भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य को देश के अन्य प्रदेशों से अलग दर्ज़ा देने वाली धारा 370 एवं 35ए को अगस्त माह में समाप्त कर दिया गया। संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा ने इस बिल को बड़े बहुमत से पास किया। इसके बाद राज्य पर कांग्रेस समेत कुछ राजनीतिक दलों ने सवाल उठाते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य नहीं है। कुछेक विदेशी मीडिया ने भी इस बारे में ख़बरें परोसी। जिसके बाद यूरोपीय सांसदों के एक डेलिगेशन ने अक्टूबर माह के अंत में कश्मीर की यात्रा की। उस पर भी प्रमुख विपक्षी राजनीतिक दलों ने सरकार से सवाल किए, जिसका जवाब केंद्र ने बुधवार को संसद में दिया। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि यूरोपीय डेलिगेशन की कश्मीर यात्रा के बारे में केंद्र सरकार ने क्या जवाब दिया है..
संसद के उच्च सदन राज्यसभा में बुधवार को गृह मंत्रालय ने यूरोपीय सांसदों की कश्मीर यात्रा पर विपक्ष के सवालों का जवाब दिया। जिसके अनुसार, कश्मीर की यात्रा करने वाला यूरोपीय सांसदों का डेलिगेशन भारत की अपनी निजी यात्रा पर था। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में बताया, ‘जम्मू-कश्मीर सरकार ने जानकारी दी है कि यूरोपीय संसद के सत्ता पक्ष और विपक्ष के 23 सांसदों समेत 27 सदस्यों के एक डेलिगेशन ने 28 अक्टूबर, 2019 से एक नवंबर, 2019 तक भारत की निजी यात्रा की। वे दिल्ली स्थित एक थिंक टैंक ‘इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर नॉनअलाइंड स्टडीज’ के निमंत्रण पर भारत आए थे।’
गृह राज्यमंत्री रेड्डी ने संसद में बताया कि इन यूरोपीय सांसदों ने कश्मीर की यात्रा करके यह जानने की इच्छा जताई थी कि आतंकवाद भारत को किस तरह प्रभावित कर रहा है और किस तरह यह भारत के लिए एक चुनौती बना हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के डायलॉग से लोगों से लोगों के बीच का आपसी संवाद और मजबूत होता है।
मोदी सरकार-2 में गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने राज्यसभा में बताया कि जम्मू-कश्मीर में चार अगस्त से 5161 लोगों को एहतियान गिरफ्तार किया गया। इनमें लोगों में राजनीतिज्ञ, अलगाववादी और पत्थरबाज शामिल हैं। इनमें से 609 लोगों को छोड़कर बाकी रिहा कर दिए गए हैं। जो अभी भी हिरासत में हैं उनमें 218 पत्थरबाज शामिल हैं।
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उधर, संसद के निम्न सदन लोकसभा में एक लिखित जवाब में कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया, ‘दो नवनिर्मित केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य सामाजिक व शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों को नौकरियों में रिजर्वेशन का लाभ मिलता रहेगा। दोनों ही केंद्र शासित प्रदेशों में ‘जम्मू और कश्मीर आरक्षण अधिनियम, वर्ष 2004’ कुछ संशोधनों के साथ लागू होगा। इसका उल्लेख जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में किया गया है।
बता दें, जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्ज़ा देने वाली धारा हटाने के बाद राज्य को दो भागों में विभाजित करते हुए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में दो केन्द्र शासित प्रदेश बनाए गए।
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