्यम से सामाजिक संबंधों को मजबूती देने और अलगाव को कम करने में भी मदद मिल सकती है।

शोधकर्ताओं ने उम्मीद जताई है कि ये निष्कर्ष अंततः शहरों में रहने वाले लोगों के अनुभवों को बेहतर बनाने में मदद देंगे। शोधकर्ताओं ने बताया कि अब हम यह बताने में सक्षम हैं कि लोगों को मनोवैज्ञानिक रूप से सुदृढ़ बनाने में शहरों का डिजाइन किस तरह का होना चाहिए।

Rakesh Singh

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