केंद्र सरकार ने 2025-26 तक उस योजना को जारी रखने की मंजूरी दी है जिसके तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर, श्रीलंकाई तमिलों, 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों के विस्थापित परिवारों के राहत और पुनर्वास के लिए धन मुहैया कराया जाएगा। 1,452 करोड़ रुपये के कुल खर्च के साथ यह योजना उन प्रवासियों की मदद करती है जो विस्थापन के कारण पीड़ित हैं। यह योजना उन्हें एक आय अर्जित करने और मुख्यधारा की आर्थिक गतिविधियों में उनके समावेश की सुविधा प्रदान करते हैं। मोदी सरकार ने कुल 1,452 करोड़ रुपये के खर्च के साथ 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए यह योजना प्रवासियों की राहत और पुनर्वास के तहत सात मौजूदा उप-योजनाओं को जारी रखने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
अनुमोदन यह सुनिश्चित करेगा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व वाले गृह मंत्रालय के माध्यम से छत्र योजना के तहत सहायता लाभार्थियों तक पहुंचती रहे। सरकार ने अलग-अलग समय पर अलग-अलग योजनाएं शुरू की थीं। ये सात योजनाएं पीओके और छंब के विस्थापित परिवारों, श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों, त्रिपुरा में राहत शिविरों में रहने वाले ब्रू शरणार्थियों के राहत और पुनर्वास व 1984 के सिख विरोधी दंगा पीड़ितों को राहत प्रदान करती हैं।
आतंकवाद, उग्रवाद, सांप्रदायिक, वामपंथी उग्रवाद हिंसा और सीमा पार से गोलीबारी के पीड़ितों, भारतीय क्षेत्र में आईईडी विस्फोट में पीड़ित नागरिकों व पीड़ित परिवारों को वित्तीय सहायता और अन्य सुविधाएं भी दी जाएंगी। साथ ही केंद्रीय तिब्बती राहत समिति (सीटीआरसी) को वित्तीय सहायता दी जाएगी।
सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि कूचबिहार जिले में स्थित भारत में 51 पूर्व बांग्लादेशी एन्क्लेव में बुनियादी ढांचे के विकास और बांग्लादेश में पूर्ववर्ती भारतीय एन्क्लेव से 922 वापसी करने वालों के पुनर्वास के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को सहायता अनुदान भी प्रदान कर रही है।
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