वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के प्रकोप को देश में बढ़ने से रोकने के लिए लॉकडाउन की अचानक घोषणा करनी पड़ी। इसकी वजह से शहरों में काम करने वाले लाखों प्रवासी मजदूर अपने घर नहीं जा सके। काम बंद होने से इन श्रमिकों के लिए शहर में रहना मुश्किल हो गया और कई तरह की परेशानियां उठानी पड़ी। प्रवासी मजदूरों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अगुवाई वाली पीठ में गुरुवार को सुनवाई हुई। जिसमें केंद्र सरकार की तरफ से दलील रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कुछ खास जगहों पर कुछ वाकये हुए जिससे प्रवासी मजदूरों को परेशानी उठानी पड़ी है। हम इस बात के शुक्रगुजार हैं कि आपने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया।
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार ने प्रवासी मजदूरों के लिए 3700 ट्रेनों का संचालन किया। उनके लिए खाने-पीने का बजट बनाकर राशि भी मुहैया कराई गई। इसपर अदालत ने कहा कि सरकार ने तो कोशिश की है, लेकिन राज्य सरकारों के जरिए जरूरतमंद मजदूरों तक चीजें सुचारू रूप से नहीं पहुंच पा रही है। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि दो कारणों से लॉकडाउन को लागू किया गया था। पहला कोरोना वायरस संक्रमण की कड़ी को तोड़ना तो दूसरा अस्पतालों में समुचित इंतजाम करना था। जब लाखों की तादाद में मजदूरों ने देश के विभिन्न हिस्सों से पलायन करना शुरू किया तो उन्हें रोकने के दो कारण थे। पहला प्रवासियों को रोककर संक्रमण को शहरों से गांवों तक फैलने से रोकना और दूसरा यह कि वे रास्ते में एक-दूसरे को संक्रमित न कर पाएं।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता अदालत को बताया कि सरकार ने अबतक 3700 से ज्यादा श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया है। इन गाड़ियों को तब तक चलाया जाएगा, जब तक एक भी प्रवासी इससे जाने को तैयार होगा। अदालत ने पूछा कि मुख्य समस्या श्रमिकों के आने-जाने और भोजन की है, उनको खाना कौन दे रहा है? जवाब में मेहता ने कहा कि सरकार दे रही है। अदालत ने मेहता से कहा कि यह सुनिश्चित करें कि श्रमिक जब तक अपने गांव न पहुंच जाए उनको भोजन-पानी और अन्य सुविधाएं मिलती रहनी चाहिए।
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अदालत ने कहा कि श्रमिकों को अपने गृह राज्य पहुंचने में कितने दिन लगेंगे। जवाब में सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि यह राज्य बताएंगे। जिन दूर दराज के इलाकों में स्पेशल ट्रेन नहीं जा रही, वहां तक रेल मंत्रालय मेमू ट्रेन चलाकर उनको भेज रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने नोटिस किया है कि प्रवासी मजदूरों के रजिस्ट्रेशन, परिवहन और उन्हें खाना-पानी देने की प्रक्रिया में बहुत कमी रही। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो भी मजदूर पैदल घर जा रहे हैं उन्हें तुरंत खाना और रहने की जगह उपलब्ध कराई जाए। कोर्ट ने अब इस मामले पर अगली सुनवाई 5 जून को करेगा।
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